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________________ शंख कोप्य प्राचीन चरित्रकोश शंख कोष्य--एक आचार्य, जो यज्ञकर्म से संबंधित ४. एक यक्ष, जो कुवेर का अनुचर था। एक बार इसने अनेकानेक नये मतों का प्रवर्तक था। यह जात शाकायन्य गोकुल में रहनेवाली कई गोपियों का हरण किया, जिस नामक आचार्य का समकालीन था (का. सं. २२.७)। कारण कृष्ण ने इसका वध किया, एवं इसके सिर का मणि शंख बाभ्रव्य--एक आचार्य, जो राम कातुजातेय | बलराम को अर्पण किया (भा. १०.३४.२५-३२)। वैव्याघ्रपद्य नामक आचार्य का शिष्य था (जै. उ. बा. । शंखण एवं शंखनाभ -(सू. इ.) इक्ष्वाकुवंशीय ३.४१.१; ४.१७.१)। खगण राजा का नामांतर । ब्रह्मांड में इसके पुत्र का नाम शंख यामायन-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ.१०.१५)। व्युषिताश्व दिया गया है (ब्रह्मांड. ३.६३.२०५-२०६)। शंखनख-वरुणसभा का एक नाग (म. स. ९.९९%)। शंखचूड--रामसेना का एक वानर । राम के द्वारा शंखपद-एक राजा, जो स्वारोचिष मनु का पुत्र एवं प्रशस्ति की जाने के कारण, यह सुग्रीव के कृपापात्र वानरों शिष्य था। मनु ने इसे सात्वत धर्म का ज्ञान प्रदान किया में से एक बना था (वा. रा. उ. ४०.७)। . था, जो आगे चल कर इसने सुधर्मन् दिशापाल नामक २. एक विष्णुभक्त राक्षस, जो विप्रचित्ति राक्षस का पौत्र, अपने शिष्य को सिखाया था (म. शां.३३६.३४-३५)। एवं दंभ राक्षस का पुत्र था। इसकी पत्नी का नाम तुलसी २. दक्षिण देश का एक राजा, जो कर्दम प्रजापति, एवं था, जिससे इसने गांधर्व विवाह किया था। देवी भागवत में श्रुति के पुत्रों में से एक था (ब्रह्मांड. ३.८.१९)। अपने इसकी पत्नी का नाम पद्मिनी अथवा विरजा दिया गया है । उत्तर आयुष्य में, यह तपस्वी एवं ऋषिक बन गया अपने पूर्व जन्म में, यह सुदामन नामक विष्णु-पार्षद था (मत्स्य. १४५.९६)। (दे. भा. ९.१८)। शंखपाद--एक राजर्षि, जो लोकाक्षि नामक शिवावतार अनाचार-इसकी पत्नी तुलसी के पातिव्रत्य के का एक शिष्य था (वायु. २३.१३५) । कारण, एवं विष्णु से प्राप्त किये विष्णुकवच के कारण, ___ शंखपाद अथवा शंखपाल-एक सहस्रशीर्ष नाग, यह समस्त पृथ्वी में अजेय बन गया था। इसी कवच के जो कश्यप एवं कद के पुत्रों में से एक था। यह भाद्रपद बल से इसने देवों को त्रस्त करना प्रारंभ किया, एवं उनके माह के सूर्य के साथ भ्रमण करता है (भा. १२.११.३८)। राज्य यह हस्तगत करने लगा। शंखपिंड-एक नाग, जो कश्यप एवं कद्र के पुत्रों में वध-इसके दुष्कायों को देख कर, श्रीविष्णु ने इसका से एक था। वध करने का निश्चय किया। तत्पीयर्थ उसने इसकी पत्नी , शंखमत्--एक ऋषिक (वायु. ५९.९४ ) । पाठभेददलसी का पातिव्रत्यप्रभाव नष्ट किया, एवं तत्पश्चात् खपाद' एवं 'शंशपा। एक ब्राह्मण का रूप धारण कर, इससे विष्णुकवच भी मा न शंखमुख-शंखद्वीप में रहनेवाला नागों का एक राजा, दान के रूप में प्राप्त किया। | जो कश्यप एवं कदू के पुत्रों में से एक था (म. आ. ६५. तदपरांत शिव ने काली के समवंत इस पर आक्रमण ११; वायु. ४८.३३)। किया, एवं विष्णु के द्वारा दिये गये शूल का सहायता स शंखमेखल-एक ब्रह्मर्षि, जो सर्पदंश से मृत हुई प्रमद्वरा इसका वध किया । इस युद्ध में शिव की ओर से काली, को देखने के लिए उपस्थित हुआ था (म. आ.८.२०)। एवं इसकी ओर से तमाम राक्षसियों ने भाग लिया था। यह यमसभा का एक सदस्य भी था (म. स. ९.३४)। माहाम्य--इसकी मृत्यु के पश्चात् , इसके हड्डियों से शंखरोमन्--एक नाग, जो कश्यप एवं कटू के पुत्रों शंख बने, जिन्हें विष्णुपूजा में अग्रमान प्राप्त हुआ। में से एक था। शंकर को छोड़ कर अन्य देवताओं पर डाला गया जल शंख लिखित-एक ऋषिद्वय (शंख एवं लिखित तीर्थजल के समान पवित्र माना जाता है । इसका शब्द भी देखिये)। शुभ माना जाता है, किंतु इसके ऊपर तुलसीदल चढ़ाना शंखशिरस--एक नाग, जो कश्यप एवं कद्र के निषिद्ध एवं अशुभ माना गया है (दे. भा. ९.१७.२५, पुत्रों में से एक था (म. आ. ३१.१२)। पाठब्रह्मवै. २.१६-२०; शिव. रुद्र. यु. २७-४०), 'शंखशीर्ष ३. पाताल में रहनेवाला एक प्रमुख नाग (भा. ५. शंग--तामस मन्वंतर एक का योगवर्धन । २४.३१)। ५. उत्तम मन्वंतर का एक ऋषि (मस्त्य. ९.१४)। प्रा. च. ११८] ९३७
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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