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________________ NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEX {670} धर्मो हि महतामेष शरणागतपालनम्॥ शरणागतं च विप्रं च रोगिणं वृद्धमेव च। य एतान्न रक्षन्ति, ते वै ब्रह्महणो नराः॥ ___ (स्कं.पु. माहे./केदार/9/49-50) बड़े लोगों का कर्तव्य यह है कि वे शरणागतों का पालन करे।वे मनुष्य ब्रह्महत्यारे हैं जो शरणागत, विप्र, रोगी और वृद्धजनों की रक्षा नहीं करते। {671} आगतस्य गृहं त्यागस्तथैव शरणार्थिनः। याचमानस्य च वधो नृशंसो गर्हितो बुधैः॥ (म.भा.1/160/10) घर पर आये हुए शरणार्थी का त्याग और अपनी रक्षा के लिये याचना करने वालों का वध -यह विद्वानों की राय में अत्यन्त क्रूर एवं निन्दित कर्म है। 埃垢圳坂¥¥垢妮妮妮妮妮妮頻頻頻頻頻垢玩垢玩垢玩垢玩垢玩垢圳坂圳妮妮妮妮妮妮頻頻頻圳纸纸垢玩垢圳 字與圳FFFFF垢玩垢與圳垢與與與與與與與與與與與與與與與與與與與垢垢與與與與與與娟娟娟娟 दया/अनुकम्पा आदि के विशेष पात्रः शरणागत {672} बद्धांजलिपुटं दीनं याचन्तं शरणागतम्। न हन्यादानृशंस्यार्थमपि शत्रु परंतप॥ (वा.रामा. 5/18/27) यदि शत्रु भी शरण में आये और दीन भाव से हाथ जोड़कर दया की याचना करे तो उस पर प्रहार नहीं करना चाहिये। दया/अनुकम्पा की अभिव्यक्तिः शरणागत-रक्षा {673} आतॊ वा यदि वा दृप्तः परेषां शरणं गतः। अरिः प्राणान् परित्यज्य रक्षितव्यः कृतात्मना॥ __(वा.रामा. 5/18/28) यदि कोई शत्रु भी दुःखी होकर अपनी शरण में आए, तो स्वयं शत्रु होते हुए भी शुद्ध फ हदय वाले पुरुष को चाहिए कि वह अपने प्राणों का भी मोह छोड़कर शत्रु की रक्षा करे। Firs #EKHENEFENE FREE FREE FREEEEEEEEE HAN वैदिक ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/190
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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