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________________ शतमुख प्राचीन चरित्रकोश शतमुख-एक शिवभक्त असुर, जिसने सौ साल तक अपने मांसखंडों की आहुति दे कर शिव की तपस्या की थी, जिस कारण संतुष्ट हो कर शिव ने इसे अनेकानेक वर प्रदान किये थे ( म. अनु. ४५.६८ ) । शतमुखी रावण -- मायापुरी का एक राक्षसराज, जिसने निकुंमपुत्र पौंड्रक राक्षस के साथ संकाधिपति विभीषण को पदच्युत करने का पर्यंत्र रचा था, किन्तु अंत में राम ने इसका वध किया ( आ. रा. राज्य. ५: पौंड्रक देखिये) । शतयातु-- एक ऋषि, जिसका निर्देश ऋग्वेद में पराशर के पश्चात् एवं वसिष्ठ के पहले किया गया है (ऋ. ७.१४.२१ ) | गेल्डनर के अनुसार यह वसिष्ठ ऋषि के पुत्रों में से एक था ( गेल्डनर, वेदिशे स्टूडियन ७,१८.२१ ) । शतयूप- केकय देश का एक तपस्वी राजा, जिसने अपना राज्य अपने पुत्रों को सौंप कर कुरुक्षेत्र के वन में तपस्या प्रारंभ की थी। इसके पितामह का नाम सहस्रचित्य था । अपने आयुष्य के उत्तरकाल में धृतराष्ट्र इसके आश्रम में आया था जिसे इसने वनवास की विधि बतायी थी ( म. आ. २५.९) । शतरथ-- ( .) एक राजा जो मूलक राजा का पौत्र एवं दशरथ राजा का पुत्र था। बायु में इसे मूलक राजा का पुत्र कहा गया है (वायु. ८८.१८० ) । इसे ' इलविल' एवं ' इडविड' नामांतर भी प्राप्त था, जिस कारण इसके पुत्र 'ऐलविल' अथवा 'ऐडविड' नाम से सुविख्यात हुए । शतानीक सोलह १; आश्व. गृ. ३३ ) । इस ऋषिसमुदाय में कुल ऋषि समाविष्ट थे ( आर्पानुक्रमणी १.५ ) । २. एक ऋषि, जोगराजकुमार हेमकांत के द्वारा मारा गया था ( हेमकांत देखिये) । शतलोचन -- स्कंद का एक सैनिक ( म. रा.४४.५६) । शतशब्लाक जैगीषव्य ऋषि का पिता, जिसकी पत्नी का नाम एकरातात्य था पाठभेद (वायु पुराण)'शशि' (ब्रह्मांड २.१०.२०१७२.१८ ) । शतशाद---एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से एक था। शतशीर्षा -- वासुकि नाग की पत्नी ( म. उ. ११५. ४६० ) । - शतहय - - तामस मनु के पुत्रों में से एक । शतह्रद ---एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से एक था ( मत्स्य ६.१८ ) । शतह्रदा -- एक राक्षसी, जो जवासुर की पत्नी एवं विराध की माता थी । शताजित् - (सो. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, से भजमान एवं बाहयका के पुत्रों में से एक था ! शतानंद -- एक ऋषि, जो गौतम शरद्वत् तथा ब्रह्ममानसकन्या एवं दिवोदासभगिनी अहत्या का पुत्र था। यह विदेह देश के जनक राजा का पुरोहित था, एवं राम दाशरथि के विवाह में यह मुख्य पुरोहित था ( वा. रा. बा. ५०-५१ मा. ९.२१.३४ - ३५ ) । इसके पुत्र का नाम सत्यवृति था । पाठभेद ( मस्त्यपुराण ) - ' शारद्वत' । २. सावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्पियों में से एक । शतानीक -- (सो. कुरु. ) एक राजकुमार, जो नकुल एवं द्रौपदी का पुत्र था ( म. आ. ५७.१०२ ९०.८२; मा ९.२२. २९६ मात्य. ५०.५३ ) । शतरूप - सुतार नामक शिवावतार का एक शिष्य । शतरूपा -- ब्रह्मा की एक मानसकन्या, जो उसके यामांग से उत्पन्न हुई थी। इसे सरस्वती नामांतर भी प्राप्त था ( भा. ३.१२.५२ ) । इसने दीर्घकाल तक तपस्या कर स्वायंभुव मनु राजा को पतिरूप में प्राप्त किया था। स्वायंभुव मनु से इसे प्रियव्रत, उत्तानपाद आदि सात पुत्र एवं देवहूति नामक तीन कन्याएँ उत्पन्न हुई थी ( ब्रह्मांड. २.१.५७ ) । मस्स्य में इसे अपने पिता ब्रह्मा से ही स्वायंभुव मनु मारीच आदि सात पुत्र उत्पन्न होने का निर्देश प्राप्त है। आगे चल कर मारीच को वामदेव, सनत्कुमार आदि पुत्र उत्पन्न हुए थे ( मत्स्य. ४,२४ - ३० ) । २. (सो. कुरु. भविष्य.) एक राजा, जो परिक्षित पुत्र शतर्बिन एक ऋपिसमुदाय, जिसे ऋग्वेद के कई जनमेजय का पुत्र था। इसकी माता का नाम वपुष्मा सूक्तों के प्रणयन का श्रेय दिया गया है ( ऐ. आ. २.२. | था, जो काशिराज की कन्या थी ( म. आ. ९०.९४ ) । ९४० भारतीय युद्ध में इसका निम्नलिखित योद्धाओं के साथ युद्ध हुआ था :- १. भृतकर्मन् ( म. द्रो. २४.२२ ); २. चित्रसेन (म. हो. १४३.९) २. मैन (म.प. १८ १२-१६ ); ३. अश्वत्थामन् ( म. क. ३९.१५); ५६ कुणिंदपुत्र (म. क. ६२.५२) । इसके रथ के अश्व शालपुष्प के समान रक्तिम पीले वर्ण के थे ( म. द्रो. २२.२३) । भारतीय युद्ध के अठारहवें दिन हुए रात्रियुद्ध में अश्वत्थामन् ने इसका वध किया ( म. सौ. ८.५४ ) ।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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