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________________ व्यास प्राचीन चरित्रकोश व्यास एवं तत्त्वज्ञान की चौखट में बिठाने के कारण, महाभारत महाभारत के उपपर्व- उपर्युक्त पर्वो में से बहुशः सभी सारे पुराणग्रंथों में एक श्रेष्ठ श्रेणि का तत्त्वज्ञानग्रंथ बन पर्यों के अंतर्गत कई छोटे-छोटे आख्यान भी हैं, जिन्हें गया है। ' उपपर्व' कहते हैं । महाभारत के पर्चा में प्राप्त उपपों धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष इन चतुर्विध पुरुषार्थी के की संख्या नीचे दी गयी है:--१. वनपर्व-२१; आचरण में ही मानवीय जीवन की इतिकर्तव्यता है, एवं २. आदिपर्व-१९:३. उद्योगपर्व-१०; ४. सभापर्वकर्म, ज्ञान, उपासना आदि से प्राप्त होनेवाला मोक्ष | -८५. द्रोणपर्व-८; ६. भीष्मपर्व--४;७.शल्यपर्वअन्य तीन पुरुषार्थों के आचरण के बिना व्यर्थ है, यही -३, ८. स्त्रीपर्व-२,८. शांतिपर्व--३, ९. आश्वमेधिकसंदेश व्यास के द्वारा महाभारत में दिया गया है। व्यास पर्व-३, १०. आश्रमवासिकपर्व ३, ११. सौप्तिकपर्व-२: के द्वारा विरचित महाभारत के इस राजनैतिक एवं १२. अनुशासनपर्व-२। कर्ण, मौसल, महाप्रस्थानिक एवं तात्त्विक अधिष्ठान के कारण, यह एक सर्वश्रेष्ठ एवं अमर स्वर्गारोहण पों में उपपर्व नहीं हैं। इतिहास-ग्रंथ बना है । इस ग्रंथ की सर्वकपता के कारण, हरिवंश--महाभारतांतर्गत 'हरिवंश' महाभारत का ही मानवी जीवन के एवं समस्याओं के सारे पहलू किसी | एक भाग माना जाता है। इसी कारण उने महाभारत का न किसी रूप में इस ग्रंथ में समाविष्ट हो चुके हैं, जिस 'खिल' एवं 'परिशिष्ट' पर्व कहा जाता है। महा-' कारण 'व्यासोच्छिष्ट जगत्सर्वम्' यह आर्षवाणी सत्य भारत की एक लक्ष श्लोकसंख्या भी हरिवंश' को समाविष्ट प्रतीत होती है (वैशंपायन एवं वाल्मीकि देखिये)। करने के पश्चात् ही पूर्ण होती है। महाभारत की व्याप्ति--इस ग्रंथ की विषयव्याप्ति हरिवंश' के निम्नलिखित तीन पर्व है :--१. हरिवंश बताते समय स्वयं व्यास ने कहा है, 'हस्तिनापुर के करु ! पर्व (५५ अध्याय) २. विष्णुपर्व (१२८ अध्याय); वंश का इतिहास कथन कर पाण्डपुत्रों की कीर्ति संवर्धित ३. भविष्यपर्व (१३५ अध्याय)। करने के लिए इस ग्रंथ की रचना की गयी है । इस वंश हारवश म या हरिवंश में यादववंश की सविस्तृत जानकारी प्राप्त है, में उत्पन्न गांधारी की धर्मशीलता, विदर की बद्धिमत्ता. | जो पूरुवंश एवं भारतीय युद्ध का ही केवल कुंती का धैय, श्रीकृष्ण का माहात्म्य, पाण्डवों की सत्य वर्णन करनेवाले 'महाभारत' में अप्राप्य है । हरिवंश में परायणता एवं धृतराष्ट्र पुत्रों का दुर्व्यवहार चित्रित प्राप्त यादवों के इस इतिहास से, महाभारत में दिये गये करना, इस ग्रंथ का प्रमुख उद्देश्य है (म. आ. १. पूरुवंश के इतिहास की पूर्ति हो जाती है। ___ भागवतादि पुराणों में यादववंश की जानकारी प्राप्त महाभारत की शिष्यपरंपरा--व्यास के द्वारा विरचित है, उससे कतिपय अधिक जानकारी हरिवंश में प्राप्त है। महाभारत ग्रंथ का नाम 'जय था, जिसकी श्लोकसंख्या | हरिवंश माहात्म्य' के छः अध्याय पन में उथत किये लगभग २५०००थी। अपना यह ग्रंथ इसने वैशंपायन नामक गये हैं। किन्तु आनंदाश्रम पूना के द्वारा प्रकाशित पन्न अपने शिष्य को सिखाया, जिसने आगे चल कर उसी उसी के संस्करण में वे अध्याय अप्राप्य है। ग्रंथ का नया परिवर्धित रूप 'भारत' नाम से तैयार ___'भारतसावित्री' नामक सौ लोकों का एक प्रकरण किया, जिसका नया परिवर्धित संस्करण रोमहर्षण सौति | उपलब्ध है, जिसमें भारतीय युद्ध की तिथिवार जानकारी के द्वारा 'महाभारत' नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस प्रकार | एवं प्रमुख वीरों की मृत्युतिथिया दी गयी है। महाभारत का प्रचलित संस्करण सौति के द्वारा तैयार व्यास की संशयनिवृत्ति-व्यास के जीवन से संबंधित किया गया है (वैशंपायन एवं रोमहर्पण सूत देखिये)। | एक उद्बोधक आख्यायिका वायु में प्राप्त है। पुराणों की ___ महाभारत के पर्व-महाभारत का विद्यमान संस्करण | रचना करने के पश्चात् एक बार इसे संदेह उत्पन्न हुआ कि, एक लाख श्लोकों का है, जो निम्नलिखित अठारह पों 'यज्ञकर्म,' 'चिंतन (ज्ञान) एवं 'उधाममा परमेश्वरप्राप्ति में विभाजित है :--१. आदि; २. सभा; ३. वन- के जो तीन मार्ग इसने पुराणों में प्रतिपादन किये है, वे सच (आरण्यक); ४, विराट; ५. उद्योग; ६. भीष्मः ७. द्रोण; हैं या नहीं ? इसके इस संदाय का निवास करने के लिए, ८. कर्ण; ९. शल्य; १०. सौप्तिक; ११. स्त्री; १२. शांति; चार ही वेद मानुपीरूप धारण कर इसके पास आये। इन १३. अनुशासन; १४. आश्वमेधिक; १५. आश्रमवासिक वेदपुरुषों के शरीर पर यशकर्म, ज्ञान एवं उपासना ये तीनों १६. मौसल, १७, महाप्रस्थानिक; १८. स्वर्गारोहण ही उपासनापद्धति विराजित थीं, जिन्हें देख कर व्यास ९२८
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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