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धीरहोत्र
प्राचीन चरित्रकोश
वृकद्वरस्
वीतहव्य नामान्तर भी प्राप्त था (वीतहव्य २. देखिये )। ३. एक सदाचारी राजा, जिसने अपने जीवन में मांसवायु में इसे तालजंघ का पुत्र कहा गया है (वायु. ९४. | भक्षण वज्यं किया था (म. अनु. ११५.७२)।
४. एक राजा, जो पृथु वैन्य एवं अर्चिष्मती के पुत्रों में वीरा--एक राजस्त्री, जो वीर्यचंद्र राजा की कन्या, | से एक था। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात , यह उसके करंधम राजा की पत्नी, एवं अविक्षित् राजा की माता थी | पश्चिम साम्राज्य का अधिपति बन गया (भा. ४.२२.५४)। (मार्क. ११९.२)। एक बार सपों ने समस्त सृष्टि को अत्यंत । ५. एक असुर, जो हिरण्यकशिपु का अनुयायी था प्रस्त किया था, जिस कारण इसने अपने पौत्र मरुत्त के | (भा. ७.२.१८)। यह शकुनि नामक राक्षस का पुत्र द्वारा सर्पसंहार प्रारंभ किया । पश्चात् सारे सर्प इसकी था। इसकी जीवनकथा भस्मासुर के जीवन से काफ़ी साम्य स्नुषा अविक्षित्पत्नी वैशालिनी की शरण में गये, जिसने | रखती है। अपने पति अविक्षित् के द्वारा सर्पसत्र बन्द करवाया इसे शिव से आशीर्वाद प्राप्त हुआ था कि, जिसके (मार्क. १२६)।
मस्तक पर यह हाथ रखेगा वह जल कर भस्म हो जायेगा। २. शंयुपुत्र भरद्वाज नामक अग्नि की पत्नी। इसके | फिर यह उन्मत्त हो कर स्वयं शिव को ही दग्ध करने के पुत्र का नाम वीर था. (म. व. २०९.१०)। लिए प्रवृत्त हुना। पश्चात् विष्णु ने ब्रह्मचारिन् का रूप
वीरिणी-वीरण प्रजापति की कत्या, जो दक्ष प्राचेतस | धारण कर, इसे स्वयं के ही मस्तक पर हाथ रखने के लिए की पत्नी थी। यह ब्रह्मा के बाये पैर के अंगूठे से उत्पन्न | प्रवृत्त किया, जिस कारण यह भस्म हुआ ( भा. १०.८८. हुई थी (म. आ. ७०.५)।
१३-१६)। . इसे कुल एक हज़ार पुत्र, एवं पचास कन्याएँ उत्पन्न ६. (सू. इ.) एक राजा, जो भरुक राजा का पुत्र, एवं हुई थी। इसके पुत्रों में सुव्रत प्रमुख था।
| बाहुक राजा का पिता था (भा. ९.८.२)। २. शुकपत्नी पीवरी का नामान्तर ।
७. एक राजा, जो शूर एवं मारिषा के पुत्रों में से एक ३. वीरसेन राजा की कन्या, जो ब्रह्मा की पौत्री, एवं | था। इसकी पत्नी का नाम दुर्वाक्षी था, जिससे इसे तक्ष चाक्षुष राजा की पत्नी थी (मत्स्य. ४.३९)। एवं पुष्कर नामक पुत्र उत्पन्न हुए थे (मा. ९.२४.२९;
वीरुधा-एक नागकन्या, जो नागमाता सुरसा के तीन | ४३)। कन्याओं में से एक थी। इसकी अन्य दो बहनों का नाम ८. एक यादव-राजकुमार, जो कृष्ण एवं मित्रविंदा अनला एवं रहा था। इसकी संतानों में लता, गुल्म, वल्ली के पुत्रों में से एक था (भा. १०.६१.१६)। भादि वनस्पतिविशेष प्रमुख थे (म. आ. ६०.५५२४)। ५. एक यादव राजकमार. जो वत्सक यादव एवं मिश्र
वीर्यचंद्र--करंधम-पत्नी वीरा का पिता (वीरा १. केशी नामक अप्सरा के पुत्रों में से एक था (भा. ९.२४. देखिये)।
४३)। वीर्यवत्-एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में १०. (स्वा. उत्तान.) एक राजा, जो शिष्ट एवं से एक था।
सुच्छाया के पुत्रों में से एक था (मत्स्य. ४.३९)। २. एक सनातन विश्वदेव (म. अनु. ९१.३१)। ११. (सू. इ.) एक राजा, जो रोहित राजा का पुत्र
चुक-एक राजा, जो द्रौपदी-स्वयंवर में उपस्थित था | था (मत्स्य. १२.३८)। (म. आ. १७७.९)। भारतीय-युद्ध में यह कौरवों के १२. पुष्टि ( सृष्टि) एवं छाया के पुत्रों में से एक पक्ष में शामिल था। नकुल के पराजय के पश्चात् , ग्यारह (वायु. ६२.८३)। पाठ-'वृकल' । पाण्डव वीरों के साथ हुए युद्ध में यह शामिल था (म.क. १३. एक यादव-राजकुमार, जो कृष्ण एवं सत्या ६२.४८) । अन्त में किसी पर्वतीय नरेश के द्वारा यह (माद्री) के पुत्रों में से एक था (भा. १०.९०.३३)। मारा गया।
१४. हरित राजा का नामान्तर । २. पाण्डवों के पक्ष का एक राजा । भारतीय युद्ध में वृकद्वरस--शण्डिल लोगों का एक राजा, जिसके यह अपने अश्व एवं सारथि के साथ द्रोण के द्वारा मारा विरुद्ध किये गये एक युद्ध का निर्देश ऋग्वेद में प्राप्त है गया (म. द्रो. २०.१६)।
(ऋ. २.३०.४)। रौथ एवं ओल्डेनबर्ग के अनुसार,