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वसुक्र
ऐंद्र
प्राचीन चरित्रकोश
किये जाने पर, अपने वास्तव रूप में इंद्र ने इसे दर्शन दिया । उस समय इंद्र ने इसके साथ किया हुआ संवाद ऋग्वेद में प्राप्त है (ऋ. १०.२८ ) ।
वसुक वासिष्ठ -- एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ९.९७ २८-३० ) ।
वसुपत्नी -- एक वैदिक सूक्तद्रष्ट्री (ऋ. १०.२८.
१) ।
वसुदानपुत्र कौरवपक्ष का एक राजा, जिसने वसुचंद्र एक राजा, जो भारतीय युद्ध में पांडवों के भारतीय युद्ध में काशिराज का पुत्र अमि का बंध किया पक्ष में शामिल था (म. प्रो. १३२.२७ ) । _था ( म.क४.७४) ।
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वसुदामन् - - बृहद्रथपुत्र वसुदान राजा का नामान्तर । वसुदामा-स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श ४५.५)।
वसुदेव (सो. वृष्णि) एक यादव राजा, जो श्रीकृष्ण का पिता था। यह मथुरा के उग्रसेन राजा का मंत्री, एवं (पांडुपत्नी) कुंती का बन्धु था । इसके पिता का नाम शूर ( देवमीढ ) एवं माता का नाम मारिषा था। इसके जन्म के समय देवताओं ने आनक एवं दुंदुभियों का घोष किया, जिस कारण इसे ' आनकदुंदुभि' नामान्तर भी प्राप्त था ( भा. ९.२४.२८; वायु. ९६. १४४; ब्रह्म. १४ ) 1
कृष्णजन्म उग्रसेन के भाई देवर के सात कन्याओं के साथ इसका विवाह हुआ था, जिसमें देवकी प्रमुख थी। इस विवाह के समय देवकी का चचेरा भाई एवं उग्रसेन राजा का पुत्र•कंस, स्वयं रथ का सारथ्य करने बैठा - था। बारात के समय, देवकी के आठवें पुत्र के द्वारा कंस का वध होने की आकाशवाणी उसने सुनी, जिस कारण कंस ने इसे एवं देवकी को कारागृह में रख दिया । किन्तु इसके आठवें पुत्र श्रीकृष्ण का जन्म होते ही, यह रात्री में ही व्रज में नंद गोप के घर गया, एवं वहाँ श्रीकृष्ण को छोड़ पर उसके बदले नंद गोप एवं यशोदा की नयत कन्या ले आया । यशोदा एवं देवकी सहेलियाँ थी, जिन्होंने यह संकेत पहले से ही निश्चित किया था (दे. भा. ४.२३ ) ।
वसुज्येष्ठ ( शुंग भविष्य. ) एक राजा, जो मत्स्य के अनुसार पुष्यमित्र राजा का पुत्र था (मत्स्य. २७२. २८ ) । भागवत, विष्णु एवं ब्रह्मांड में इसे ' सुज्येष्ठ ' कहा गया है । इसने सात वर्षों तक राज्य किया । वसुद---एक देव, जो भृगु एवं पौलोमी के पुत्रों से एक था (ब्रह्मांड. ३.१.२९ ) ।
में
२. (सू. इ. ) एक राजा, जो मत्स्य के अनुसार पुरुकुत्स एवं नर्मदा के पुत्रों में से एक था ( मत्स्य. १२. ३६) । इसे 'असद' नामांतर भी प्राप्त था।
वसुदत्त - एक राजा, जो अपने पूर्वजन्म में सुव्रत नामक राजा था । विष्णु के आशीर्वाद से इसे इंद्रपद की प्राप्ति हुई (पद्म. सृ. २२; भू. ५) ।
वसुदा - मालि नामक राक्षस की पत्नी ।
२. अंगिरस ऋषि के सुभा नामक पत्नी का नामान्तर (म. व. २०८.१; शिवा देखिये) ।
वसुदान -- शिवदेवों में से एक (ब्रह्मांड, २.३६.
३२) ।
२. एक राज, जो कुशद्वीप के हिरण्यरेतस् राजा के पुत्रों में से एक था ( भा. ५.२०.१४ ) ।
में
३. पांशुराष्ट्र का अतिरथि सम्राट्, जो भारतीय युद्ध पाण्डवों के पक्ष में शामिल था ( म. उ. १६८.२५ ) । इसे 'वसुमत् ' नामान्तर भी प्राप्त था ( म. स. ४.५१* ) ।
युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय, इसने २६ हाथी, २००० घोडे आदि स्तुएँ उसे अर्पित की थी ( म.स. ४८. २६-२७)।
देव
४. पाण्डवों के पक्ष का अन्य एक राजा, जो द्रोण के ही द्वारा मारा गया ( म. द्रो. २०.४३ ) ।
५. ( सो. कुरु. भविष्य, ) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार बृहद्रथ राजा का पुत्र था । मत्स्य एवं भागवत में इसे क्रमश: 'वसुदामन् ' एवं 'सुदास ' कहा गया है। ( मत्स्य. ५०.८५ ) ।
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भारतीय युद्ध में, इसने युधिष्ठिर के साथ युद्धभूमि में प्रवेश किया था (म. उ. १४९.५८ ), जहाँ इसने काफ़ी पराक्रम दिखाया ( म. क. ४.८६ ) । इस युद्ध में यह एवं इसका पुत्र क्रमशः द्रोण एवं कर्ण के द्वारा मरे गयें ( म. द्रो. १६४.८४; क. ४.७४) ।
पश्चात् कंस ने इसे मुक्त किया, एवं इसने गर्ग ऋषि के द्वारा नंद गोप के घर में रहनेवाले अपने बलराम एवं कृष्ण इन दो पुत्रों के जातकर्मादि संस्कार किये (मा. १०.५.२० - २१ ) | भागवत के अनुसार स्वयं श्रीकृष्ण ने इसकी कंस के कारागृह से मुक्तता की थी ( भा. १०. ३६.१७-२४)।
पराक्रम पौण्ड्रक वासुदेव राजा के साथ यादवों का युद्ध हुआ था, जिस समय यह भी उपस्थित था । नारद ने इसे भागवतधर्म का उपदेश किया था, जिसमें उसने
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