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________________ NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE (8) अहिंसा और राजधर्म EASE [राजा या शासक-वर्ग का प्रमुख कार्य प्रजा-रक्षण होता है। देश या प्रजा के अहितकारी तत्त्वों का विनाश करना, और प्रजा व देश का सर्वविध कल्याण करना-ये दोनों कार्य'प्रजा-रक्षण के साथ जुड़े हुए होते हैं। दुष्टों के नियन्त्रण आदि कुछ अपवाद-कार्यों को छोड़ कर, राजा को अहिंसक रूप धारण करना चाहिए। यथाशक्ति उसे हिंसा *या उग्र रूप अथवा कठोरता से बचना चाहिए। यहां उन शास्त्रीय निर्देशों को प्रस्तुत किया जा रहा है, जिनमें राजा से है अहिंसा-प्रिय होने की अपेक्षा व्यक्त की गई है। वस्तुतः हिंसा के ताण्डव-नृत्य को समाप्त करने के लिए ही तो 'राजा' पद की प्राचीन काल में उद्भावना की गई थी-], 期货期货圳乐乐明明听听听听听听听乐乐界明明明明明明明明明明明明明明明明明明明與 हिंसक/अमर्यादित स्थिति का राजा ही नियन्त्रक {932} यथा ह्यनुदके मत्स्या निराक्रन्दे विहङ्गमाः। विहरेयुर्थथाकामं विहिंसन्तः पुनः पुनः॥ विमथ्यातिक्रमेरंश्च विषह्यापि परस्परम्। अभावमचिरेणैव गच्छेयुर्नात्र संशयः॥ एवमेव विना राज्ञा विनश्येयुरिमाः प्रजाः। अन्धे तमसि मज्जेयुरगोपाः पशवो यथा॥ हरेयुर्बलवन्तोऽपि दुर्बलानां परिग्रहान्। हन्युक्यच्छमानांश्च यदि राजा न पालयेत्॥ ___ (म.भा.12/68/11-14) जैसे सूर्य और चन्द्रमा का उदय न होने पर, समस्त प्राणी घोर अन्धकार में डूब जाते में हैं और एक दूसरे को देख नहीं पाते हैं, जैसे थोड़े जल वाले तालाब में मत्स्यगण तथा ॐ रक्षक-रहित उपवन में पक्षियों के झुंड परस्पर एक दूसरे-पर बारंबार चोट करते हुए इच्छानुसार विचरण करते हैं, वे कभी तो अपने प्रहार से दूसरों को कुचलते और मथते हुए * आगे बढ़ जाते हैं और कभी स्वयं दूसरे की चोट खा कर व्याकुल हो उठते हैं, इस प्रकार * आपस में लड़ते हुए वे थोड़े ही दिनों में नष्टप्राय हो जाते हैं, इसमें संदेह नहीं है। इसी तरह राजा के बिना वे सारी प्रजाएँ आपस में लड़-झगड़ कर बात-की-बात में नष्ट हो जाएंगी * और बिना चरवाहे के पशुओं की भाँति दुख के घोर अंधकार में डूब जाएंगी। यदि राजा प्रजा * की रक्षा न करे तो बलवान् मनुष्य दुर्बलों की बहू-बेटियों को हर ले जाएं और अपने घरप्रवार की रक्षा के लिये प्रयत्न करने वालों को मार डालें। कAAEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE E T अहिंसा कोश/273] EFFFFFFFFFti
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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