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________________ विष्णुगुप्त 'चाणक्य' , प्राचीन चरित्रकोश था। बहुतीपुत्र, वातव्याधि, विशालाक्ष पाराशर, पिशुन (चार्य, गरदन्त प्रमुख हैं। महाभारत के । अनुसार, प्रारंभ में धर्म, अर्थ एवं काम इन तीन शास्त्रों का एक विचार त्रिवर्गशास्त्र' नाम से किया जाता ' या इस त्रिशास्त्र का आय निर्माता ब्रह्मा था, जिसका संक्षेप सर्वप्रथम शिव ने 'बैशाखाक्ष' नामक ग्रंथ में किया, एवं उसी ग्रंथ का पुनःसंक्षेप इंद्र ने 'बाहुदंतक' नामक ग्रंथ | अंग में किया। आगे चलकर बृहस्पति ने इसी ग्रंथ का पुनः एकवार संक्षेप किया, जिसमें अर्थ को प्रधानता दी गयी थी। ये सारे ग्रंथ 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' के रचनाकाल में यद्यपि अनुपलब्ध थे, फिर भी उशनस् का ओशनस ' अर्थशास्त्र,' पिशुन का 'अर्थशास्त्र' एवं द्रोण भारद्वाज का 'अर्थशास्त्र' उस समय उपलब्ध था, जिनके अनेक उद्धरण 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' में प्राप्त है (की. अ. १.७१ १५१६६५,६० ८.३ ) | " कौटिलीय अर्थशास्त्र का प्रभाव - प्राचीन भारतीय साहित्य में से वात्स्यायन विशाखदत्त, दण्डिन् ग बाण, विष्णुशर्मन आदि अनेकानेक अर्थकार एवं मलिनाथ, मेधातिथिन आदि टीकाकार 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' से प्रभावित प्रतीत होते है, जो उनके ग्रंथों में प्राप्त उदरणों सेरा है। इण्टिन के 'दशकुमारचरित में प्राप्त निर्देशों निग से प्रतीत होता है कि, रामकुल में उत्पन्न राज कुमारों के अध्ययनग्रंथों में भी इस ग्रंथ का समावेश होता था ( दशकुमार. ८ ) । विष्णु कल्कि दिया जाता है, जिन्होंने इस ग्रंथ की प्रामाणिक आवृत्ति सानुवाद रूप में ई. स. १९०९ में प्रथम प्रकाशित की थी। मेगॅस्थिनिय के 'इंडिका' से सुना कौटिलीय अर्थशास्त्र एवं मेस्थिनिस के 'इंडिका' में अनेक साम्यस्थल प्रतीत होते है, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं:-१. इन दोनों ग्रंथों में गुलाम लोगों का निर्देश प्राप्त है २. राज्य की सारी जमीन का मालिक स्वयं राजा है, जो उसे अपने प्रभावन को उपयोग करने के लिए देता है २. इन दोनो ग्रंथों में निर्दिष्ट मजदूर एवं व्यापार विषयक विधि-नियम एक सरीखे ही है। आगे चलकर 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' में प्रतिपादित व्यापक राजनीतिशास्त्रविषयक सिद्धान्तों को लोग भूल कै, एवं इस ग्रंथ में प्राप्त विषप्रयोगादि कुटिल उपचारों के लिए ही इस ग्रंथ का पठनपाठन होने लगा। इस कारण इस ग्रंथ को कुरापाति प्राप्त हुई, एवं समाज में इसकी प्रतिष्ठा प्रेम होने लगी। इसी कारण बाणभट्ट ने । अपनी ' कादम्बरी में इस ग्रंथ को अतिनृशंस कार्य को उचित माननेवाला एक है न श्रेणी का ग्रंथ कहा है। , वही कारण है कि, मेधातिथिन् के उत्तरकालीन ग्रंथों में 'टिलीय अर्थशास्त्र' के कोई भी उद्धरण प्राप्त नहीं होते है, जो इस ग्रंथ के टोप का प्रत्यंतर माना जा सकता है। याज्ञल्क्य इन साम्यस्थलों से प्रतीत होता है कि, उपर्युक्त दोनों ग्रंथों का रचनाकाल एक ही था, जो मनु, नारद, याशक्य आदि स्मृतियों से काफी पूर्वकालीन था। इस प्रकार इस ग्रंथ का रचनाकाल ३०० ई. पू. माना जाता है । विष्णुदास एक ब्राह्मण, जो विष्णु का परमभक्त था (चोल. २. देखि ) । विष्णुधर्म -- गरुड़ की प्रमुख संतानों में से एक । विष्णुयशस् कल्कि विष्णु का दसवाँ अवतार, जो वर्तमान युग के अंत के समय सम्मल नामक ग्राम में अवतीर्ण होनेवाला है (मा. १.२.२५० १२.२.१८ ) । विष्णु का यह अवतार अश्वारूढ एवं खड्गधारी होगा। विष्णु का यह अवतार याज्ञवल्क्य के पुरस्कार से उत्पन्न होनेवाला है। यह अत्यंत पराक्रमी, महात्मा, सदाचारी । एवं प्रजाहितदक्ष होगा। इच्छा करते ही नाना प्रकार के अब वाहन, कवच इसे प्राप्त होंगे। अवतार - हेतु -- कलियुग का अंत करने के लिए इसका प्रादुर्भाव होगा। यह स्लेच्छों का एवं मौद्ध धर्मियों का संहार करेगा, एवं इस प्रकार नये सत्ययुग का प्रवर्तन करेगा ( म. म. १८८०८९-९१) । | इसके अश्व का नाम देवदत्त होगा। इस अश्व की सहायता से यह अश्वमेध करेगा, एवं सारी पृथ्वी विधिपूर्वक, ब्राह्मणों को दे देगा। यह सदैव स्युबध में तत्पर रह कर, समस्त पृथ्वी पर फिरता रहेगा। अपने द्वारा जीते हुए देशों में यह कृष्ण, मृगचर्म, शक्ति, त्रिशूल आदि अस्त्रशस्त्रों की स्थापना करेंगा | इसके द्वारा दस्युओं का नाश होने पर अधर्म का भी नाश हो जायेगा, एवं धर्म की वृद्धि होने लगेगी। इस प्रकार सत्ययुग का प्रारंभ होग, एवं पृथ्वी के सभी मनुष्य सत्यधर्मपरायण होगे। सत्ययुग के इस प्रारंभकाल में, चंद्र, सूर्य, गुरु एवं शुक्र ये चारों ग्रह एक राशि में आयें 'कीटिलीय अर्थशास्त्र' के आधुनिक कालीन पुनरुद्धार वासुविख्यात दाक्षिणात्य पण्डित डॉ. श्यामशास्त्री को प्रा. च. ११२ ] ८८९
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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