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________________ M巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {564} न प्रहृष्यति सम्माने नावमानेन कुप्यति। न क्रुद्धः परुषं ब्रूयादेतत् साधोस्तु लक्षणम्॥ ___ (ग.पु. 1/113/41) साधु पुरुष का लक्षण यह है-वह न तो सम्मान में प्रसन्न होता है और न ही अपमान से कुपित होता है, तथा वह कभी क्रोध-युक्त होकर किसी को कठोर वचन नहीं बोलता। 宝贝听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {565} असत्प्रलापं पारुष्यं पैशुन्यमनृतं तथा। चत्वारि वाचा राजेन्द्र न जल्पेन्नानुचिन्तयेत्॥ (म.भा. 13/13/4) _[द्रष्टव्यः ब्रह्म 144/19] मुंह से बुरी बातें निकालना, कठोर बोलना, चुगली खाना और झूठ बोलना-ये चार वाणी से होने वाले पाप हैं। इन्हें न तो कभी जबान पर लाना चाहिये और न मन में ही सोचना चाहिये। 場听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐 {566} नाक्रोशमृच्छन्न वृथा वदेच्च, न पैशुनं जनवादं च कुर्यात्। सत्यव्रतो मितभाषोऽप्रमत्तस्तथाऽस्य वाग्द्वारमथो सुगुप्तम्॥ (म.भा. 12/269/25) किसी को गाली न दे, व्यर्थ न बोले, दूसरों की चुगली या निन्दा न करे, मितभाषी फ हो, सत्य वचन बोले तथा इसके लिये सदा सावधान रहे-ऐसा करने से वाक्-इन्द्रियरूप द्वार की रक्षा होती है। {567} अद्रोहं सर्वभूतेषु मैत्री कुर्याच्च पण्डितः। वर्जयेदसतीं वाचमतिवादांस्तथैव च॥ __ (मा.पु. 55/71) पण्डित/समझदार व्यक्ति को चाहिए कि वह सर्वभूत (संसार) से अद्रोह अर्थात् ॥ + वैररहित हो सबसे मित्रता करे, मिथ्या न बोले और अधिक विवाद (या बुरी बात) भी नहीं म करे। %%%%%%%%%%%%%%%% %%%%%%%%%%%%%%% %% अहिंसा कोश/159]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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