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________________ प्राचीन चरित्रकोश शालिहोत्र (ऋ. १०.१४२.७.८)। महाभारत में मंदपाल ऋषि की, शालावती--विश्वामित्र ऋषि की पत्नियों में से एक । . एवं शाङ्ग पक्षी का रूप धारण करनेवाले उसके चार पुत्रों शालावत्य--एक पैतृक नाम, जो निम्नलिखित की कथा प्राप्त है, जो संभवतः इसी सक्त पर आधारित आचार्यों के लिए प्रयुक्त किया गया है:- १. शिलक होगी (मंदपाल देखिये)। | (छां. उ. १.८.१); २. गळूनस आर्भाकायण (जै. उ. शागरव-भगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। ब्रा. १.३८.४)। . २. पाणिनीय व्याकरण का एक शाखाप्रवर्तक आचार्य शालि--अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । (पाणिनि देखिये)। शालिक-एक ऋषि, जो हस्तिनापुर जाते समय शायस्थि-एक पैतृक नाम, जो वंश ब्राह्मण में निम्न- श्रीकृष्ण से मिलने आये थे (म. उ. ३८८%)। लिखित आचार्यों के लिए प्रयुक्त किया गया है:- शालिन्--एक आचार्य, जो वायु के अनुसार व्यास १. बृहस्पतिगुप्त; २. भवत्रात (वं. बा. १.)। की यजुःशिष्यपरंपरा में से याज्ञवल्क्य का वाजसनेय शार्दूल-रावण पक्ष का एक राक्षस, जो उसके गुप्त- | शिष्य था। चरदल का प्रमुख था( वा. रा. यु. २९.२२)। शालिपिंड--एक नाग, जो कश्यप एवं कद्र के पुत्रों २. एक शाखाप्रवर्तक आचार्य, जो द्राह्यायण नामक में से एक था (म. आ. ३१.१४) । - सामवेदपरंपरा के आचार्य का शिष्य था। सुविख्यात शालिमंजरीपाक-एक आचार्य, जो ब्रह्मांड के खादिर 'गृह्य' एवं 'श्रीत' सूत्र शार्दूलशाखा के हीमाने अनुसार, व्यास की सामशिष्य परंपरा में से हिरण्यनाभ जाते हैं (द्राह्यायण देखिये)। आचार्य का शिष्य था (व्यास देखिये)। शार्दली--कश्यप एवं क्रोधा की एक कन्या, जिसने शालिय--एक आचार्य, जो शाकल्य का शिष्य था आगे चल कर सिंह, वाघ, एवं चीतों को जन्म दिया (भा. १२.६.५७)। (म. आ. ६०.६३)। शालिशिरस्-एक देवगंधर्व, जो कश्यप एवं मुनि . शार्यात--दार्यात राजा का नामांतर (शर्यात मानव के पुत्रों में से एक था (म. आ. ५९.४३ )। यह अर्जुन देखिये)। के जन्मोत्सव के समय उपस्थित था (म.आ.११४.२५)। २. एक ग्रंथकार एवं वैदिक सक्तद्रष्टा, जिसका पैतृक | शालिशूक--(मौर्य. भविष्य.) एक राजा, जो नाम मानव था (ऋ. १०.९२; मानव देखिये)। भागवत एवं विष्णु के अनुसार संगत राजा का पुत्र, एवं शाल--एक राजा, जो वृक एवं दुर्वाक्षी के पुत्रों में से | सोमशर्मन् राजा का पिता था (भा. १२.१.१४ ) । एक था (भा. ९.२४.४३)। | शालिहोत्र--एक आचार्य, जो प्राचीन भारतीय 'शालकटकट--अलंबुस राक्षस का नामांतर (म.द्रो. वैद्यकीय परंपरा में आद्य पशुवैद्यक-शास्त्रज्ञ माना जाता ८४.५७४; अलंबुस देखिये)। है। पंचतंत्र में, अश्वशास्त्रज्ञ शालिहोत्र का, एवं कामशालंकायन-विश्वामित्रकुलोत्पन्न एक गोत्रकार एवं | सूत्रकार वात्स्यायन का निर्देश दो प्रमुख आयुर्वेदाचार्य के मंत्रकार। नाते किया गया है। २. सुशारद नामक आचार्य का पैतृक नाम (आश्व. शालिहोत्र-तंत्र--महाभारत के अनुसार, यह अश्वविद्या श्री. १२.१०.१०; आप. श्री. २४.९.१)। का आचार्य था, एवं घोडों की जाति एवं अश्वशास्त्रशालंकायनि--अंगिराकुलोत्पत्र एक गोत्रकार। संबंधित अन्य तात्त्विक बातों के संबंध में यह अत्यंत २. विश्वामित्रकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। प्रवीण था (म. व. ६९.२७)। इसने सुश्रुत नामक शालंकायनिपुत्र-एक आचार्य, जो वार्षगणीपुत्र | आचार्य को अश्वों का आयुर्वेद सिखाया था (अग्नि. २९२. नामक आचार्य का शिष्य था (बृ. उ. ६.४-३१ माध्य.)। | ४४)। 'अश्वायुर्वेद' के संबंध में इसने 'शालिहोत्र'शलंक' के किसी स्त्रीवंशज का पुत्र होने के कारण, इसे | तंत्र' अथवा 'शाल्यहोत्र' नामक एक ग्रंथ की भी 'शालकायनि नाम प्राप्त हुआ होगा। रचना की थी, जिस ग्रंथ की दो हस्तलिखित पांडु-लिपियाँ शालहलेय-कश्यपकुलोत्पन्न एक गोत्रकार एवं लंदन के इंडिया ऑफिस लायब्ररी में विद्यमान हैं। इसी ऋषिगण । ग्रंथ का एक अनुवाद अरेबिक भाषा में १३६१ ई. स. में शालायनि-भृगुकुलोत्पन्न एक ऋषि । किया गया था।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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