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________________ शिजार प्राचीन चरित्रकोश शिबि शिंजार-एक ऋषि, जो अश्विनों के कृपापात्र लोगों । शिनिक--एक ऋषि, जिसे मैत्रेय ऋषि से विष्णु में समाविष्ट था । ऋग्वेद में इसका निर्देश काण्व, प्रियमेध, | पुराण प्राप्त हुआ था (विष्णु. ६.८.५१)। पाटभेदउपस्तुत एवं अत्रि ऋषियों के साथ प्राप्त है (ऋ. ८.५. 'समिक' । २०:१०.४०.७ )। गेल्डनर के अनुसार, यह अत्रि शिनेय--(सो. क्रोष्ट.) एक यादव राजा, जो विष्णु ऋषि का नामांतर, अथवा उपाधि थी (गेल्डनर, ऋग्वेद के अनुसार उशनस् राजा का पुत्र था। ग्लॉसरी १७९)। ___शिप्रक--(आंध्र. भविष्य.) एक राजा, जो विष्णु के शित-विश्वामित्र ऋषि के ब्रह्मवादी पुत्रों में से एक। अनसार आंध्रवंश का सर्वप्रथम राजा था। इसे 'बलि,' शितिपष्ट-एक आचार्य, जिसने सर्पसत्र में मंत्रा- 'सिंधुक,' 'शिशुक' आदि नामांतर प्राप्त थे। वरुण' नामक ऋत्विज का काम निभाया था ( पं. वा. शिवि--एक लोकसमूह, जो आधुनिक पंजाब प्रदेश में इरावती, एवं चंद्रभागा (असिक्नी) नदियों के बीच शितिबाह ऐषकृत नैमिशि-एक यज्ञकर्ता, जिसके प्रदेश में स्थित था। यज्ञ के अपूप ' ( हविभाग ) को एक बंदर लेकर भाग | । वैदिक साहित्य में--ऋग्वेद में इन लोगों का निर्देश गया था ( जै. ब्रा. १.३६३)। । 'शिव' नाम से प्राप्त है, जहाँ अलिन, पक्थ, भलानस् , एवं शिनि-सो. पुरूरवस्.) एक राजा, जो विष्णु एवं विषाणिन् लोगों के साथ, इनके सुदास राजा के द्वारा भागवत के अनुसार गर्ग राजा का पुत्र, एवं गान्य राजा पराजित होने का निर्देश प्राप्त है (ऋ. ७.१८.७) । का पिता था। मत्स्य में इसे 'शिबि' कहा गया है। बौधायन के श्रौतसूत्र में, इन लोगों के शिवि औशीनर यह पहले क्षत्रिय था, किन्तु आगे चल कर 'गार्ग्य' राजा का निर्देश प्राप्त है (वौ. औ. ३.५३.२२)। इन नाम से ब्राह्मण, एवं अंगिरस् कुल का मंत्रकार बन गया। लोगों के अमित्रतपन नामक राजा का निर्देश भी ऐतरेय इसी कारण 'गाय' एवं 'शैन्य' लोग आगे चल कर ब्राह्मण में प्राप्त है (ऐ. ब्रा. ८.२३.१०)। 'क्षत्रोपेतद्विज' नाम से सुविख्यात हुए. (भा. ९.२१. पाणिनीय व्याकरण में-पाणिनि के अष्टाध्यायी में, १९. विष्णु, ४.१९.२३)। इन लोगों के शिविपुर, (शिवपूर) नामक नगर का निर्देश २. (सो. यदु. क्रोटु.) एक यादव राजा, जो भजमान | प्राप्त है, जो उत्तर प्रदेश में स्थित था ( महा. २.२८२ राजा का पुत्र, एवं स्वयंभोज राजा का पिता था (भा. ९. | (भा. ९. | २९३-२९४) । आधुनिक पंजाब के झंग प्रदेश में स्थित २४.२६ )। शोरकोट प्रदेश में शिबि लोग रहते थे,ऐसा माना जाता है। ..३. (सो. यदु, कोयु.) एक यादव राजा, जो मत्स्य सिकंदर के आक्रमण के समय भी ये लोग पंजाब प्रदेश के अनुसार शूर राजा का पुत्र, एवं देवमीढ़ राजा का | में रहते थे, एवं 'सिबै' अथवा 'सीबोइ' नाम से वंशज था (मत्स्य, ४६.३)। सुविख्यात थे (अरियन, इंडिका ५.१२; शिव २. देखिये)। देवकी स्वयंवर के समय, इसने विरुद्धपक्षीय सारे महाभारत में-इस ग्रंथ में इन लोगों का निर्देश शक, राजाओं को परास्त कर, देवकी को वसुदेव के लिए जीत | किरात, यवन, एवं वसाति आदि विदेशीय जातियों के लिया था। उस समय सोमदत्त नामक राजा को पटक कर | साथ प्राप्त है । उशीनर लोगों से ये लोग शुरू से ही उसे लतप्रहार किया था, किन्तु आगे चल कर उस पर | संबंधित थे, एवं शिबि औशीनर राजा के वृषदर्भ, सुवीर, दया कर उसे छोड़ दिया था ( म. द्रो. ११९.९-१४)। केकय, एवं मद्रक इन चारों पुत्रों के कारण, समस्त पंजाब ४. (सो. यदु. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, जो भागवत, | देश में इन्होंने अपना राज्य स्थापित किया था (शिवि मत्स्य एवं वायु के अनुसार अनमित्र राजा का पुत्र, | औशीनर देखिये)। एवं स.यक राजा का पिता था (भा. ९.२४.१३; मत्स्य. शांतनु राजा की माता सुनंदा, एवं युधिष्ठिर का श्वशुर १०.२२)। विष्णु में इसे सुमित्र राजा का पुत्र कहा गया | गोवासन इसी प्रदेश के रहनेवाले थे (म.आ. ९०.४६; है (विष्णु. ४.१४.१-२)। ९०.९३ )। भारतीय युद्ध में, ये लोग सौवीर देश के राजा ५. (वा. उत्तान.) एक राजा, जो चक्षु एवं नड्वला | जयद्रथ के साथ कौरवपक्ष में शामिल थे (म. उ. १९६. 5 पुत्रों में से एक था। ७-८)) प्रा. च. १२२] ९६९
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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