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रोहीतक
प्राचीन चरित्रकोश
लकुलिन्
स. २९.४ ) । इसको आजकल 'रोहतक' (पंजाब), २. ( सो. पुरूरवस्.) एक राजा, जो वायु के अनुसार कहते है।
संजाति राजा का, एवं भागवत एवं विष्णु के अनुसार रोक्मायण (णि)--एक ब्रह्मर्षि, जो भृगुकुल का अहंयाति राजा का पुत्र था। गोत्रकार था (भृगु. ३. देखिये)।
३. एक ऋषि, जो कात्यायन ऋषि का शिष्य था । एक रोक्मिणेय--एक राजा, जो द्रौपदी के स्वयंवर में | सुंदर स्त्री का रूप धारण कर, महिषासुर इसके तप में बाधा उपस्थित था (म. आ. १७७.१६)।
डालने के लिये उपस्थित हुआ, जब इसने उसे नारी के रोक्षक--विश्वामित्रकुलोत्पन्न एक ऋषि ।
ही द्वारा ही वध होनेका शाप दिया (कालि. ६२)। रौच्य--एक राजा, जो रोच्य नामक मन्वंतर का रौपसेवकि--कश्यपकुलोत्पन्न एक गोत्रकार | अधिपति था। यह रुचि राजा का पुत्र था, एवं इसकी | रौम्य--शिवगणों का एक दल, जिसे शिव के मानमाता का नाम मालिनी था (मार्क. ९५.७ ) इसे देवसा- | सुपुत्र वीरभद्र ने अपने रोमकूपों से उत्पन्न किया था वर्णि नामांतर भी प्राप्त था (ब्रह्मवै. २.५४. ६४; मा. (म. शां. परि. १.२८.८१-८२)। ८.१३)।
रौरालय--शैलालय नामक वसिष्ठकुलोत्पन्न गोत्रकार रौद्र-शुक्राचार्य के चार पुत्रों में से एक
का नामांतर। २. कैलास एवं मंदर पर रहनेवाला एक राक्षससमूह। रोरुकि-एक आचार्य, जो 'रौरुकि ब्राह्मण' नामक उत्तरखंड की यात्रा के समय, इससे सावधान रहने के | ग्रंथ का रचयिता माना जाता है।
.. लिए लोमश ऋषि ने युधिष्ठिर को कहा था।
रोहिम-विश्वामित्रकुलोत्पन्न एक ऋषि । ' रौद्रकर्मन्--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से २. एक दानव, जो इंद्र का शत्रु था (ऋ. १.१०३.२२ एक । भीम ने इसका वध किया था (म. द्रो. १०२.९६)। २.१२.१२; अ. वे. २०.१२८.१३)।
रौद्रकेतु--अंगदेश का एक ब्राह्मण, जिसकी पत्नी रौहिण वासिष्ठ---एक ऋषि, जो वसिष्ठ का वंशज का नाम शारदा, एवं पुत्रों का नाम नरांतक एवं देवांतक था (ते. आ. १.१२.५)। रोहिणी नक्षत्र में उत्पन्न होने ।
के कारण, इसे 'रौहिण' उपाधि प्राप्त हुई होगी। रौद्राश्व--(सो. पुरूरवस् .) एक राजा, जो पूरु रौहिणायन -एक आचार्य, जो शौनक ऋषि का .. राजा का पुत्र था। इसकी माता का नाम पौष्टी था। इसके शिष्य था (श. ब्रा. १४.७.३.२६)। प्रवीर एवं ईश्वर नामक दो भाई थे।
२. प्रियव्रत नामक आचार्य का पैतृक नाम ( श. बा. इसे मिश्नकेशी नामक अप्सरा से ऋचेयु, अन्वरभानु, । १०.३.५.१४)। रौहिण' का वंशज होने से, उसे यह आदि दस महाधनुर्धर पुत्र उत्पन्न हुए थे (म. आ. | पैतृकनाम प्राप्त हुआ होगा। ८९.९-१०,८७३)। वायु आदि पुराणों में घृताची नामक रौहिण्यायनि-अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। अप्सरा इसकी पत्नी बताई गयी है (वायु ९९.११९; रोहित्यायनि--भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। है. वं. १.३१; मत्स्य ४९.४; भा. ९.२०५)।
रौहिदश्व-वसुमनस् नामक आचार्य का पैतृक नाम ।
लकुलिन्-एक शिवावतार, जो वाराहकल्प के था (वायु २३.)। यह अवतार हाथ में डंडा (लकुट, वैवस्वत मन्वंतर के अठाईस वें युगचक्र में उत्पन्न हुआ लगुड, अथवा लकुल) धारण कर अवतीर्ण हुआ, जिस था। वायु के अनुसार शिव (महेश्वर) का यह अवतार, कारण इसे लकुलिन् नाम प्राप्त हुआ। कृष्ण द्वैपायन व्यास, एवं वासुदेव कृष्ण का समकालीन स्मशान में डाले गए एक प्रेत के शरीर में योगमाया
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