________________
रैवत'
२. एकादश रुद्रों में से एक ( म. शां. २०२.१८-१९ ) रैवत ककुद्मिन्—( सू. शर्याति. ) एक राजा, जो शर्यातिवंशीय रेव राजा का पुत्र था (रेव देखिये ) |
प्राचीन चरित्रकोश
२. (सू. इ. ) एक सुविख्यात धर्मप्रवृत्त इक्ष्वाकुवंशीय राजा । एक बार दक्षिण दिशा में स्थित मंदराचल में इसने गंध से सामगान सुना, जिस कारण इसके मन में विरक्ति कर, यह राज्य छोड़ कर वन में चला गया ( म. उ. १०७.९-१० ) । अपने पूर्ववर्ती मरुत्त राजा से इसे दिव्य खड्ग की प्राप्ति हुई थी, जो इसने अपने वंशज युवनाश्व राजा को प्रदान किया था ( म. शां. १६०.७६) ।
उत्पन्न
रोचना -- वसुदेव की एक पत्नी, जो देवक राजा की कन्या थी । इसके हेम एवं हेमांगद नामक दो पुत्र थे ( भा. ९.२४.४५ ) ।
२. विदर्भराज रुक्मिन् की पौत्री, जो कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध की पत्नी थी। इसका विवाह भोजकटपुर में संपन्न हुआ था ( भा. १०.६५) ।
रोचनामुल - ए
- एक दैत्य, जो गरुड़ के द्वारा मारा गया था ( म.उ. १०३.१२ ) ।
रैवस – भृगुकुलोत्पन्न एक प्रवर ।
रोचिष्मत् -- स्वारोचिष मनु के पुत्रों में से एक । रोधक - पिशाचयोनि में प्रविष्ट हुयें पापी लोगों का एक रोचन - स्वारोचिष मन्वंतर का इंद्र, जो भागवत के समूह, जिसमें निम्नलिखित लोग शामिल थे : - पर्युषित, अनुसार यज्ञ एवं दक्षिणा का पुत्र था ।
२. तुषित देवों में से एक ।
के
रोचमान - एक राजा, जो अश्वग्रीव नामक असुर . अंश से उत्पन्न हुआ था ( म. आ. ६१.१८ ) । महा. भारत में प्राप्त निर्देशों से यह पांचाल देशीय, अथवा - चेदिदेशीय प्रतीत होता है । इसके पुत्र का नाम हेमवर्ण था ( म. द्रो, २२.५७ ) ।
यह द्रौपदी के स्वयंवर में उपस्थित था ( म. आ. १७७.१०) । युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय, भीम ने अपने पश्चिम दिग्विजय में इसे जीता था ( म. स. २६. <)1
रोमशा
३. (सो. वसु. ) एक राजा, जो मत्स्य के अनुसार वसुदेव एवं उपदेवी का पुत्र था ।
४. (सू. शर्याति.) एक शर्यातिवंशीय राजा, जो आनर्त राजा का पुत्र था ।
भारतीय युद्ध में यह पांडवों के पक्ष में शामिल था ( म. उ. १६९ ) । इसके अश्व तारकाओं से अंकित अंतरिक्ष के समान चितकबरे वर्ण के थे ( म. द्रो. २२. ४० ) । यह अत्यंत पराक्रमी महारथी था, जिसका कर्ण के द्वारा हुआ था (म. क. ४०.५१ ) ।
५. एक राजद्वय, जो भारतीय युद्ध में द्रोण के द्वारा मारा गया ( म. द्रो. ४. ७१ ) ।
६. विश्वेदेवों में से एक ।
२. उरगा देश का एक राजा, जिसे अर्जुन ने अपने उत्तरदिग्विजय में जीता था ( म. स. २४.१८ ) ।
रोचमाना -- स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म.श. ४५.२८ ) ।
सूचक ( सूचिमुख), शीघ्रग, ( शीघ्रक ), रोधक (रोहक ), वाग्दुष्ट, विदैवत, एवं नित्यवाचक |
इनमें से प्रथम पाँच लोगों का पृथु नामक वेदवेत्ता ब्राह्मण के नीतिपर उपदेश से उद्धार हुआ (पद्म. सृ. ३२) । पद्म में अन्यत्र मुनिशर्मा नामक ब्राह्मण के द्वारा वैशाख स्नान का उपदेश दिये जाने से, इन लोगों का उद्धार होने की कथा प्राप्त है ( पद्म. पा. ९४ ) ।
रोमक-- एक लोकसमूह, जो युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में उपहार ले कर उपस्थित हुआ था ( म. स. ४७. १५ पाठ.) ।
रोमपाद - - (सो. अनु. ) अंगदेश का एक सुविख्यात राजा, जो धर्मरथ (बृहद्रथ) राजा का पुत्र था । इसे लोमपाद, चित्ररथ, एवं दशरथ आदि नामांतर प्राप्त थे ( ह. वं. १.३१.४६ ) ।
यह अयोध्या के दशरथ राजा का परम स्नेही था (म. ११३.१७) । इसे चतुरंग नामक पुत्र था । इसकी शान्ता नामक कन्या का विवाह ऋश्यांग ऋषि से इसने कराया था ( म. व. ११३, ११; शां. २२६.३५, अनु. १३८. २५) ।
२. (सो. क्रोष्टु. ) एक राजा, जो विदर्भराज के तीन पुत्रों में से कनिष्ठ था ।
रोमशा -- एक वैदिक सुक्तद्रष्ट्री, जो भावयव्य राजा की पत्नी थी (ऋ. १.१२६.७९ बृहद्दे. ३.१५६ ) । ऋग्वेद के इसी सूक्त में 'रोमशा - भावयन्य संवाद' प्राप्त है, जिससे प्रतीत होता है कि, रोमशा इसका वास्तव नाम न हो कर, केवल 'बालवाली' इस अर्थ से विशेषण के रूप में इसके लिये प्रयुक्त किया गया है।
७७१