SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 963
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शतानीक प्राचीन चरित्रकोश शत्रुघ्न इसने याज्ञवल्क्य, कृप, एवं शौनक से क्रमशः वेदविद्या, | यज्ञाश्व का हरण किया था (श. बा. १३.५.४.९-१३)। अत्रविद्या, एवं आत्मविद्या प्राप्त की थी । समंतु नामक | यह सत्राजित राजा का पुत्र था, एवं वाजरत्नपुत्र आचार्य ने इसे भारत एवं भविष्य पुराण कथन किया था सोमशुष्म नामक आचार्य ने इसे 'ऐन्द्र महाभिषेक' (भवि. ब्राह्म. १.३०-३६)। किया था (ऐ. बा. ८.२१)। अथर्ववेद के अस्पष्ट अर्थ इसकी पत्नी का नाम वैदेही था, जिससे इसे अश्व के एक सूक्त में, दाक्षायणों के द्वारा इसे बाँधा जाने का मेधदन (सहस्रानीक) नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था | निर्देश प्राप्त है (अ. वे. १.३५.१; वा. सं. ३४.५२)। (ना. ९.२२३८-३९)। शतानीक राजा के जीवनात शतायु--(सो. पुरूरवस्.) एक राजा, जो विष्णु, से महाभारत में प्राप्त कुरुवंश का वृत्तान्त समाप्त होता है, मत्स्य एवं वायु के अनुसार, पुरूरवस् एवं उर्वशी के छ: (म. आ. ९०.९४-९६)। किंतु विष्णु में परिक्षित् राजा पुत्रों में से एक था (मत्स्य. २४.३४)। भागवत में इसे से ही कुरुवंश का वर्णन समाप्त होता है, एवं उसके आगे | 'सत्यायु' कहा गया है। 'भविष्य वंश' प्रारंभ होता है (विष्णु. ४.२१.१-२; भा. शत्रि आग्निवेशि--एक उदार राजा, जो अग्निवेश का पुत्र था । सांवरण प्राजापत्य नामक आचाय के द्वारा यह अत्यंत विरक्त प्रकृति का राजा था, जिस कारण | इसके दातृत्त्व की प्रशंसा की गयी है (र. ५.३४.९)। अपनी उत्तर आयुष्य में आत्मज्ञान प्राप्त कर,यह स्वर्गलोक शत्रुघातिन्--(सू. इ.) शत्रुघ्न का ज्येष्ठ पुत्र, प्रविष्ट हुआ। जिसकी माता का नाम श्रुतकीर्ति था (वा. रा. उ. १०८. ३. (सो. कुरु. भविष्य) एक कुरुवंशीय राजा, जो | ११)। इसे निम्नलिखित नामांतर भी प्राप्त थे:महाभारत के अनुसार वसुदान राजा का, मत्स्य के अनु- | यूपकेतु; शूरसेन (वायु. ८८. १८६); श्रुतसेन (भा. सार वसुदामन राजा का, एवं भागवत के अनुसार सुदास ९.११.१३)। लक्ष्मण के पश्चात् , यह वैदिश राज्य के राजा का पुत्र था (मत्स्य ५०.८६)। इसके पुत्र का नाम राजसिंहासन पर अधिष्ठित हुआ था (वा. रा. उ. दुर्दमन (उदयन) था (भा. ९.२२.४३)। इसका सविस्तृत १०८.११)। बंदाक्रम विष्णु में निम्नप्रकार दिया गया है:-वसुदामन- परिवार--इसकी निम्नलिखित पत्नियाँ थी:-- १. शतानीक-उदयन-वहीनर-खंडपाणि-निरमित्र-क्षेमक । मदनसुंदरी एवं २. शिवकांति, जो कंबुकंठ राजा की कन्याएँ क्षेमक राजा के साथ सोमवंश समाप्त होता है (विष्णु. | | थी, एवं जो इसे स्वयंवर में प्राप्त हुई थी (आ. रा. ४.२१.३)। | विवाह. ८); ३. मालती (आ. रा. विवाह. ७)। ४. मत्स्यनरेश विराट के सोमदत्त नामक छोटे भाई शत्रुघ्न--(सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो 'का नामान्तर (म. वि. ३०.१३)। भारतीय युद्ध में यह दशरथ राजा का पुत्र, एवं राम दाशरथि का कनिष्ठ सापत्न द्रोण के द्वारा मारा गया (म. वि. ३.१९; म. द्रो.२०.२२; बंधु था । इसकी माता का नाम सुमित्रा था, एवं लक्ष्मण क. ४.८३)। इसका ज्येष्ठ सगा भाई था। फिर भी अपने सापत्न ५. मत्स्यनरेश विराट का भाई एवं सेनापति । विराट बंधु भरत से ही यह अधिक सहानुभाव रखता था, जिसके द्वारा किये गये घोषयात्रा युद्ध में, इसने त्रैगों के साथ कारण 'राम-लक्ष्मण' के समान 'भरत-शत्रुघ्न' का युद्ध किया था (म. वि. ३१.१६)। जोड़ा भ्रातृभाव की ज्वलंत प्रतिमा बन कर प्राचीन भारतीय युद्ध में यह पांडवों का प्रमुख योद्धा था (म. | इतिहास में अमर हो चुका है। द्रो. १४३.२७) । इसी युद्ध में, शल्य के द्वारा इसका वध राम का यौवराज्याभिषेक--दशरथ के द्वारा राम का हुआ (म. द्रो. १४३.२७)। यौवराज्याभिषेक जब निश्चित हुआ, उस समय यह भरत ६. ब्रह्मसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक (ब्रह्मांड. ४. के साथ उसके ननिहाल में था। अयोध्या आने पर १.७२)। इसे राम को वनवास प्राप्त होने के संबंध में वार्ता ज्ञात ७. एक राजा, जो बृहद्रथ राजा का पुत्र था (विष्णु. हुई । पश्चात् इस सारे अनर्थ का कारण मंथरा है, यह | ज्ञात होते ही इसने उसे पकड़ कर घसीटा, एवं खूब हातानीक सात्राजित--एक भरतवंशीय सम्राट् , - पीटा । यह उसका वध भी करना चाहता था, किन्तु भरत जिसने काशिनरेश धृतराष्ट्र को पराजित कर, उसके | ने इसे इस अविचार से परावृत्त किया। ९४१
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy