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विष्णु
प्राचीन चरित्रकोश
विष्णु
विष्णु
है। कभी-कभी यह क्षीरसागर में शेषनाग पर शयन करता | संहारार्थ, एवं सज्जनों के रक्षणार्थ लिये गये 'पार्थिव' है। विष्णु के इन्हीं गुणवैशिष्टयों को अंतर्भत कर इसके । रूपों को ही केवल अवतार कहा गया है। वहाँ विष्णु के सहस्र नाम बताये गये हैं, जो 'विष्णुसहस्रनाम' में निम्नलिखित दस अवतार बताये गये है:-- वागह, उपलब्ध हैं।
नारसिंह, वामन, परशुराम, राम दाशरथि, वासुदेव
कृष्ण ( सात्वत), हंस, कूर्म, मत्स्य, एवं कल्कि (म. शां. विष्णुदेवता का निम्नलिखित वर्णन भागवत में प्राप्त है :
३२६.८३५)। क्षीरोदं मे प्रियं धाम, श्वेतद्वीपं च भास्वरम् ॥ वायु में विष्णु के अवतार दस बताये गये हैं, किन्तु श्रीवत्सं कौस्तुभं मालां, गदा कौमोदकी मम । वहाँ हंस, कर्म एवं मत्स्य के स्थान पर दत्तात्रेय, वेदव्यास सुदर्शनं पाञ्चजन्यं सुपर्णं पतगेश्वरम् ।। एवं एक अनामिक अवतार बताया गया है (वायु. ९८. शेषं मत्कलां सूक्ष्मां श्रियं देवीं मदाश्रयाम् । । २११; वराह. ११३)। उसी पुराण में अन्यत्र इन (भा. ८.४.१८-२०)। अवतारों की संख्या ७७ बतायी गयी हैं ( वायु. ९७.
६४)। विष्णु की उपासना- स्कंद में विष्णु की उपासना सविस्तृत रूप में बतायी गयी है, जहाँ हर एक माह में | भागवत में विष्णु के बाईस अवतार बताये गए है, जहाँ उपासनायोग्य विष्णु के नाम, एवं उसके प्रिय फूल, एवं कपिल, दत्तात्रेय, ऋषभ, एवं धन्वंतरि को विष्णु के अवतार फल बताये गये हैं:--
कहा गया है। इनमें से ऋषभ जैनों का प्रथम तीर्थकर
माना जाता है । मत्स्य में प्राप्त दशावतारों में नारायण, विष्णु का नाम
मानुष-सप्त, वेदव्यास एवं गौतम बुद्ध ये नये अवतार बताये गये हैं (मत्स्य. ४७.२३७-२५२).। वराह एवं
नृसिंह में भी दशावतारों की जानकारी प्राप्त है (वराह. अशोक अनार
११३; नृसिंह ५४.६ )। मधुसूदन मोगरा नारियल
___ हरिवंशादि पुराणों में विष्णु के अवतारों की संख्या । त्रिविक्रम पाटली आम
अनन्त बातायी गयी है-. . श्रीधर
कलंब
कटहल हृषीकेश करवीर
खजूर
प्रादुर्भावसहस्राणि अतीतानि न संशयः। पद्मनाभ
जाई ताड़ फल
भूयश्चैव भविष्यन्तीत्येवमाह प्रजापतिः ॥ दामोदर
मालती रायआंवला सूर्यकमल
(ह. वं. १.४१.११; ब्रहा. २१३.१७)।
बेलफल नारायण चंद्रविकासी कमल
(विष्णु के अनन्त अवतार पूर्वकाल में हुए हैं, एवं माधव
पुगीफल
उतने ही अवतार भविष्यकाल में होनेवाले है)। गोविंद उंडली करौंदा
___नामावलि-महाभारत एवं विभिन्न पुराणों में प्राप्त जायफल
विष्णु के अवतारों की नामावलि निम्नप्रकार हैं:(स्कंद २.४४)।
(१) अजित (विभु )-चाक्षुष एवं स्वारोचिष
मन्वंतरों में तुषित के पुत्र के रूप में उत्पन्न (भा. विष्णु के अवतार--वैदिक साहित्य में केवल प्रजापति
८.५. ९)। के ही अवतार दिये गये है। किन्तु पुराणों में विष्णु, रुद्र, |
" , (२) अंनिरुद्ध-(चतुर्वृह देखिये)। गणपति, आदि सारे देवताओं के अवतार दिये गये हैं।।
। (३) अपान्तरतम सारस्वत व्यास--कृष्ण द्वैपायन पुराणों में निर्दिष्ट इन अवतारों के अतिरिक्त, द्वादश | व्यास का पर्वजन1 /- I
| व्यास का पूर्वजन्म (म. शां. ३३७.३८-४०)। देवासुर संग्रामों में विष्णु एवं रुद्र ने स्वतंत्र अवतार लिये। (४) इंद्र--इसने अंधक, प्रह्लाद, विरोचन, वृत्र थे ( देव देखिये )।
आदि असुरों का पराजय किया (पद्म. स. १३)। . महाभारत में प्राप्त नारायणीय में विष्णु के अवतारों| (५) उरुक्रम--यह नाभि एवं मेरुदेवी का पुत्र था की जानकारी दी गयी है, जहाँ विष्णु के द्वारा दुष्टों के | (भा. १.३.१३)।
केशव
नारंगी
जुही