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________________ शान्ति प्राचीन चरित्रकोश शार्ड १०.(सू. इ. भविष्य.) एक राजा, जो शीघ्र राजा शांबु--एक ऋषिसमुदाय, जो आंगिरस कुल में उत्पन्न का पुत्र था। हुआ था (अ. वे. १९.३९.५)। ११. एक ऋषि, जो भूति नामक ऋषि का शिष्य था । | शांबेय--प्रोति कौशांवेय कासुरुबिन्दि नामक आचार्य एक बार अपने कनिष्ठ भाई सुवर्चस् के द्वारा बुलाये जाने | का पैतृक नाम । पर भूति ऋषि ने अपने आश्रम की व्यवस्था इस पर सौंप शारदंडायनि-एक केकय राजा । इसकी पत्नी का दी, एवं वह सुवर्चस् के यज्ञ के लिये चला गया। नाम श्रुतसेना था, जो कुंती की बहन थी । इसे पुत्र न ___ अग्नि से वरप्राप्ति-इसके गुरु की अनुपस्थिति में था, जिस कारण श्रुतसेना ने इसकी संमति से एक ब्राह्मण आश्रम में स्थित अग्नि लुप्त हुयी, जिस कारण अत्यंत के द्वारा 'पुंसवन' नामक यज्ञसंस्कार कर दुर्जय आदि घबरा कर इसने अग्मि की स्तुति की। पश्चात् इसने अग्नि तीन पुत्र प्राप्त किये (म. आ. १११.३३-३५)। . से अपने आश्रम में पुनः अधिष्ठित होने की, एवं अपने शारदा-अंग देश के रौद्र केतु नामक ब्राह्मण की निपुत्रिक गुरु को पुत्र प्रदान करने की प्रार्थना की । पश्चात् | पत्नी (रौद्र केतु देखिये )। अग्नि के आशीर्वाद से भूति ऋषि को 'भौत्य मनु' नामक । २.एक ब्राह्मण स्त्री, जिसकी कथा स्कंद में 'महेश्वर सुविख्यात पुत्र हुआ। व्रत माहात्म्य' कथन करने के लिए दी गयी है (स्कंद, पश्चात् इसकी गुरुनिष्ठा से संतुष्ट हो कर, भूति ऋषि | ३.३.१८-१९)। ने इसे सांग वेदो का ज्ञान कराया (मार्क. ९७.५-२७)। शारद्वत--गौतम-आंगिरसान्तर्गत एक गोत्रनाम शांतिदेवा अथवा शांतिदेवी-देवक राजा की कन्या, | (अंगिरस् देखिये)। जो वसुदेव की पत्नियों में से एक थी (वायु. ९६.१३०)। शारद्वतिक-भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। शापहस्त-दक्ष सावर्णि मनु के खड्गहस्त नामक पुत्र शारद्वती--द्रोणाचार्य की पत्नी कृपी का नामांतर, का नामांतर। जो उसे शरद्वत् गौतम ऋषि की कन्या होने के कारण शापेय-एक आचार्य, जो पाणिनीय व्याकरण में प्राप्त हुआ था (शरद्वत् देखिये)। शाखाप्रवर्तक आचार्यो में एक था (पाणि नि देखिये) २. एक अप्सरा, जो अर्जुन के जन्मोत्सव में उपस्थित शापेयिन्-एक आचार्य, जो वायु के अनुसार, व्यास | थी (म. आ..११४:५३)। की यजःशिष्यपरंपरा में से याज्ञवल्क्य का 'वाजसनेय' शारायण-अत्रिकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ऋषिकार। शिष्य था। शारिमेजय--( सो. वृष्णि.) एक यादव राजा, शाम-यम का अनुचर एक कुत्ता, जो सरमा के दो | जो विष्णु के अनुसार श्वकल्क राजा का पुत्र था । भागवत पुत्रों में से एक था (ब्रह्मांड.३.७.३१२)। स्कंद के अनुसार, में इसे 'सारमेय' कहा गया है। यम के शाम एवं शबल नामक दो कुत्ते इसीके ही पुत्र | शार्कराक्षि--भृगकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। थे (स्कंद २.४.९)। शार्कराक्ष्य-एक पैतृक नाम, जो वैदिक साहित्य में शांब-आप नामक वसु के पुत्रों में से एक (मत्स्य. | निम्नलिखित आचार्यों के लिए प्रयुक्त किया गया है:५.२२)! १. शांब (वं. बा. १); २. जन (श. ब्रा. १०.६.१. शांव शार्कराक्ष्य-एक आचार्य, जो मद्रगार | १; छां. उ. ५.११.१, १५.१)। शौगाय नि नामक आचार्य का शिष्य, एवं 'आनंद चांध- शार्कराक्ष्य कुस्तुक--एक आवार्य, जो शार्कराक्षि नायन' नामक आचार्य का गुरु था (वं. बा. १)। इसका | नामक महर्षि का पुत्र था। इसने उदर में ब्रह्मदृष्टि की पैतृक नाम 'शार्कराक्ष्य', शकराख्य (का. सं. २२.८८), प्रतिष्ठापना कर, उपासना की थी (ऐ.बा.२.१.४ )संसार एवं 'शार्कराशि' (आश्व. श्री. १२.१०.१०) आदि का आद्य कारण आकाश ही है ऐसा इसका मत था विभिन्न रूपों में भी प्राप्त है, जो इसे 'शार्कराक्ष' का | (छां. उ. ५.१५.१)। वंशज होने के कारण प्राप्त हुए होंगे। | शाग---एक पैतृक नाम, जो ऋग्वेद में निम्नलिखित शांबव्य--एक आचार्य, जो 'शांबव्य गृह्यसूत्र' का | आचार्यों के लिए प्रयुक्त किया गया है :-१. जरितृ रचयिता माना जाता है (ओल्डेनबर्ग, इंडिशे स्टूडियेन | (ऋ. १०.१४२.१); १. द्रोण (ऋ. १०.१४२.३-४); १५.४.१५४)। ३. सारिसृक्व (ऋ. १०.१४२.५-६); ४. स्तंबमित्र ९६४
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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