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________________ 斯斯斯斯斯斯斯斯斯所野野野野野西新50 84} यस्तु शुक्लाभिजातीयः प्राणिघातविवर्जकः। निक्षिप्तशस्त्रो निर्दण्डो न हिंसति कदाचन ॥ न घातयति नो हन्ति जन्तं नैवानुमोदते। सर्वभूतेषु सस्नेहो यथाऽऽत्मनि तथा परे॥ ईदृशः पुरुषोत्कर्षों देवि देवत्वमश्नुते। उपपन्नान् सुखान् भोगानुपाशाति मुदा युतः॥ अथ चेन्मानुषे लोके कदाचिदुपपद्यते। तत्र दीर्घायुरुत्पन्नः स नरः सुखमेधते॥ ____ (म.भा. 13/144/56-59) जो शुद्ध कुल में उत्पन्न और जीव-हिंसा से अलग रहने वाला है, जिसने शस्त्र और दण्ड का परित्याग कर दिया है, जिसके द्वारा कभी किसी की हिंसा नहीं होती, जो न मारता + है, न मारने की आज्ञा देता है और न मारने वाले का अनुमोदन ही करता है, जिसके मन में सब प्राणियों के प्रति स्नेह बना रहता है तथा जो अपने ही समान दूसरों पर भी दयादृष्टि रखता है ॐ है, देवि! ऐसा श्रेष्ठ पुरुष तो देवत्व को प्राप्त होता है और देवलोक में प्रसन्नतापूर्वक स्वतः उपलब्ध हुए सुखद भोगों का अनुभव करता है। यदि कदाचित् वह मनुष्य-लोक में जन्म म लेता भी है तो वह मनुष्य दीर्घायु और सुखी होता है। %%%%%%垢听听听听听听垢听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听织听听听 185} तदेतदुत्तमं धर्मम्, अहिंसाधर्मलक्षणम्। ये चरन्ति महात्मानो नाकपृष्ठे वसन्ति ते ॥ (म.भा.13/115/69) यह अहिंसा-रूप धर्म सब धर्मों से उत्तम है। जो इसका आचरण करते हैं, वे महात्मा स्वर्ग-लोक में निवास करते हैं। 1863 धृतिः शमो दमः शौचं कारुण्यं वागनिष्ठरा। मित्राणां चानभिद्रोहः सप्तैताः समिधः श्रियः॥ (म.भा. 5/38/38) धैर्य, मनोनिग्रह, इन्द्रियसंयम, पवित्रता, दया, कोमल वाणी और मित्र से द्रोह न 卐 करना-ये सात बातें लक्ष्मी को बढ़ाने वाली हैं। 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明男男男男男男男男男男男男男 अहिंसा कोश/23]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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