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________________ विभीषण प्राचीन चरित्रकोश विमद इसके राजप्रासाद एवं नगरी का सविस्तृत वर्णन १३. अमिताभ देवों में से एक। महाभारत में प्राप्त है, जिससे प्रतीत होता है कि, लंका | १४. (सो. मगध.) मगधवंशीय महाबाहु राजा का का वैभव इसके राज्यकाल में चरमसीमा पर पहूँच | नामान्तर (मत्स्य. २७१.२४; महाबाहु ३. देखिये) गया था (म. स. ३१)। १५. (स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो पृथु वैन्य एवं ___ सुग्रीव के दूत के नाते घटोत्कच इसके दरबार में | अर्चिष्मती के पुत्रों में से एक था। आया था । उस समय युधिष्ठिर का परिचय सुन कर, १६. स्वायंभुव मनु के पुत्रों में से एक (पन. सृ. ७)। इसने घटोत्कच का उचित आदर-सत्कार किया, एवं उसे इसे स्वयंभुव मनु का पौत्र भी कहा गया है (वायु. युधिष्ठिर के पास पहुँचाने के लिए निम्नलिखित 'उपायन' | ३१.१७)। वस्तुएँ प्रदान की:-हाथी के पीठ पर बिछाने योग्य स्वर्ण | विभति--विश्वामित्र के ब्रह्मवादी पुत्रों में से एक से बने हुए आसन, बहुमूल्य आभूषण, सुंदर मूंगे, स्वर्ण | (म. अनु. ४.५७)। एवं रत्न से बने हुए अनेकानेक कलश, जलपात्र, चौदह | विभूवस-एक ऋषि, जो त्रिन ऋषि का पिता था सुवर्णमय ताड़ वृक्ष, मणिजडित शिबिकाएँ, बहुमूल्य | (ऋ. १०.४६.३)। मुकट, चंद्रमा के समान उज्वल शतावर्त शंख, श्रेष्ठचंदन | विभ्राज-(सो. पूरु.) एक राजा, जो विष्णु एवं से बनी हुयी अनेकानेक वस्तुएँ आदि (म. स. २८. | वायु के अनुसार सुकृति राजा का, एवं मत्स्य के अनुसार ५०-५३; परि. १.१५. पंक्ति २३५-२५३)। सुकृत राजा का पुत्र था। कई अभ्यासकों के अनुसार ३. एक यक्ष (म. स. १०.१३)। भागवत में निर्दिष्ट पार राजा एवं यह दोनों एक ही थे, विभीषणा--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. किन्तु वह अयोग्य प्रतीत होता है (पार. २. देखिये)। श. ४५.२२)। २. पांचाल देश का एक राजा, जो ब्रह्मदत्त राजा को विभु--एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से पिता था। इसे 'अनघ' नामान्तर भी प्राप्त था (मत्स्य.. एक था । २१.११-१६)। २. एक देव, जो यज्ञदेव एवं दक्षिणा के पुत्रों में से एक विभ्राज सौर्य--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०. था (भा. ४.१.७)। १७०)। ३. (स्वा.) एक राजा, जो प्रस्ताव एवं नियुत्सा के पुत्रों विमद ऐद्र प्राजापत्य--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा ( ऋ । में से एक था । इसकी पत्नी का नाम रति. एवं पुत्र का १०. २०..२६)। ऋग्वेद के इन सूक्तों में इसका स्पष्ट नाम पृथुषेण था (भा. ५.१५.६)। नामोल्लेख, तथा इसके 'विमल' नामक परिवार का निर्देश ४. (सो. क्षत्र.) एक राजा, जो सत्यकेतु राजा का पुत्र प्राप्त है (ऋ. १०.२०.१०:२३.७)। था। इसके पुत्र का नाम सुविभु था (वायु. ९२.७१) यह इंद्र एवं आश्वियों के कृपापात्र व्यक्तियों में से एक माई को अपने था (ऋ. १.११२.१९, ११६.१११७.२०:१०.३९.७; चार भाइयों के साथ भीमसेन के रात्रियद्ध में मारा गया ६५.१२)। यह इंद्र एवं 'प्रजापति' का मानसपुत्र था, (म. द्रो. १३२.२०-२१)। जिस कारण इसे 'ऐंद्र' एवं 'प्राजापत्य' पैतृक नाम प्राप्त ६. एक ऋषि, जो भृगु वारुणि का पुत्र था। इसे वरेण्य हुए थे। नामान्तर प्राप्त था। पुरुमित्र की कन्या कमा इसकी पत्नी थी, जिसने इसका ७. साध्य देवों में से एक (वायु. ६६.१६ )। स्वयंवर में वरण किया था। इस कारण स्वयंवर के लिए ८. तुषित देवों में से एक। उपस्थित हुए अन्य राजाओं ने इससे युद्ध शुरु किया । ९. रैवत मन्वन्तर का इंद्र (विष्णु. ३.१.२०)। उस समय अश्वियों ने इसे अपने शत्रुओं को परास्त करने १०. स्वायंभुव मन्वन्तर में उत्पन्न श्रीविष्णु का | में साहाय्य किया, एवं कमा को रथ में बैठा कर इसके एक अवतार । पास पहुँचा दिया (अ. वे. ४.२९.४, ऐ. बा. ५. ११. एक भव देव, जो भग एवं सिद्धि के पुत्रों में से | ५.१)। एक था (भा. ६.१८.२)। कई अभ्यासकों के अनुसार, ऋग्वेद का सूक्तद्रष्टा १२. जिताजित् देवों में से एक। | विमद, एवं आश्वियों का कृपापात्र विमददो अलग व्यक्ति
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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