________________
यम
प्राचीन चरित्रकोश
पितरों का स्वामित्त्व, तथा संसार के पापपुण्यों पर नज़र (भा. १.१३.१५, म. आ. ५७.८०,१००.२८; १०१. रखने का काम दिया (पद्म. सु. ८)। इसे 'धर्म' २७)। नामांतर भी प्राप्त था ( ब्रह्म. ९४. १६-३२)। पूर्वकाल में नैमिषारण्य में यम वैवस्वत ने शामित्र __ यम-नचिकेत संवाद-कठोपनिषद् में 'यम-नचिकेत (कर्म) नामक यज्ञ किया था। वहाँ इसने यज्ञदीक्षा ली, संवाद' नामक एक तत्त्वज्ञानविषयक संवाद प्राप्त है, जिससे संसार मृत्यु के द्वारा नष्ट होने से बच गया। सभी जिसके अनुसार एक बार नचिकेतस् यम से मिलने यम- व्यक्ति अमर हो गए, तथा इस प्रकार संसार में जनसंख्या लोक में गया। वहाँ यम ने उसे 'पितृक्रोधशमन' एवं बढने लगी। तब इसने युद्धादि को जन्म दिया, जिससे 'अग्निज्ञान' ये दो वर प्रदान किये। उसके पश्चात् नचि- प्राणियों की संख्या मृत्यु के द्वारा कम हो गयी (म. आ. केतस् ने यम से पूछा 'मृत्यु के बाद प्राण कहाँ जाता है ? | १८९.१-८)। खाण्डवदाह के समय, श्रीकृष्ण तथा . यम ने कहा, 'मृत्य के उपरांत प्राणगमन की स्थिति तुम अर्जुन से युद्ध करने के लिए इंद्र की ओर से, यह भी मत पूछो' (मरणं मानु प्राक्षीः)। किन्तु नचिकेतस् के कालदण्ड ले कर आया था (म. आ. २१८.३१)। अत्यधिक आग्रह पर यम ने कहा, 'मृत्यु के उपरांत एक बार इसको उद्देशित कर कन्ती ने मंत्र का प्राण नष्ट नहीं होता। कर्म के अनुसार, उसे गति प्राप्त | उच्चारण किया, जिसके कारण इसे उसके पास जाना पड़ा। होती है।
वहाँ उसके उदर से इसने एक पुत्र उत्पन्न किया। वही... इसके पश्चात् नचिकेतस् ने यम से ब्रह्म के स्वरूप के | 'युधिष्ठिर' है (म. आ. ११४.३)। इसने अर्जुन को बारे में प्रश्न किया । तब यम ने उत्तर दिया, 'देवताओं एक अस्त्र प्रदान किया था (म. व. ४२.२३)। इसने को भी ब्रह्म के सत्यस्वरूप का ज्ञान नहीं है। क्यों कि, | दमयन्तीस्वयंवर के समय राजा नल को भी वर प्रदान ब्रह्मज्ञान जटिल एवं गहन है। इस.प्रकार कठोपनिषद में किया था। धर्मराज के द्वारा इसके प्रश्नों के योग्य उत्तर । वर्णित यम, देवता न हो कर एक आचार्य है, जिसने | देने के कारण, एक सरोवर में मृत पड़े उसके चारों । धार्मिक मनोवृत्तियों के वशीभूत हो कर, तात्विक रूप से | भाइयों को इसने जीवित किया था, तथा अज्ञातवास में धर्म की व्याख्या कर के लोगों को उपदेश दिया है (क. | सफल होने का उसे वरदान भी दिया था (म. व. २९७उ. १.१६)। यही यम-नचिकेत संवाद अग्निपुराण में | २९८)। सावित्री को अनेक वर देने के उपरांत, इसने भी प्राप्त है (अग्नि. ३८५)।
उसे सत्यवान् का पुनः जीवित होने का वर प्रदान किया यम को नारायण से 'शिवसहस्त्रनाम' का उपदेश | था (म. व. २८१.२५-५३)। मिला था, जिसे भी इसने नचिकेत को प्रदान किया था | इंद्र ने इसे पितरों का राजा बनाया था। पितरों के (म. अनु. १७.१७८-१७९)।
द्वारा पृथ्वीदोहन के समय यह बछड़ा बना था (अ. यमगीता-यम एवं यमदूतों के बीच हुआ अनेकानेक | वे. २.८.२८)। त्रिपुरदाह के समय, यह शिव के संवाद 'यमगीता' नाम से प्रसिद्ध है। यमगीता निम्न- बाण के पूछभाग में प्रतिष्ठित था । इसका महर्षि गौतम के . लिखित पुराणों में ग्रथित की गयी है:- विष्णुपुराण | साथ धर्मसंवाद हुआ था (म. शां. १२७)। इसने उसे (३.७); नृसिंहपुराण (८); अग्निपुराण (३८२): | मातृ-पितृत्रण से मुक्त होने का मार्ग बताया था। स्कंदपुराण ।
। यम मुंज पर्वत पर शिव की उपासना करता था (म. ___ महाभारत में वर्णित यम--महाभारत में इसे प्राणियों | आश्व. ८.१-६)। इसकी पत्नी का नाम धूमोर्णा था (म. का नियमन करनेवाला यमराज कहा गया है, जो भगवान | अनु. १६५.११)। सूर्य का पुत्र, एवं सब के शुभाशुभ कर्मों का साक्षी बताया | अन्य पुराणों के अनुसार, इसकी नगरी का नाम गया है (म. आ. ६७.३०)। इसे मारीच कश्यप एवं | संयमिनी था, जो मानसोत्तर पर्वत पर स्थित थी (भवि. ब्राह्म. दाक्षायणी का पुत्र कहा गया है (म. आ. ७०.१०)। | ५३)। रामभक्त सुरथ की परीक्षा ले कर, इसने उसे वर अणीमाण्डव्य ने इसे शूद्रयोनि में जन्म लेने के लिए | दिया था, 'तुम्हें मृत्यु तभी प्राप्त होगी, जब तुम राम के शाप दिया था (म. आ. १०१.२५), क्यों कि, यम | दर्शन कर लोगे (पद्म. पा. ३९)। ने उसे निरपराधी होते हुए भी फाँसी की सजा दी | यम की उपासना--यम को उसकी बहन यमी ने थी। बाद को इसने विदुर के रूप में जन्म लिया था | कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भोजन दिया था। इसी लिए
६७६