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________________ $$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ 驅 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐 {703} क्षमा ब्रह्म क्षमा सत्यं क्षमा भूतं च भावि च । क्षमा तपः क्षमा शौचं क्षमयेदं धृतं जगत् ॥ (म.भा. 3/29/37) क्षमा ब्रह्म है, क्षमा सत्य है, क्षमा भूत है, क्षमा भविष्य है, क्षमा तप है, क्षमा शौच (शुद्धता, निर्लोभता) है। क्षमा ने ही सम्पूर्ण जगत् को धारण कर रखा है। {704} क्षन्तव्यमेव सततं पुरुषेण विजानता । विद्वान पुरुष को सदा क्षमा का ही आश्रय लेना चाहिये । [वैदिक / ब्राह्मण संस्कृति खण्ड / 198 {705} क्षमा सत्यं क्षमा दानं क्षमा धर्मः क्षमा तपः । क्षमावतामयं लोकः परलोकः क्षमावताम् ॥ (म.भा. 4/16/अ.,पृ.1890) क्षमा सत्य है, क्षमादान है, क्षमा धर्म है और क्षमा ही तप है। क्षमाशील मनुष्यों के लिये ही यह लोक और परलोक है। 1 {706} क्षमा धर्मः क्षमा सत्यं क्षमा शौचं क्षमा बलम् । क्षमा यज्ञः क्षमा दानं क्षमा च परमं तपः ॥ ( म.भा. 3/29/42) (वि. ध. पु. 3/269/1 ) क्षमा धर्म है, क्षमा सत्य है, क्षमा शौच है, क्षमा बल है, क्षमा यज्ञ है, क्षमा दान है और क्षमा ही परम तप है। । {707} यदा हि क्षमते सर्वं ब्रह्म सम्पद्यते तदा ॥ 卐卐卐卐卐5 जब मनुष्य सब कुछ सहन कर लेता है, तब वह ब्रह्मभाव को प्राप्त हो जाता है। ( म.भा. 5/33/52, विदुरनीति 1 / 52 ) 新卐卐卐卐卐卐 $$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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