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प्राचीन चरित्रकोश
वसुक्र ऐंद्र
१८)।
२०. (सो. वसु.) एक राजा, जो कृष्ण एवं सत्या के | ३२. मारीच कश्यप नामक ऋषि की पत्नी, जिसने पुत्रों में से एक था। भागवत में इसकी माता का नाम | सोम के लिए अपने पति का त्याग किया (मत्स्य. २३. नामजिति दिया गया है (भा. १०.६१.१३)। २५)। .२१. (सो.) एक राजा, जो ईलिन एवं रथंतरी के ३३. एक ऋषि, जो भृगु वारुणि एवं पौलोमी के सात पाँच पुत्रों में से एक था। इसके अन्य चार भाईयों के | ऋषिपुत्रों में से एक था। नाम दुष्यंत, शूर, भीम एवं प्रवसु थे (म. आ. ८९.१५)। ३४. एक ऋषि, जो कुणीति एवं पृथुकन्या के पुत्रों में
२२. कृमिकुल का एक कुलांगार राजा, जिसने दुर्व्य- से एक था। इसके पुत्र का नाम उपमन्यु था। वहार के कारण अपने ज्ञातिबांधव एवं स्वजनों का नाश ३५. काश्मीर देश का एक राजा, जिसने पुष्करतीर्थ किया (म. उ. ७२.१३)। पुराणों में इसे चेदि देश का | पर तपस्या की थी। इसने पंडरिकाक्ष के स्तोत्र का पटन राजा एवं पृथु राजा का प्रपौत्र कहा गया है। इसके पुत्र
किया, जिस कारण इसे मोक्ष की प्राप्ति हुई (वराह.५-६)। का नाम. उपमन्यु था, जिससे औपमन्यव कुल का |
___ अपने पूर्वजन्म में, चाक्षुष मनु के राज्यकाल में यह निर्माण हुआ (मत्स्य. ५०.२५-२६)।
ब्रह्मा का पुत्र था। एक बार इसने रैभ्य ऋषि के द्वारा २३. एक राजा, जो भूतज्योति नामक राजा का पुत्र | बृहस्पति को प्रश्न किया, 'कर्म से मोक्ष प्राप्त होता है, था। इसके पुत्र का नाम प्रतीक था (भा. १.२.१७- या ज्ञान से ?' उस समय बृहस्पति ने इसे जवाब दिया.
'ज्ञानपूर्वक किये कर्म से मनुष्य को मोक्षप्राप्ति होती है। २४. एक ऋषि, जो इंद्रप्रमति वसिष्ठ नामक ऋषि का | उस जन्म में इसके पुत्र का नाम विवस्वत् था। पौत्र, एवं भद्र नाम ऋषि का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम | अपने इस पूर्वजन्म का स्मरण एक व्याध के उपमन्यु था। . .
द्वारा इसे हुआ, जिस कारण इसने उस व्याध को अगले २५. एक ऋषि, जो जमदग्नि एवं रेणुका के पाँच पुत्रों | जन्म में 'धर्मव्याध' होने का वर प्रदान किया। में से एक था। इसके अन्य भाइयों के नाम रुमण्वत ३६. केरल देश में रहनेवाला एक ब्राहाण (पन. उ. सुषेण, विश्वावसु एवं परशुराम थे। पिता की मातृवध ११९) । पापकर्म के कारण इसे पिशाचयो नि प्राप्त हो •संबंधी आज्ञा न मानने के कारण, इसे पिता के द्वारा शाप | गयी। पश्चात् गंगोदक से यह मुक्त हुआ। प्राप्त हुआ था। परशुराम के द्वारा उस शाप से इसका ३७. वेंकटाचल पर रहनेवाला एक निषाद । इसकी उद्धार हुआ।
पत्नी का नाम चित्रवती था, जिससे इसे वीर नामक पुत्र २६. एक आंगिरसवंशीय ऋपि, जो पैल ऋषि का उत्पन्न हुआ था । विष्णु की उपासना करने से यह मुक्त - पिता था (म. स. ३०.३५)। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ | में यह होता था।
वसु काश्यप-रोहित मन्वन्तर का एक ऋषि (ब्रह्मांड २७. (वा. प्रिय.) एक राजा, जो कुशद्वीप के । ४.१.६२)। हिरण्यरेतस राजा के सात पुत्रों में से एक था (भा. ५. वसु भारद्वाज-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (उ. ९.८०२०.१४; हिरण्यरेतस् देखिये)। कुशद्वीप का इसका । ८२)। राज्यविभाग इसीके ही नाम से सुविख्यात हुआ। | वसुकणे वासुक्र-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ.१०.
२८. एक यक्ष, मणिभद्र एवं पुण्यजनी के पुत्रों में से | ६५.६६)। एक था (ब्रह्मांड. ३.७.१२३)।।
वसुकृत् वासुक्र-एक वैदिक सूक्तदृष्टा (ऋ. १०. २९. एक दैत्य, जो मुर दैत्य के पुत्रों में से एक था। २०-२६)। कृष्ण ने इसका वध किया (भा. १०.५९.१२।। | वसुक ऐद्र-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०.२७
३०. एक वसु, जिसकी पत्नी का नाम आंगिरसी, एवं २९) । किन्तु ऐतरेय अरण्यक में इन सूक्तों के प्रणयन पुत्र नाम विश्वकर्मन् था (भा. ६.६.११; वसु २. का श्रेय इसे नहीं, बल्कि इसकी पत्नी को दिया गया है देखिये)।
(ऐ. आ. १.२.२, सां. आ. १.३)। ___३१. कर्दम ऋषि के दस पुत्रों में से एक (ब्रह्मांड. २. एक बार इसके द्वारा किये गये यज्ञ में, इंद्र गुप्तरूप १४.९)।
में उपस्थित हुआ। किन्तु इसकी पत्नी के द्वारा अनुरोध
इस यज्ञ हुआ।