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विंध्यावलि
बलि का बंधन किये जाने पर इसने वामन की स्तुति की, एवं बलि के लिए अभयदान माँगा ( भा. ८. २०.१७ ) । विध्याश्व - (सो. अज. ) एक राजा, जो इंद्रसेन राजा का पुत्र था। मेनका नामक अप्सरा से इसे जुड़वी संतान उत्पन्न हुई थी।
विपक्व - - मरीचिगर्भ देवों में से एक। विपश्चित् -- स्वारोचिष मन्वन्तर का इंद्र | १२. एक राजा, जो विदर्भराजकन्या पीवरी का पति था। अपनी पत्नी से किये पाकर्म के कारण, इसे नरक की प्राप्ति हुई (मार्के, १३.१३ - १५ ) ।
उ.
विपश्चित् जयंत लौहित्य - एक आचार्य, जो दशत्यन्त चैहित्य नामक आचार्य का शिष्य था (३.३. आ. २.४२१) । लोहित का वंशज होने से, इसे लौहित्य' पैतृक नाम प्राप्त हुआ होगा ।
प्राचीन चरित्रकोश
विपश्चित् शकुनिभित्र पाराशर्य- एक आचार्य, जो आषाढ उत्तर पाराशर्य नामक आचार्य का शिष्य था । पराशर का वंशज होने से, इसे 'पाराशर्य पैतृक नाम प्राप्त हुआ होगा ।
विपाट - कर्ण का एक भाई, जो अर्जुन के द्वारा मारा गया ( म. द्रो. ३१.५९ ) ।
विपाठा-- दुर्गम राजा की पत्नियों में से एक (मार्के ७२. ४६ रेवती १. देखिये) ।
विपाद - एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से एक था ।
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विप्रवित्ति
यशस्वी न हो सका। अन्त में अर्जुन ने इसका वध किया ( म. आ. परि १.८०.४० - ४६ ) ।
विपुलस्वान् -- एक ऋषि, जिसके सुकृष एवं तुंबुरु नामक दो पुत्र थे ( मार्के. ३. १५) ।
चिपूजन शौराकि ( सौराफि) कृष्ण वें संहिताओं में निर्दिष्ट एक आचार्य (मै. से २.१.२ सं. २.७.५)। एवं वायु के अनुसार चित्रक राजा का पुत्र था ( विपृथु -- (सो. वृष्णि. ) एक यादव राजा, जो विष्णु ११२ ) । जरासंध के संग्राम में श्रीकृष्ण ने इसे किया था। यह द्रौपदीस्वयंवर में उपस्थित था। सुन्द्रा मथुरानगरी के उत्तरद्वार का रक्षण करने के लिए नियुक्त हरण के समय, बलराम की ओर से इसने अर्जुन से युद्ध किया था (म. आ. १७७.१७ २११.१० स. ४.२६)
वायु.
९६.
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प्रभासक्षेत्र में हुए 'याली युद्ध' में यह मारा गया ( विष्णु. ५.३७.४६ ) ।
विपृष्ठ (सो. बसु) एक राजा, जो वसुदेव एवं वृकदेवा के पुत्रों में से एक था ।
विप्र--(सो. मगध, भविष्य.) एक राजा, जो भागयत के अनुसार सृतंजय राजा का, एवं विष्णु के अनुसार श्रुतंजय राजा का पुत्र था । वायु में इसे 'महाबाहु ' कहां गया है ( महाबाहु ३. देखिये) । इसके पुत्र का नाम गुवि था।
२. एक पिशाचगण (ब्रह्मांड २.७.३७७)। विपाप दमन नामक शिवावतार का एक शिष्य । विपाप्मन् निश्श्रवन नामक अनि का पुत्र, जो वास्तुकार्य में अधिष्ठाता देवता माना जाता है।
विप्रचित्ति अथवा विप्रजित्ति - एक आचार्य, जो व्यष्टि नामक - आचार्य का शिष्य था (बृ. उ. २.६.३ काण्व. २.५.२२ मायं.) 1
२. एक दानव राजा, जो कश्यप एवं उन केसी पुत्रों
२. (सो. पुरूरवस्.) एक राजा, जो मत्स्य के अनुसार में से प्रमुख पुत्र था ( भा. ६.६.३१ ) । महाभारत में आयु राजा का पुत्र था।
दनु के पुत्रों की संख्या चौतीस दी गयी है, जिनमें इसे प्रमुख कहां गया है ( म. आ. ५९.२१) । इसके भाइयों में ध्वज नामक असुर प्रमुख था वायु ६७.६० ) ।
विपुल - - ( सो. वसु. ) एक राजा, जो वसुदेव एवं रोहिणी के पुत्रों में से एक था ( भा. ९.२४.४६ ) । २. एक भृगुवंशीय ऋषि जो देवशर्मन् नामक ऋषि का शिष्य था । इसकी गुरुपत्नी ' रुचि ' पर इंद्र आसक्त हुआ। उस समय इसने इंद्र से उसका संरक्षण किया। इसके इस गुरुनिष्ठा से प्रसन्न हो कर, देवशर्मन् ऋषि ने इसे अनेकानेक वर प्रदान किये (म. अनु. ४०-४५ ) ।
३. सौर देश का एक यवन राजा, जिसे 'वित्तल, ' ' सुमित्र,' एक 'दत्तमित्र' आदि नामान्तर भी प्राप्त थे । पाण्डु राजा ने इसे जीतने का प्रयत्न किया था, किन्तु वह
पराक्रम - वृत्रासुर एवं हिरण्यकशिपु के द्वारा इंद्र से किये गये युद्ध में, यह असुर पक्ष में शामिल था ( म. स. ५१.७ मा ६.७०) । प्रखि वैरोचन एवं इंद्र के युद्ध में भी यह सहभागी थी । वामन के द्वारा किये गये ' बलिबंधन के समय, यह वामन से युद्ध करने के लिए उद्यत हुआ था ( म. स. परि. २१.३३७ ) । देवासुरों के द्वारा किये गये 'अमृतमंथन' के समय भी, यह उपस्थित था ( मत्स्य. २४५.३१ ) ।
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