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विष्णुयशस् कल्कि
गे । इस प्रकार सत्ययुग की स्थापना करनेवाला विष्णुयशस् चक्रवर्ती एवं युगप्रवर्तक सम्राट माना जाएगा ।
इस प्रकार अपना अवतारकार्य समाप्त करनेपर यह वन में तपस्या के लिए चला जायेगा । किन्तु इस जगत् के निवासी इसके शील स्वभाव का अनुकरण करते ही रहेंगे (कूर्म. १.३१.१२; वायु. ९८.१०४ - ११५ ब्रह्मांड. ३. ७३.१०४ - ११०; ह. वं. १.४१.६४ - ६७ ) । विष्णुरात परिक्षित्रा का नामान्तर (भा. १. १२.१६) ।
प्राचीन चरित्रकोश
वीतहव्य
विश्वगंश्व गौरव -- एक पूरुवंशीय सम्राट, जिसे अर्जुन ने उत्तर दिग्विजय के समय जीता था ( म. स. २४.१३ ) ।
अवतार ।
६. एवं चौदहवाँ मनु, जो भविष्यकाल में होनेवाला है (मत्स्य. ९ पद्म. स. ५ ) ।
विश्वगय (सु, इ. ) एक राजा, जो पृथु राजा का पुत्र था । इसके पुत्र का नाम अद्रि था ( म. आ २-३ ) ।
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विश्रुत - - (सू. निमि.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार देवमीढ राजा का पुत्र । विष्णु एवं वायु में इसे विबुध कहा गया है । इसके पुत्र का नाम महाधृति था (मा. ९.१२.१६ ) ।
विसर्जन -- एक यदु-जाति, जिसका यादवी युद्ध में संहार हुआ (मा. ११.३०.१८ ) । विस्फूर्जन एक राक्षस, जो कश्यप एवं खशा के पुत्रों में से एक था।
विहंग- ऐरावतकुल में उत्पन्न एक नाग, जो उनमे जय के सर्पसत्र में दग्ध हुआ था (म. आ ५२.१०) । विहंगम -- धर्मसावर्णि मन्वन्तर का एक देवगण | २. वर राक्षस का एक अमात्य ( वा. रा. अर.. २३. ३१ ) ।
विष्णुवृद्ध (स. इ. ) एक राजा, जो दस्यु राजा का पुत्र था। यह पहले क्षत्रिय था, किन्तु आगे चल कर तपस्या के कारण ब्राह्मण हुआ ( ब्रह्मांड. ३.६६.८८; बा. ९१.११४) । इसके वंशज अंगिरस् कुलोत्पन्न वायु. | क्षत्रिय ब्राह्मण बन गये (वायु. ६५.१०७ ) । विष्णुशर्मन - एक राश, जो शिवशर्मन् राज का पुत्र था। इसने इंद्र को अपनी शरण में खाया था (पद्म भू. ३) 'निगमोद्बोधक तीर्थ' में स्नान करने के कारण इसे मुक्ति प्राप्त हुई (पद्म. उ. २०० - २०५ ) । विष्णुसावा - भौत्य मनु का नामान्तर । विष्णुसिद्धि-- अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार पाठभेद - ' विष्णुवृद्ध ' ।
विष्णुहरि - एक विष्णुभक्त ( २.८.१ ) । विष्वक्सेन -- एक आचार्य, जो नारद का शिष्य था। २. इंद्रसभा का एक ऋषि ( म. स. ७.१३) । ३. विष्णु का एक पार्षद ( भा. ८.२१.२६ ) । ४. ( सो. पूरु. ) एक राजा, जो ब्रह्मदत्त का पुत्र था। इसकी माता का नाम गो था। मत्स्य में इसे योगसुनु राजा का पुत्र कहा गया है । इसने जैगीषव्य ऋषि के मार्गदर्शन में योगतंत्र' नामक ग्रंथ की रचना की थी ।
राजा
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इसके पुत्र का नाम उदवस्वन था ( मा. १९६२१.२५ ) । ब्रह्मदत्त राजा ने इसे अपना राज्य प्रदान किया, एवं वह वन में चला गया ।
२. (सो. सह . ) एक राजा, जो हैहयवंशीय तालजंघ राजा का पुत्र था। यह सुविख्यात हैहय सम्राट कार्तवीर्य ५. ब्रह्मसावर्णि मन्वन्तर में उत्पन्न होनेवाला एक अर्जुन का प्रपौत्र एवं जयध्वज राजा का पौत्र था। इसे
विव्य - एक ऋषि, जो गृत्समदवंशीय वर्चस् ऋषि का पुत्र था । इसके पुत्र का नाम वितथ्य था ( म. अनु. ३०.६२)।
विव्य आंगिरस -- एक वैदिक सुनता (ऋ. १०. १२८ ) ।
विहुंड - एक राक्षस, जो हुंड राक्षस का पुत्र था। इसके पिता हुंड का नहुष के द्वारा वध हुआ था । इस कारण यह अत्यंत क्रोधित हुआ, एवं नबध के हेतु शिव की तपस्या करने लगा । किन्तु विष्णु ने सुंदर स्त्री का रूप धारण कर, इसकी तपस्या में बाधा उत्पन्न की। अन्त में पार्वती के द्वारा इसका वध हुआ (पद्म. भू. ११८ - १२१ ) |
वीतहव्य - (सु. निमि.) एक राजा, जो विष्णु एवं वायु के अनुसार सुनय राजा का पुत्र था । भागवत में इसे शुनक राजा का पुत्र कहा गया है।
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कुछ सौ भाई थे।
परशुराम के द्वारा किये गये क्षत्रियसंहार के समय यह अपना राज्य छोड़ कर भाग गया। रास्ते में इसने अपने पिता ताज को देखा, जो परशुराम के बाणों से आहत हुआ था। उसे रथ पर बिठा कर यह हिमालय प्रदेश में में गया, एवं वहीं एक दरें में छिप गया ।
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