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________________ व्यास . प्राचीन चरित्रकोश वात को अत्यंत आनंद हुआ, एवं अपने द्वारा प्रणीत परमेश्वर- सुंदर थी, जिसके प्रति अत्यधिक कामासक्त होने के कारण, प्राप्ति के मार्ग सत्य होने का साक्षात्कार इसे प्राप्त हुआ इसकी राजयक्ष्मा से असामयिक मृत्यु हो गयी। (वायु, १०४.५८-९४)। इसकी मृत्यु के पश्चात् , इसके शव से भद्रा को सात व्यास का जीवन-संदेश-चतुर्विधपुरुषार्थों में से केवल | पुत्र उत्पन्न हुए (म. आ. ११२. ७-३३)। इसके इन सात पुत्रों में से, तीन पुत्र शाल्व नाम से, एवं बाकी चार धर्माचरण से ही अर्थकामादि पुरुषार्थ साध्य हो सकते हैं, | क्यो कि, मानवीय जीवन में एक धर्म ही केवल शाश्वत, भद्र नाम से सुविख्यात हुए। चिरंतन एवं नित्य है, बाकी सारे सुखोपभोग एवं पुरुषार्थ व्युष्ट--(स्वा. उत्तान.) एक राजा, जो पुष्पार्ण एवं दोषा के पुत्रों में से एक था। इसकी पत्नी का नाम अनित्य हैं, ऐसा व्यास का मानवजाति के लिए प्रमुख पुष्करिणी था, जिससे इसे सर्वतेजस् नामक पुत्र उत्पन्न संदेश था। महाभारत पुराणादि अपने सारे साहित्य में हुआ था (भा. ४.१३.१४)। इसने यही संदेश पुनः पुनः कथन किया। इतना ही नहीं, २. एक वसु, जो विभावसु एवं उषा के पुत्रों में से एक महाभारत के अंतिम भाग में भी इसने यही संदेश था (भा. ६.६.१६)। दुहराया है, जिसमें एक द्रष्टा के नाते इसकी जीवनव्यथा बहुत ही उत्स्फूर्त रूप से प्रकट हुई है-- व्यूढोरस्--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक, जो भीमसेन के द्वारा मारा गया। उर्ध्वबाहुर्विरौस्येष नच कच्छिच्छणोति माम् । व्यूढोरु--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से धर्मादर्थश्च कामश्च स किमर्थं न सेव्यते | एक, जो भीमसेन के द्वारा मारा गया। (म. स्व. ५,४९)। व्योमन्-(सो. क्रोष्टु.) एक राजा, जो भागवत, (हाथ ऊंचा कर सारे संसार से मैं कहता आ रहा हूँ विष्णु, मत्स्य एवं वायु के अनुसार दशाह राजा का पुत्र कि, अर्थ एवं काम से भी अधिक धर्म महत्त्वपूर्ण है। किंतु था। इसके पुत्र का नाम जीमूत था ( दाशार्ह देखिये)। कोई भी मनुष्य मेरे इस कथन की ओर ध्यान नहीं देता | ___व्योमासुर--एक असुर, जो मयासुर का पुत्र एवं कंस का अनुगामी था। कृष्णवध करने के लिए यह गोप वेश धारण कर गोकुल में आया, जहाँ कृष्ण ने इसका · व्यास बादरायण-ब्रह्मसूत्रों का कर्ता माने गये बाद- वध किया (भा. १०.३७.२८-३२.)। रायण नामक आचार्य का नामांतर ( बादरायण देखिये )। । ब्रज-ऊरु एवं षडाग्नेयी के पुत्रों में से एक। भागवत के अनुसार, यह एवं कृष्ण द्वैपायन व्यास दोनों व्रत--(स्वा. उत्तान.) एक राजा, जो चाक्षुष मनु के एक ही व्यक्ति थे (भा. ३.५.१९)। किंतु इस संबंध में पुत्रों में से एक था। इसकी माता का नाम नड्वला था निश्चित रूप से कहना कठिन है। (भा. ४.१३.१६)। व्याहृति-एक कन्यात्रय, जो सवितृ तथा पृश्नी की २. अभूतरजस् देवों में से एक । संतान थी (भा. ६.१८.१)। वतिन्-वर्तमान वैवस्वत मन्वन्तर का अठारहवाँ व्यास। व्युत्थिताश्व-इक्ष्वाकुवंशीय ध्युषिताश्व राजा का वतेयु--(सो. पुरूरवस्.) एक राजा, जो रौद्राश्व नामांतर। राजा का पुत्र था। व्युषिताश्व--(सो. पूरु.) एक राजा, जिसकी पत्नी वात--(सू. इ. भविष्य.) एक राजा, जो वायु का नाम काक्षीवती भद्रा था। इसकी पत्नी अत्यधिक ! के अनुसार कृतंजय राजा का पुत्र था (वायु. ९९.२८७)। प्रा. च. ११७] ९२९ ९२९
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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