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________________ विश्वामित्र प्राचीन चरित्रकोश विश्वामित्र ब्राह्मण आचायों से इसे आमरण संघर्ष करना पड़ा। आगे चल कर, इसने क्षत्रियधर्म का त्याग कर अंत में इस संघर्ष में पूरी तरह से यशस्वी हो कर, यह | ब्राह्मण बनने का निश्चय किया, एवं यह सरस्वती नदी के एवं इसके वंश के लोग सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण मानने जाने लगे,जो | किनारे 'रूषंगु-तीर्थ' पर तपस्या करने चला गया इसके जीवन की सबसे बड़ी फलश्रुति कही जा सकती है। (म. श. ३८.२२-३४, ४१.२३०७; वा. रा. बा. ५१ व्यु-पत्ति --उसके विश्वामित्र' नाम की व्युत्पत्ति -५६)। वायु के अनुसार, इसने 'सागरानृप प्रदेश' आरण्यक ग्रंथों में विश्व का मित्र' शब्दों में दी गयी है | में तपस्या की थी ( वायु.९१.९२-९३) । इन निर्देशां से (ऐ. आ. १.२.२)। व्याकरणशास्त्रीय दृष्टि से 'विश्वामित्र' प्रतीत होता है कि, विश्वामित्र का तपस्यास्थान आधुनिक एक अनियमित रूप है। पाणिनि के अनुसार, 'मित्र' राजपुताना के रेगिस्तान में कहीं था, जो प्रदेश प्राचीनशब्द के पहले जब 'विश्व' शब्द का उपयोग होता है, एवं | काल में पश्चिम समुद्र का तटवर्ती प्रदेश माना जाता था। उस शब्द का अर्थ पि होता है,तब उक्त शब्द 'विश्वमित्र' घोर तपस्या के द्वारा विश्वामित्र को ब्राह्मणत्व प्राप्त नही, बल्कि 'विश्वामित्र' बनता है (पा. सू. ६.३.१३०)। होने का निर्देश अनेकानेक वैदिक संहिता एवं ब्राहाण ग्रंथों जन्म---विश्वामित्र का जन्म कान्यकुब्ज देश के सुविख्यात में प्राप्त है (का. सं. १६.१९: मै. सं. २.७.१९; तै. सं. अमावसु बंदा में हुआ था, एवं यह कुशिक राजा का पौत्र, २.२.१.२; ऐ. ब्रा. ६.१८.१; को. बा. १५.१; जै. उ.ब्रा, एवं गाथिन (गाधि) राजा का पुत्र था। इसका जन्मनाम २.३.१३; ए. आ. २.२.३; बृ. उ. २.२.४ )। इससे विश्वरथ था। विश्वामित्र यह नान इसे ब्राह्मण होने के । प्रतीत होता है कि, विश्वामित्र का यह वीतर प्राचीन काल पश्चात् प्राप्त हुआ। में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटना मानी गयी थी। वेदार्थ दीपिका में विश्वामित्र के जन्म के संबंध में निम्न कथा प्राप्त है। इसका पितामह कुशिक स्वयं एक अत्यंत वरिष्ट से विरोव--विश्वामित्र को क्षत्रियधर्म छोड़ बलाढ्य राजा था, एवं अपने पिता इपीरथ के समान कर ब्राह्मण बनने की इच्छा क्यों हुई, इस संबंध में एक प्रजाहितदक्ष था। इंद्र के समान तेजस्वी पुत्र प्राप्त होने कल्पनारम्य कथा महाभारत एवं वाल्मीकि रामायण में प्राप्त के लिए कु.शिक ने तपस्या की । उस समय स्वयं इंद्र हैं। एक बार यह वसिष्ठ ऋषि के आश्रम में अतिथि के ने ही गाथिन नाम धारण कर, कुशिक-पुत्र के रूप में नाते गया, जहाँ वसिष्ठ ने अपनी नंदिनी नामक कामधेनु जन्म लिया, एवं इसी गाथिनरूपधारी इंद्र से विश्वामित्र की सहाय्यता से इसका उत्तम आदरातिथ्य किया। का जन्म हुआ। इस प्रकार विश्वामित्र का वंशक्रम निम्न अनेकानेक दैवी गुणों से युक्त नंदिनी कामधेनु को देख कर, प्रकार कहा जा सकता है :--इधीरथ--कुशिक--गाथिन् | यह अत्यधिक प्रसन्न हुआ, एवं इसने उस धेनु की माँग (इंद्र )--विश्वामित्र (वेदार्थ. ३.१)। वसिष्ठ से की। वसिष्ठ ने उसका इन्कार करने पर, यह उस धेनु . वाल्मीकि रामायण में विश्वामित्र का वंशक्रम निम्न की प्राप्ति के लिए अपना सारा राज्य देने के लिए सिद्ध हुआ। फिर भी वसिष्ठ ने इसे नंदिनी न दी। प्रकार दिया गया है :--प्रजापति---कुश---कुशनाभगाथिन--विश्वामित्र (वा. रा. वा. ५१ ) । पश्चात् इसने अपने सैन्यबल से नंदिनी का हरण करना समवर्ती लोग--विश्वामित्र के पितामह कुशिक की चाहा। किंतु उस धेनु से उत्पन्न हुए शक, यवन, पलव, पत्नी का नाम पौरुकुत्सी था, जो अयोध्या के पुरुकुत्स बर्बर, किरात आदि लोगों ने विश्वामित्र की सेना को परास्त राजा की कन्या थी। इसकी बहन का नाम सत्यवती था, किया, एवं इस प्रकार नंदिनी का हरण करने का इसका जिसका विवाह ऋचीक भार्गव ऋष से हुआ था। सत्यवती प्रयत्न असफल ही रहा। के पुत्र का नाम जमदग्नि था। इस प्रकार जमदग्नि ऋषि तदुपरांत वसिष्ठ का पराजय करने के लिए, इसने एवं उसका पुत्र परशुराम जामदग्न्य ये दोनों विश्वामित्र के अनेकानेक प्रकार के अस्त्र संपादन करने का निश्चय किया, समवर्ती एवं निकट के रिश्तेदार थे। एवं उस हेतु अत्यंत कठोर तपस्या भी की। किंतु राज्यपाति-अपने पिता के पश्चात् विश्वामित्र | अस्त्रप्राप्ति के पश्चात् भी वसिष्ठ अजेय ही रहा, एवं कान्यकुज देश का राजा बन गया। पुराणों में इसका इसे जीवन में सर्वप्रथम ही साक्षात्कार हुआ कि, क्षत्रबल निर्देश कुशिक एवं गाथिन् राजाओं का 'दायाद' (उत्तर से ब्रह्मबल अधिक श्रेष्ठ है। पश्चात् बसिष्ठ के समान कालीन राजा) नाम से किया गया है। ब्रह्मबल प्राप्त करने के हेतु इसने स्वयंब्राह्मण बनने का ८७१
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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