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________________ WASEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE ms {506} सत्यमिति अमायिता, अकौटिल्यं वाड्मनःकायानाम्। (केन. शां. भा. 4/8) मन, वाणी व कर्म की माया-रहितता तथा अकुटिलता का नाम 'सत्य' है। F明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听垢听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听。 {507} सर्वस्वस्यापहारे तु वक्तव्यमनृतं भवेत्। तत्रानृतं भवेत् सत्यं सत्यं चाप्यनृतं भवेत्॥ तादृशं पश्यते बालो यस्य सत्यमनुष्ठितम्। भवेत् सत्यमवक्तव्यं न वक्तव्यमनुष्ठितम्। सत्यानृते विनिश्चित्य ततो भवति धर्मवित्॥ (म.भा. 8/69/34-35) जब किसी का सर्वस्व छीना जा रहा हो तो उसे बचाने के लिये झूठ बोलना कर्तव्य है। वहां असत्य ही सत्य और सत्य ही असत्य हो जाता है। जो व्यवहार में सत्य को सर्वत्र सत्य (और असत्य को सर्वत्र असत्य) रूप में देखता-समझता है, वह 'मूर्ख' है। व्यवहार में जो सत्य भी बोलने योग्य नहीं हो, तो उसे नहीं बोलना चाहिए। इस तरह, पहले सत्य और असत्य का अच्छी तरह निर्णय करना चाहिए।जो ऐसा करता है, वही धर्म का ज्ञाता है। 听听听听听听听听听听听听乐乐乐加乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {508} अनृतां वा वदेद् वाचं, न तु हिंस्यात् कथंचन॥ (म.भा. 8/69/23) किसी भी प्राण-रक्षा के लिए झूठ बोलना पड़े तो बोल दे, किन्तु उसकी हिंसा न होने दे। {509} प्राणात्यये विवाहे च वक्तव्यमन्तं भवेत्। अर्थस्य रक्षणार्थाय परेषां धर्मकारणात्। (म.भा. 12/109/20) प्राण-संकट के समय, विवाह के अवसर पर, दूसरे के धन की रक्षा के लिये तथा है # धर्म की रक्षा के लिए असत्य बोला जा सकता है। 第 %%%% %%% %%% %% %%%%%%%% %% %% % % 勇 % %% %%% %% वैदिक ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/144
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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