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वित्त
प्राचीन चरित्रकोश
बिदुर
वित्त - एक आचार्य, जो कुशुभि नामक आचार्य का गयी थी ( ज्यामत्र देखिये ) । उससे इसे रोमपाद शिष्य था (ब्रह्मांड. २.३५.४३ ) । २. प्रतर्दन देवों में से एक
( लोमपाद ), क्रथ एवं कौशिक नामक तीन पुत्र उत्पन्न हुए, जिनमें से रोमपाद अत्यंत सुविख्यात था (ह. वं. १.२६.१८-२० ) । इसके केशिनी एवं सुमति नामक दो कन्याओं का निर्देश भी प्राप्त है, जो सगर राजा को दी गयी थीं।
३. मुख देवों में से एक। वित्तदा - स्कंद की अनुचरी एक मातृका ( म. श. ४५.२७) ।
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विदग्ध शाकल्य - एक आचार्य, जिसने विदेह जनक के राजसभा में यादस्य के साथ वाद-विवाद किया था । वाद-विवाद में पराजित होने के कारण, इसे पूर्व नियोजित शर्त के अनुसार, मृत्यु की स्वीकार करनी पड़ी (बृ. उ. २.९.१४.१.७ माध्यः जे उ. प्र. २.७६ श. बा. ११.६.२.२ ) । पौराणिक साहित्य में इसका निर्देश 'देवमित्र शाकल्य' नाम से किया गया है ( देवमित्र शाकल्य देखिये) ।
३. एक क्षत्रिय राजा, जो कार्तवीर्य था। परशुराम ने इसका वध किया ३९.२ ) ।
४. एक लोकसमूह, जिसे सहदेव ने अपने दक्षिणदिग्विजय के समय जीता था ( म. स. २८.४१ ) | इस लोकसमूह में उत्पन्न निम्नलिखित व्यक्तियों का निर्देश महाभारत में प्राप्त है:- भीष्मक, दमयंती ( म.व. ५० - २१ ); भीम, जो दमयन्ती का पिता था; रुक्मिणी, जो भीष्मक राजा की कन्या थी रुक्मिन् जो भीष्मक राजा का पुत्र था ।
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२. एक आचार्य, जो वायु के अनुसार, व्यास की यजुः शिष्यपरंपरा में से याज्ञवल्क्य का वाजसनेय शिष्य या (व्यास देखिये) ।
विदर्भन कौडिन्य- एक आचार्य, जो परसनपात् बाभ्रव्य का शिष्य था । इसके शिष्य का नाम गालव था ( बृ. उ. २.५.२२ ४.५.२८ माध्यं . ) ।
चिदण्ड- एक राजा, जो अपने पुत्र दण्ड के साथ द्रौपदीस्वयंवर में उपस्थित था ( म. आ. १७७.१ ) | पाठभेद (भांडारकर संहिता) - ' सुदण्ड ' । विदल-- एक राक्षस, जो. पार्वती के द्वारा अपने साथी विदथिन बार्हस्पत्य-- भरद्वाज ऋषि के पुत्र वितथ उत्पल के साथ काशी नगर में गंद के प्रहार से मारा का नामान्तर । गया। इसी कारण, काशी में स्थित शिवलिंग को 'कंदुकेश्वर' कहते हैं ( शिव. रुद्र. यु. ६९ ) ।
विदन्यत् भार्गव एक सामद्रष्टा आचार्य पं. हा. - १३.११.१० . उ. बा. २.१ ) । भृगु का वंशज होने से इसे 'भार्गव' पैतृक नाम प्राप्त हुआ होगा ।
विश्व एक राजा, तो तरंत एवं पुरंमीद नामक राजाओं का पिता था (बृहद्दे. ५.५०.८१; ऋ. ५.६१ ) । विदर्भ -- ( स्वा. प्रिय. ) एक राजा, जो ऋषभ देव राजा के नवखंडाधिपति नौ पुत्रों में से एक था। देव के नौ खंडों में से एक खंड का राज्य इसे प्राप्त हुआ, जो आगे चल कर ' विदर्भखंड' नाम से सुविख्यात हुआ । अगस्त्यपत्नी लोपामुद्रा संभवतः इसीकी ही कन्या होगी ( भा. ५.४.१० ) ।
२. (सो. क्रोष्टु. ) एक राजा, जो ज्यामघ राजा का पुत्र था।
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अर्जुन का मित्र (ब्रह्मांड ३.
२. सूर्यवंशीय ध्रुवसंधि राजा का प्रधान । विदारण- सिंधुनरेश जयद्रथ राजा के भाइयों में से एक (म. व. २५०.१२ ) ।
विदारुण चंपकनगरी का एक दुष्ट राजा । ब्राह्मणों एवं वेदों की निंदा करने के कारण इसके शरीर में कोढ़ उत्पन्न हुआ, जो वेत्रवती नदी में स्नान करने के कारण नष्ट हुआ (पच उ. १२५ ) ।
विदुर एक नीतिवेत्ता धर्म पुरुष, जो व्यास ऋषि का दासीपुत्र एवं कौरवों का मुख्यमंत्री था (म. स. ५१.२० ) । व्यास ऋषि के द्वारा विचित्रवीर्य राजा की पत्नी अंबिका की दासी के गर्भ से यह उत्पन्न हुआ था ( ब्रह्म. १५४; भा. ९.२२ ) ।
अथवा
नारदपुराण में इसका पैतृक नाम 'कायर' बताया गया है ( नारद. १.८.६३ ) । इसकी माता का नाम 'शैब्या' ' चैत्रा ' औशिनरी था । इसका विवाह भोज राजकन्या उपदानवी से हुआ था, जो इसके जन्म के पूर्व ही, इसके पिता ज्यामघ के द्वारा युद्ध में जीत कर लायी
महाभारत में वर्णित जीवन चरित्रों में से विदुर एवं कर्ण ये दोनों शापित प्रतीत होते है, जिनका सारा पराक्रम एवं बुद्धिमत्ता केवल हीन जन्म के दाग़ के कारण चूर मूर हो गया। इसी दाग़ के कारण, इन्हें सारा जीवन अवमानित अवस्था में जीना पड़ा, एवं अनेकानेक प्रकार के कष्ट उठाने
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