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________________ वसुमनसू प्राचीन चरित्रकोश ६. युधिष्ठिर की सभा का एक राजा, जो भारतीय युद्ध | वसुरुचि-एक यक्ष, जो कश्यप एवं अरिष्टा के में पाण्डवों के पक्ष में शामिल था (म. स. ४.५१४, | पुत्रों में से एक था । इसीके ही वेष में यक्ष ने ऋतुस्थला उ. ४.२१)। उपभोग लिया था (वायु. ६९.१४०)। वसमनस कौसल्य–(स. इ.) कोसल देश का | २. एक अप्सरा (ब्रह्मांड. ३.७.११ )। एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो वायु के अनुसार हर्यश्व राजा - वसुरोचिस् आंगिरस-एक वैदिक मंत्रद्रष्टा (ऋ.८. का पुत्र था। ययाति राजा की कन्या माधवी इसकी माता ३४.१६)। लुडविग इन्हें हज़ार गायकों का एक परिवार थी। वायु में इसे वसुमत् कहा गया है (वायु. ८८. मानते है, जिन्होंने इंद्र से विपुल संपत्ति प्राप्त की थी ७६ )। इसके भाइयों के नाम अष्टक वैश्वामित्रि, प्रतदन, (लुडविग, ऋग्वेद अनुवादं. ३.१६२)। किन्तु ग्रिफिथ एवं शिबि औशीनर थे (म. व. परि. १. क्र. २१. पंक्ति | इस शब्द का एकवचनी रूप ग्राह्य मानते है, एवं इसे एक ६)। | राजा समझत है ( ग्रिाफथ, ऋग्वेद के सूक्त. २.१७५)। ययाति को पुण्यदान--एक बार यह अपने भाइयों वसुश्री-स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. के साथ यज्ञ कर रहा था, जहाँ स्वर्ग से भ्रष्ट हुआ | ४५.१२)। पाठभेद- केतकी'। इसका मातामह ययाति आ गिरा। पश्चात् अपनी माता वसुश्रुत आत्रेय--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ५. माधवी की आज्ञा से, इन्होंने अपना पुण्य ययाति को 3-6 प्रदान किया, जिस कारण उसे पुनः एक बार स्वर्ग की वसुषेण--अंगराज कर्ण का मूल नाम, जो अधिरथ प्राप्ति हुई (मत्स्य. ३५.५; माधवी देखिये)। ययाति सूत एवं राधा के द्वारा उसकी बाल्यावस्था में रखा राजा को पुण्यफल प्रदान करने के कारण, यह 'दानपति' गया था। नाम से सुविख्यात हुआ। वसुहोम-अंगदेश का एक प्राचीन राजा, जिसे संवाद-इसने बृहस्पति ऋषि से राजधर्म का ज्ञान | 'वसुहम ' नामान्तर प्राप्त था। मुंजपृष्ठ पर्वत पर तप प्राप्त किया था (म. शां. ६८)। वामदेव ऋषि ने इसे | करते समय, मांधातृ राजा ने इसे दण्डनीति के संबंध में राजनीति कथन की थी (म. शां. ९२-९४)। तीर्थयात्रा | उपदेश प्रदान किया था (म. शां. १२२)। एवं विद्वत्सहवास के कारण, इसने काफी पुण्यसंचय किया वसूयव आत्रेय-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ५. था, जिस कारण इसे स्वर्गप्राप्ति हुई (मत्स्य. ४२.१४)। २५-२६)। - यह यमसभा का सभासद था (म. स. ८.१३)। वसोर्धारा-अग्नि नामक वसु की पत्नी (भा.६.६.१३)। घोषयात्रा युद्ध में अर्जुन एवं कृप का संग्राम देखने के वस्तु-(सो. क्रोष्टु.) यादव राजा बभ्र का नामांतर लिए, यह इंद्र के रथ पर आरूढ हो कर उपस्थित हुआ | ( बभ्र २. देखिये)। वायु में इसे लोमपाद राजा का पुत्र था (म. वि. ५१.९-१०)। कहा गया है (वायु. ९५.३७)। वसमनस् रौहिदश्व--एक वैदिक मंत्रद्रष्टा (ऋ. १०. वस्वनंत--(सू. निमि.) विदेह देश का एक १७९.३)। राजा, जो भागवत के अनुसार उपगुप्त राजा का पुत्र था। वसुमित्र-एक क्षत्रिय राजा, जो दनायुपुत्र विक्षर | इसके पुत्र का नाम युयुध था ( भा. ९.१३.२५)। नामक असुर के अंश से उत्पन्न हुआ था। भारतीय | वहीनर--(सो. कुरु. भविष्य.) एक राजा, जो युद्ध में यह कौरवों के पक्ष में शामिल था (म. आ. भागवत के अनुसार दुर्दमन राजा का, एवं मत्स्य के ६८.४१)। अनुसार उदयन राजा का पुत्र था। विष्णु में इसे अहीन २. (शुंग. भविष्य.) एक शुंगवंशीय राजा, जो भागवत, कहा गया है । इसके पुत्र का नाम दंडपाणि था ( भा. विष्णु एवं ब्रह्मांड के अनुसार सुज्येष्ठ राजा का, वायु के | ९.२२.४३)। अनसार पप्पमित्र का, एवं मत्स्य के अनुसार वसुज्येष्ठ । २. यमसभा का एक क्षत्रिय (म. स. ८. १५)। राजा का पुत्र था। इसने दस वर्षों तक राज्य किया। इसके | पाठभेद-' इषीरथ' । यह 'वह+नर'(= नरवाहन ) शब्द पुत्र का नाम भद्रक (उदंक) था (भा. १२.१.१७)। | का फारसी रूपान्तर होगा। वसुरुच-एक आचार्य (ऋ. ९.११०.६)। | वह्नि--शिवदेवों में से एक। प्रा. च. १०३] ८१७
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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