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विभीषण
प्राचीन चरित्रकोश
विभीषण
। रावणसेना का समाचार लाने के लिए इसने अपने राज्याभिषेक-अयोध्या पहुँचने के बाद, श्रीराम ने मंत्रिगण भेज दिये थे। कुंभकर्ण एवं प्रहस्त का परिचय विभीषण को राज्याभिषेक करने के लिए लक्ष्मण को इसीने ही राम को कराया था। मायासीता के वध के | लंका भेज दिया था (वा. रा. यु. ११२) ।बाद में प्रसंग में भी, रावण की माया के रहस्य का उद्घाटन भी अपने परिवार के लोगों के साथ विभीषण अयोध्या इसने ही राम के पास किया था। इंद्रजित् एवं रावण के | गया, एवं वहाँ राम के राज्याभिषेकसमारोह में सम्मिलित द्वारा किये जानेवाले 'आसुरी यज्ञ' का विध्वंस करने की | हुआ (वा. रा.यु. १२१,१२८)। राज्याभिषेक के पश्चात सलाह भी इसने ही राम को दी थी।
| राम ने विभीषण को राजकर्तव्य का सुयोग्य उपदेश प्रदान मायावी युद्ध--रामरावण युद्ध में विभीषण ने स्वयं | किया, एवं बड़े दुःख से इसे विदा किया। भाग भी लिया था, एवं प्रहस्त, धूम्राक्ष आदि राक्षसों का अश्वमेधयज्ञ में--राम के द्वारा किये गये अश्वमेध-यज्ञ वध किया था (वा. रा. यु. ४३; म. व. २७०.४)। के समय विभीषण उपस्थित था। उस समय, ऋषियों मायावी युद्ध में प्रवीण होने के कारण, इसने इंद्रजित् से | की सेवा करने की जबाबदारी इस पर सौंपी गयी थी युद्ध करते समय काफी पराक्रम दर्शाया था. एवं उसके । (पूजां चक्रे ऋषीणाम् ) ( वा. रा. उ. ९१.२९)। सेना में से पर्वण, पूतन, जंभ, खर, क्रोधवल, हरि, प्रसज, राम का आशीर्वाद--अपने देहत्याग के समय, राम आसज, प्रवस आदि क्षद्र राक्षसों का वध किया था | ने विभीषण को आशीर्वाद दिया था :--- (वा. रा. यु: ८९.९०३; म. व. २६९.२-३)।
यावच्चन्द्रश्च सूर्यश्च यावत्तिष्ठति मेदिनी । इंद्रजित के बहुत सारे सैनिक स्वयं अदृश्य रह कर
यावच्च मकथा लोके तावदाज्यं तवास्त्विह ॥ युद्ध करते थे। रामसेना में से केवल विभीषण ही उन
(वा. रा. उ. १०८.२५)। अदृश्य सैनिकों को देखने में समर्थ था । अंत में, इसने कुबेर से ऐसा देवी जल प्राप्त किया कि, जो आँखो में
(जिस समय तक आकाश में चंद्र एवं सूर्य रहेंगे, एवं लगाने से अदृश्य प्राणी दृष्टिगोचर हो सके। इसने उस जल
पृथ्वी का अस्तित्व होगा, एवं जिस समय तक मेरी कथा से प्रथम सुग्रीव एवं रामलक्ष्मण, तथा अनंतर रामसेना
से लोग परिचित रहेंगे, उस समय तक लंका में तुम्हारा के प्रमुख वानरों के आँखें धोयीं, जिस कारण वे सारे
राज्य चिरस्थायी रहेगा)। इंद्रजित् की अदृश्य सेना से युद्ध करने में सफल हो गये
___ परिवार-शैलूष गंधर्व की कन्या सरमा विभीषण की (म. व. २७३.९-११)।
| पत्नी थी (वा. रा. उ. १२.२४-२५)। पुराणों में युद्ध के अंतिम कालखंड में, इसने लक्ष्मण से युद्ध करने
में इसकी पत्नी का नाम महामूर्ति दिया गया है ( पन. वाले रावण के रथ के सारे अश्व मार डाले (वा. रा..
| पा.६७)। अशोकवन में बंदिस्त किये गये सीता के
देखभाल की जवाबदारी सरमा पर सौंपी गयी थी, जो यु. १००)। इस प्रकार राम को समय-समय पर उचित
सीता के 'प्रणयिनी सखी' के नाते उसने निभायी थी सलाह एवं सहायता दे कर, इसने उसे युद्ध में विजय पाने के लिए मदद की।
(वा. रा. यु. ३३.३)। रावण का अंत्यसंस्कार--रावणवध के तश्चात . इसने सरमा से इसे कला नामक कन्या उत्पन्न हुई थी रावण के दुष्टकर्मों का स्मरण कर, उसका दाहकर्म करना
( वा. रा. सु. ३७)। अन्यत्र इसकी कन्या का नाम नंदा अस्वीकार कर दिया। किन्तु राम ने इसे समझाया. 'मृत्य | दिया गया है ( वा. रा. सुं. गौडीय. ३५.१२)। के पश्चात् मनुष्यों के वैर समाप्त होते है। इसी कारण २. कानगरी का एक विभीषणवंशीय राजा, जिसे उनका स्मरण रखना उचित नही है (मरणान्तानि वैराणि)' | सहदेव 'पाण्डव' ने अपने दक्षिण दिग्विजय के (वा. रा. यु. १११.१००)। फिर राम की आज्ञा से, समय जीता था। यह गमकालीन विभीषण से काफी इसने रावण का उचित प्रकार से अन्त्यसंस्कार किया। उत्तरकालीन था, एवं इन दोनों में संभवतः ३०-३५ रावण के वध पर विभीषण के द्वारा किये गये विलाप का | पीढियों का अन्तर था। इस कालविसंगति का स्पष्टीकरण एक सर्ग वाल्मीकिरामायण के कई संस्करणों में प्राप्त है। पौराणिक साहित्य में राम-कालीन विभीषण को चिरंजीव (वा. रा. उ. दाक्षिणात्य. १०९)। किन्तु वह सर्ग प्रक्षिप्त मान कर किया गया है। किन्तु संभव यही है कि, यह प्रतीत होता है।
विभीषण के वंश में ही उत्पन्न कोई अन्य राजा था।
मार डाल
चितोता के ''