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शमीक
नाम मारिषा, एवं पत्नी का नाम सुदामिनी था, जिससे इसे प्रतिक्षत्र नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था ( वायु. ९६.१३७; विष्णु. ४.१४.२३ ) । ब्रह्मा के द्वारा पुष्कर क्षेत्र में किये गये यज्ञ में यह उपस्थित था (पद्म. सृ. २३) ।
प्राचीन चरित्रकोश
शंपाक - हस्तिनापुर में रहनेवाला एक जीवन्मुक्त एवं त्यागी ब्राह्मण; जो भीष्म का गुरुतुल्य स्नेही था । इसे 'शम्याक ' नामांतर भी प्राप्त था ।
त्याग की महिमा के विषय में इसने भीष्म को उपदेश प्रदान किया था (म. शां. १७०)। यह शंपाक गीता का प्रणयिता माना जाता है ।
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शंबर कीलितर एक असुर, जो इंद्र का शत्रु था (ऋ. १.५१.६; ५४.४) । ‘कुलितर ' का पुत्र होने के कारण इसे 'कौन्तिरसैतृक नाम प्राप्त हुआ था (ऋ. ४.३०.१४) । सायण के अनुसार, आकाश में स्थित मेघ को ही वैदिक साहित्य में 'शंवर' कहा गया है । इस संबंध में यह ‘वृत्र' से साम्य रखता है ( वृत्र देखिये) ।
ऋग्वेद में - इस ग्रंथ में शुष्ण, पिप्रु वर्चिन् आदि असुरों के साथ इसका निर्देश प्राप्त है (ऋ. १.१०१६ १०२ २.१९.६ ) । यह एक दास था, एवं यह पर्वत पर । रहता था ( . २.१२) ।
शंबुक
पूर्व इंद्र को इसने ब्राह्मण - माहात्म्य समझाया था (म. अनु. ३६.४ - ११) ।
धर्म ने अपने समर्थन के लिये, इसके अनेकानेक उदरणों का उपयोग किया था (म. उ. ७२.२२)। इससे प्रतीत होता है कि, यह स्वयं एक राजनीतिज्ञ, एवं ग्रन्थकार भी था। योगवासिष्ठ में इसकी कथा 'ब्राह्मत्वभाव' के तत्व का प्रतिपादन करने के लिए गयी है (यो. बा. ४.२५)।
ऋग्वेद में अन्यत्र बृहस्पति के द्वारा इसके दुर्ग ध्वस्त किये जाने का निर्देश प्राप्त है ( . २.२४) ।
२. कंस का अनुयायी एक दानव, जो कश्यप एवं दनु का पुत्र था। इसकी पत्नी का नाम मायावती था। कृष्णपुत्र प्रयुम्न के द्वारा अपना वध होने की बातां एक वर इसे आकाशवाणी से ज्ञात हुई जिस कारण, इसने उसका अर्भकावस्था में वध करना चाहा। हिंतु इसकी प मायावती ने प्रद्युम्न की जान बचायी। आगे चल कर प्रयुम्न ने 'महामाया विद्या' की सहायता से इसका पुत्र आमात्य, एवं सेनापतियों के साथ वध किया (म. अनु. १४.२८ विष्णु. २७ मा १०.२६.२६ एवं मायावती देखिये) ।
इसकी पत्नी मायावती संतानरहित होने का भी निर्देश पुराणों में इसके सौ पुत्रों का निर्देश प्राप्त है, किंतु प्राप्त है। इससे प्रतीत होता है कि इसकी मायावती के अतिरिक्त कई अन्य पनियाँ भी थीं।
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वृत्र के समान इसके भी आकाश में अनेकानेक दुर्ग (शंबराणि) थे, जिनकी संख्या ऋग्वेद में नये (ऋ. १.२.४) ); (ऋ. १०) निन्यान्ये (ऋ. २.१९) अथवा एक सी ( २.१४) बतायी गयी है।
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इंद्र से युद्ध - यह स्वयं को देवता समझने लगा, जिस कारण इंद्र ने इसे काट कर पर्वत से नीचे गिरा दिया, एवं इसके सारे दुर्ग ध्वस्त किये (ऋ. ७.१८ १. ५४ १३० ) । इसका प्रमुख शत्रु दिवोदास अतिथिग् था, जिसके कहने पर इंद्र ने इसका वध किया (ऋ. १. ५१) | इसका वध करने के लिए, मरुतों ने एवं अश्विनी ने इंद्र की सहायता की थी (ऋ. १.४७ ११२.१४) ।
१.
दिवैरोचन के साथ, वामन ने इसे भी पाता - ३. एक दानव राजा, जो हिरण्याक्ष का पुत्र था (भा. ७. लोक में दल दिया (ब्रह्मांड. २,४०६ ) । ढकेल
।
४. त्रिपुर नगरी का एक असुर, जिसने इंद्रबलि-युद्ध में बलि के पक्ष में भाग लिया था ( मा. ८.६.२१) ।
५. कीकट देश का एक अंत्यज, जो शालिग्राम तीर्थ में स्नान करने के कारण मुक्त हुआ (पद्म. पा. २० ) ।
शंवसादन एक राक्षस, जो केसरी बानर के द्वारा
मारा गया।
शंक अथवा शंबूक-एक शुद्र को अपना गृह शुद्धधर्म छोड़ कर तपस्वी बना था महाभारत एवं रामायण में इसकी कथा प्राप्त है, जहाँ इसे क्रमशः '' एवं शंबूक' कहा गया है ( म. शां. १४९.६२ वा. रा. उ. ७६.४) ।
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त्रैवर्णिकों की सेवा करने का अपना धर्म त्याग कर यह जनस्थान में तपस्या करने लगा। इसके इस पाक के कारण, एक सोलह वर्ष के ब्राह्मण पुत्र की असामावेल मृत्यु हो गयी। अपने इस पुत्र की मृत्यु की तकरार प्राण ब्राह्मण
पौराणिक साहित्य में इन ग्रन्थों में इसे कश्यप एवं दनु का पुत्र कहा गया है ( मा. ६.१०.१९) । यह वृत्रा सुर का अनुयायी था, जिस कारण इंद्र-पुत्र युद्ध में इंद्र ने इसका वध किया (म. सौ. ११.२२ ) । अपनी मृत्यु के 11 ।
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