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________________ वसुदेव प्राचीन चरित्रकोश व नुमनस् (4) श्रीदेवापुत्र--(अ) भागवत में-१. वसु; २. | राज्य किया। इसके पुत्र का नाम भूमित्र था (भा. १२. हंस; ३. सुवंश । (ब )ब्रह्मांड में-१. मंदक । १.१९-२०; मत्स्य. २७२.३२; ब्रह्मांड. २.७४.१५६)। (९) देवरक्षितापुत्र-(अ) भागवत में-१. उपा- | वसुदेवा-गदिनी की कन्या (वायु. ९६.१११)। संगः २. वसु । इन दोनों पुत्रों का कंस ने वध किया (ब)| वसुंधर-शाल्मलिद्वीप में रहनेवाला एक लोकसमूह हरिवंश में--१. उपासंगधर । (क) भागवत में--१. | (भा. ५.२०.११)। गद । (ड) मत्स्य में--एक कन्या, जिसका कंस ने वध | वसुप्रभ--स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.५८)। किया। वसुभृद्यान--(स्वा.) स्वायंभुव मन्वन्तर के वसिष्ठ (१०) वृकदेवापुत्र-(अ) हरिवंश एवं ब्रह्मांड में-१. ऋषि के सात पुत्रों में से एक । इसकी माता का नाम अगावह । (ब) वायु में-१. स्वगाहप; २. अगाहिन् । ऊर्जा था (भा. ४.१.४१)। कई अभ्यासकों के अनुसार (क) मत्स्य में--१. अवागह; २. नंदक । (ड)भागवत | 'वसुभृद्यान' एक व्यक्ति न हो कर, यहाँ ' वसुभृत् ' एवं में--विपुष्ठ। 'यान' ऐसे दो व्यक्तियों के नाम की ओर संकेत किया (११) उपदेवापुत्र--(अ) वायु एवं मत्स्य में-- | गया है। १. विजय ; २. रोचन (रोचमत् ); ३. वर्धमत् ; ४. वमत्--वैवस्वत मनु के पुत्रों में से एक । देवल । (ब) भागवत में--१. कल्प; २. वृक्ष । २. (सो. पुरूरवस् .) एक राजा, जो भागवत के (१२) देवकीपुत्र ( अ ) मत्स्य में--१. सुषेण; २. | अनुसार श्रुतायु राजा का पुत्र था। कीर्तिमत् ; ३. भद्रसेन; ४. भद्रविदेह (भद्र देव-ब्रह्मांड; ३. जमदग्नि एवं रेणुका के वसु नामक पुत्र का नामान्तर भद्रविदेक-वायु; भद्र-भागवत.); ५. ऋषिदास (ऋजुकाय (वसु २५. देखिये) -ब्रह्मांड.; यजुदाय-वायु; ऋजु-भागवत);६. दमन ४. कृष्ण एवं जांबवती के पुत्रों में से एक। (उदर्षि-ब्रह्मांड.; तदय-वायु; संमर्दन-भागवत.); ७. ५. युधिष्ठिर की सभा का एक राजा (म. स. ४.३८)। गवेषण । ये सारे पुत्र कंस के द्वारा मारे गये। भारतीय युद्ध में यह पाण्डवों के पक्ष में शामिल था इनके अतिरिक्त देवकी के कृष्ण एवं सुभद्रा नामक (म. उ. ४.१८)। संतानों का निर्देश वायु एवं मत्स्य में, तथा संकर्षण नामक ६. (सू. निमिः') एक जनकवंशीय राजकुमार, जिसे पुत्र का निर्देश भागवत एवं विष्णु में प्राप्त है। एक ऋषि के द्वारा धर्मज्ञान प्राप्त हुआ था (म. शां. २९७. (३) ताम्रापुत्र--सहदेव ।। २)। (१४) सुगंध पुत्र-१. पुंड, जो राजा बन गया; २ ७. (स. इ.) इक्ष्वाकुवंशीय वसुमनस् कौसल्य राजा कपिल, जो वन में गया। का नामान्तर। (१५) वनराजीपुत्र--१. जरस् , जो धनुर्विद्याप्रवीण वसुमती--वालेय गंधा की एक कन्या, जिससे आगे था, किन्तु कालोपरांत निषाद बन गया (ब्रह्मांड. ३.७१; चल कर 'वसुमती सूतगण' की उत्पत्ति हुई (वायु. ६९. वायु. ९६.१५९-२१४; मत्स्य. ४६; भा. ९.२४.२७- २१-२३)। २८; विष्णु. ४.१५, ह. वं. १.३५.१-१०)। २. पृथ्वी का नामान्तर (वायु. ९७.१६)। २. (सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो विष्णु वमनस-वैवस्वत मनु के वसुमत् नामक पुत्र का के अनुसार चंचु राजा का पुत्र था। वायु एवं भागवत में नामान्तर (भा. ८.१३.३)। इसे 'सुदेव' कहा गया है। । २. जमदग्नि के वसु नामक पुत्र का नामान्तर (भा. ९. ३. एक दुराचारी ब्राह्मण, जो अपने ईश्वरभक्ति के | १५.१३)। कारण, अगले जन्म में असुरराज प्रल्हाद बना (पद्म. उ. ३. श्रीकृष्णपुत्र वसुमत् का नामांतर(भा.१०.६१.१२)। १७४)। ४. एक सप्तर्षि, जो वैवस्वत् मन्वन्तर में उत्पन्न वसिष्ठ वसुदेव काण्व-(कण्व. भविष्य.) काण्वायन के सात पुत्रों में से एक था (ब्रह्मांड. २.३८.२९)। राजवंश का आद्य राजा, जो शुंग राजा देवभूति भागवत में इसे वसुमत् कहा गया है। ( देवभूमि) का अमात्य था। देवभूति का वध कर ५. (सो. पुरूरवस् .) श्रुतायु राजा के वसुमत् नामक यह शंगराज्य का अधिपति बना । इसने पाँच वर्षों तक पुत्र का नामान्तर।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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