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________________ NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEES {1009) सत्सु नित्यः सतां धर्मस्तमास्थायन माशयेत्। यौ चै नयत्यधर्मेण क्षत्रियो धर्मसंगरः।। आत्मानमात्मना हन्ति पापो निकृतिजीवनः। (म.भा. 12/95/15-16) सज्जनों का धर्म सदा सत्पुरुषों में ही रहा है। अतः उसका आश्रय लेकर उसे नष्ट ॐ न करे। धर्मयुद्ध में तत्पर हुआ जो क्षत्रिय अधर्म से विजय पाता है, छल-कपट को जीविका का साधन बनाने वाला व पापी स्वयं ही अपना नाश करता है। {1010} मोक्षे प्रयाणे चलने पानभोजनकालयोः। अतिक्षिप्तान् व्यतिक्षिप्तान् निहतान् प्रतनूकृतान्॥ सुविश्रब्धान् कृतारम्भानुपन्यासान् प्रतापितान्। बहिश्चरानुपन्यासान् कृतवेश्मानुसारिणः॥ ... ..... (म.भा.12/100/27-28) शस्त्र और कवच उतार देने के बाद, युद्धस्थल से प्रस्थान करते समय, घूमते-फिरते ॐ समय और खाने-पीने के अवसर पर किसी को न मारे। इसी प्रकार, जो बहुत घबराये हुए है हों, पागल हो गये हों, घायल हों, दुर्बल हो गये हों, निश्चिन्त होकर बैठे हों, दूसरे किसी काम में लगे हों, लेखन का कार्य करते हों,पीड़ा से संतप्त हों, बाहर घूम रहे हों, दूर से सामान लाकर लोगों के निकट पहुँचाने का काम करते हों अथवी छावनी की ओर भागे जा जी रहे हों, उन पर भी प्रहार न करे। 编织坎坎垢玩垢玩垢垢玩垢巩巩巩巩乐乐垢玩垢玩垢用現折纸兵纸明明明明明明明明明明明纸圳乐乐圳职职 {1011} गजो गजेन यातव्यस्तुरगेण तुरङ्गमः। रथेन च रथो योग्यः पत्तिमा पत्तिरेव च। एकेनैकश्च शस्त्रेण शस्त्रमस्त्रेण वाऽस्त्रकम्। __ (शु.नी.4/7/357-358) हाथी पर सवार सैनिक हाथीवालों से, घुड़सवार घुड़सवारों से, रथ पर चढ़े हुये रथवालों से और पैदल सैनिक पैदल सैनिकों से युद्ध करें, और अकेला अकेले से, ॐ शस्त्रवाला शस्त्रवालों से एवं अस्त्रवाला सैनिक अस्त्रवालों से ही लड़े। SHREEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEN अहिंसा कोश/297]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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