SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 961
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शतजित् . प्राचीन चरित्रकोश शतमायु १२. (सो. सह.) एक राजा, जो सहस्रजित् राजा का | शतधन्वन्-(सो. कोष्ट.) मिथिला देश का एक पुत्र था। इसके महाय, वेणुहय एवं हैहय नामक दुष्टप्रकृति भोजवंशीय यादव राजा, जो हृदीक राजा का तीन सुविख्यात पुत्र थे (भा. ९.२३.२१)। पुत्र, एवं कृतवर्मन् राजा का भाई था। भागवत एवं ३. कृष्ण एवं जांबवती का एक पुत्र, जो प्रभासक्षेत्र विष्णु में उसे शतधनु कहा गया है। में यादवी युद्ध में मारा गया था (भा. ९.६१.११)। कलिंग देश के राजा चित्रांगद की कन्या के स्वयंवर ४. एक यक्ष, जो आश्विन माह के सूर्य के साथ भ्रमण | में यह उपस्थित था (म. शां. ४.७)। अकर एवं कृतकरता है। वर्मन के कथनानुसार, इसने यादवराजा सत्राजित् का ५.(स्वा. नाभि.) एक राजा, जो रजस् राजा का वध किया, एवं उसका स्यमंतक मणि ले कर यह भाग पुत्र, एवं विश्वग्ज्योति आदि सौ पुत्रों का पिता था | गया (भा. १०.५७.५-२०)। (ब्रह्मांड. २.१४.७०-७२) । इस 'शतति' नामांतर पश्चात् कृष्ण ने इस पर आक्रमण किया, एवं यह भी प्राप्त था। विज्ञातहृदया नामक घोड़ी पर सवार होकर भागने लगा। शतज्योति--वैवस्वत मनुपुत्र सुभ्राज के तीन पुत्रों मिथिला नगरी के समीप श्रीकृष्ण ने इसे पकड़ कर इसका में से एक । इसे एक लक्ष. पुत्र उत्पन्न हुए थे (म. आ. शिरच्छेद किया (ह. वं. १. ३९. १९)। किंतु स्यमंतक मणि अकर के पास रखने के कारण, श्रीकृष्ण शततारका--सोम की सत्ताइस पत्नियों में से एक। । को वह प्राप्त न हो सका (भा. १०.५८.९; अकर एवं शतति--(वा. नाभि.) रजस पुत्र शत राजा का सत्राजित् देखिये)। नामांतर (शत '.. देखिये)। २. मौर्यवंशीय शतधनु राजा का नामान्तर । शततेजस--बारहवाँ व्यास ( व्यास पाराशर देखिये)।। ३. एक विष्णुभक्त राजा, जिसके पत्नी का नाम शैब्या शतदंए--एक राक्षस, जो कश्यप एवं खशा के पुत्रों था। एक पाखंडी व्यक्ति से मिलने के कारण, इसे एवं में से एक था (ब्रह्मांड. ३.७.१३५)। इसकी पत्नी को अनेकानेक कष्ट सहने पड़े (विष्णा. ३. शतदुंदुभि--जंभासुर के पुत्रों में से एक (जंभ. ९. | १८.५३-९५)। देखिये)। ४. हंसध्वज राजा का प्रधान, जिसकी माता का नाम शतद्यम्न-- एक राजा, जिस पर मत्स्य देवता ने | सुमात था। कृपा की थी (ते. ब्रा. १.५.२.१)। शतपर्वा--शुक्राचार्य की भार्या (म. उ. ११५.१३)। २. (स, निमि.) एक दानशूर राजा, जो विष्ण एवं शतप्रभेदन वैरूप--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ.१०. भागवत के अनुसार भानुमत् राजा का पुत्र था (भा. ९. | १३.२१-२२)। वायु में इसे 'प्रद्युम्न' कहा गया है। शतबल-रामसेना का एक वानर सेनापति ( वा. रा. इसने मौद्गल्य ऋषि को एक सोने का गृह प्रदान कि. ४३.१) किया था, जिस कारण इसे स्वर्गप्राप्ति हुई (म. शां. शतबलाक--एक आचार्य, जो ब्रह्मांड के अनुसार, २२६.३२: अनु. १२६.३२)। व्यास की ऋशिष्यपरंपरा में से शाकवैण रथीतर २. चाक्षुष पनु एवं नड्वला के पुत्रों में से एक था | नामक आचार्य का शिष्य था। (ब्रहांड. २.३६.७९)। शतबलाक्ष मौदगल्य–एक वैयाकरण, जिसके द्वारा शतदति-छाया अथवा सवर्णा का नामान्तर। की गयी ‘मृत्यु' शब्द की निरुक्ति का निर्देश यास्क के शतधनु-( सो. क्रोष्ट.) यादववंशीय शतधन्वन् । निरुक्त में प्राप्त है (नि. ११.६)। राजा का नामान्तर। शतबाहु--एक असुर, जो हिरण्यकशिपु का अनुगामी २.(मौर्य. भविष्य.) एक राजा, जो ब्रह्माड के अनु- था। सार देववर्मन् मौर्य राजा का पुत्र था (ब्रह्मांड. ३.७४. शतभेदन वैरूप--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०. १४८) । विष्णु, भागवत, एवं मत्स्य में इसे 'सोम- ११३)। शर्मन्पुत्र शतधन्वन्' एवं वायु में इसे 'शतधर' कहा शतमायु--एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों गया है। | में से एक था (वायु. ६८.११)। ९३९
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy