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________________ < %%%%%%% %%%%%%%%%% % %%% %%%% {5} अहिंसाः अनेक धर्मों की प्राण - [अहिंसा के अतिरिक्त अन्य जो भी अनेक धर्म हैं, जैसे - सत्य, अचौर्य, दया, क्षमा, दान, आदि आदि, उन सब की पूर्णता, अहिंसा के बिना सम्भव नहीं हो पाती। दूसरे शब्दों में अहिंसा के पूर्णतः पालन से सभी अन्य धर्मों की पालना सहजतया हो जाती है। सभी धर्मों में 'अहिंसा' एक अनिवार्य घटक के रूप में अनुस्यूत दृष्टिगोचर होती है। जहां असत्य, परिग्रह, निर्दयता, क्रूरता, क्रोध, कृपणता आदि में हिंसा कहीं न कहीं जुड़ी होती है, वहां सत्य, अपरिग्रह, दया, क्षमा आदि धर्म 'अहिंसा' रूपी परम धर्म की शाखा- प्रशाखाएं है। इसी तथ्य से सम्बधित कुछ शास्त्रीय उद्धरण यहां प्रस्तुत हैं-] 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 अहिंसा और सत्यः परस्पर-सम्बद्ध ___{497} अहिंसा सत्यवचनं सर्वभूतहितं परम्। अहिंसा परमो धर्मः स च सत्ये प्रतिष्ठितः। सत्ये कृत्वा प्रतिष्ठां तु प्रवर्तन्ते प्रवृत्तयः।। (म.भा. 3/207/74) ___ अहिंसा और सत्यभाषण-ये समस्त प्राणियों के लिये अत्यन्त हितकर हैं। अहिंसा के सबसे महान् धर्म है, परंतु वह सत्य में ही प्रतिष्ठित है और (सत्य) उसी के ही आधार पर ॐ श्रेष्ठ पुरुषों के सभी कार्य आरम्भ होते हैं। {498} सत्यं च समता चैव दमश्चैव न संशयः। अमात्सर्यं क्षमा चैव हीस्तितिक्षाऽनसूयता॥ त्यागो ध्यानमथार्यत्वं धृतिश्च सततं स्थिरा। अहिंसा चैव राजेन्द्र सत्याकारास्त्रयोदश॥ (म.भा. 12/162/8-9) सत्य, समता, दम (इन्द्रिय-निग्रह), मत्सरता का अभाव, क्षमा, लज्जा, तितिक्षा (सहनशीलता), अनसूया, त्याग, परमात्मा का ध्यान, आर्यता (श्रेष्ठ आचरण), निरन्तर स्थित रहने वाली धृति (धैर्य) तथा अहिंसा-ये तेरह (सद्गुण) सत्य के ही स्वरूप हैं, न इसमें संशय नहीं है। 第 勇 %%%%%% %%%%%%%%%% %%%%%% %% %%%% % अहिंसा कोश/141] 听听听听听听听听巩巩巩听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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