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________________ 巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩 क्षमा की महत्ता {699} क्षमा वशीकृतिलॊके क्षमया किं न साध्यते। शान्तिखड्गः करे यस्य किं करिष्यति दुर्जनः॥ __ (म.भा. 5/33/50, विदुरनीति 1/50) इस जगत में क्षमा वशीकरणरूप है। भला, क्षमा से क्या नहीं सिद्ध होता? जिसके हाथ में शान्ति (क्षमा)रूपी तलवार है, उसका दुष्ट पुरुष क्या कर लेंगे? %%%%%%%%%%%%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐 {700} क्षमा धनुः करे यस्य, दुर्जनः किं करिष्यति। अतृणे पतितो वह्निः, स्वयमेवोपशाम्यति॥ (लघु चाणक्य,2/198) जिसके हाथ में क्षमा रूपी धनुष है, दुर्जन उसका क्या बिगाड़ सकता है? जैसे, ॐ तिनकों (घास-फूस) से रहित भूमि पर पड़ी आग स्वतः शान्त हो जाती है, वैसे ही दूसरे म का क्रोध क्षमावान् के आगे स्वतः शान्त हो जाता है। ¥¥%%%听听听听听听听呢呢呢呢呢呢听听听听听听听听巩巩巩巩巩巩听听听听听听听听垢听听听听听听听 {701} पापीयसः क्षमेतैव श्रेयसः सदृशस्य च। विमानितो हतोत्क्रुष्ट एवं सिद्धिं गमिष्यति॥ (म.भा.12/299/18) पाप करने वाला अपराधी अवस्था में अपने से बड़ा हो या बराबर, उसके द्वारा अपमानित होकर, मार खाकर और गाली सुनकर भी उसे क्षमा ही कर देना चाहिये। ऐसा करने वाला पुरुष परम सिद्धि को प्राप्त होगा। {702} क्षान्त्या शुद्ध्यन्ति विद्वांसः। (म.स्मृ.-5/107) विद्वान क्षमा से शुद्ध होते हैं। の野野野野野野野野野野野野野野野野野城野野野野野野野野野野野野野野野 अहिंसा कोश/197]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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