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________________ NAEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE 1954} मालाकारस्य वृत्त्यैव स्वप्रजारक्षणेन च। शत्रु हि करदीकृत्य तद्धनैः कोशवर्धनम्॥ करोति स नृपः श्रेष्ठो मध्यमो वैश्यवृत्तितः। अधमः सेवया दण्डतीर्थदेवकरग्रहः॥ ___(शु.नी.4/2/18-19) जो माली की तरह व्यवहार रख कर प्रजा की रक्षा करे और शत्रु को 'कर' देने योग्य ॐ बना कर उसके धन से कोष को बढ़ाता है वह नृप श्रेष्ठ कहलाता है, जो वैश्यवृत्ति व्यवसाय है आदि से कोश बढ़ाता है वह मध्यम, एवं सेवा कराकर तथा जुर्माना, तीर्थ-स्थान एवं ॐ देवमंन्दिरों पर 'कर' लगाकर जो कोष बढ़ाता है, वह अधम राजा कहलाता है। 與垢玩垢與異與明明乐听听听听听听听听听听听罢蛋蛋乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {955} उच्चावचकरा दाप्या महाराज्ञा युधिष्ठिर॥ यथा यथा न सीदेरंस्तथा कुर्यान्महीपतिः। फलं कर्म च सम्प्रेक्ष्य ततः सर्वं प्रकल्पयेत्॥ (म.भा. 12/87/15-16) (भीष्म का युधिष्ठिर को उपदेश-)युधिष्ठिर! राजा को चाहिये कि वह लोगों की है हैसियत के अनुसार भारी और हल्का कर (टैक्स) लगावे। भूपाल को उतना ही कर लेना ॐ चाहिये, जितने से प्रजा संकट में न पड़ जाय। उनका कार्य और लाभ देखकर ही सब कार्य * करने चाहिये। 军坑骗出與與與與與與與與與與垢與乐娱乐頻頻頻巩巩明明明明明明明明明明明明明明明明明劣埃斯與纸纸 {956} राजन्दुधुक्षसि यदि क्षितिधेनुमेनाम्, तेनाद्य वत्समिव लोकममुं पुषाण। तस्मिश्च सम्यगनिशं परिपुष्यमाणे, नानाफलं फलति कल्पलतेव भूमिः। (नी.श. 37) हे राजन् ! यदि तू इस धरती रूपी गौ को दुहना चाहता है, तो तू इस धरती पर रहने वाले इन मनुष्यों का, दुधारू गौ के थन में खूब दूध छोड़कर, बछड़ों की तरह भलीभाँति ॥ पालन-पोषण कर। जनता सुखी व समृद्ध रहे तो पृथ्वी माता कल्पतरु बन कर तुझे मुंह* मांगा फल देगी। E EEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEER अहिंसा कोश/281]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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