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________________ प्राचीन चरित्रकोश महोदर ८. रावण का एक भाई, जो विश्रवस् एवं पुष्पोत्कटा के पुत्रों में से एक था ( वा. रा. यु. ७०.६६ ) । हनुमत् ने इसका वध किया था । ९. एक प्रातःस्मरणीय नृप ( म. अनु. १६५.५२ ) । महौजस् - एक राजा, जो कालेय ( पाँचवाँ ) के अंश से उत्पन्न हुआ था। भारतीय युद्ध में यह पाण्डवों के पक्ष में शामिल था (म. उ. ४.१९ ) । २. एक राजा, जो भारतीय युद्ध में कौरवों के पक्ष में शामिल था (म. आ. ६१.५० ) । ३. एक क्षत्रिय कुल, जिसमें 'वरयु' ( वरप्र ) नामक कुलांगार राजा उत्पन्न हुआ था ( म. उ. ७२.१५ ) । ४. वसुदेव एवं भद्रा के पुत्रों में से एक । ५. तुषित देवों में से एक । महौदवाहि-- एक आचार्य, जिसका ऋग्वेदी ब्रहा - यज्ञांग तर्पण में निर्देश प्राप्त है (आश्व. गृ. ३.४.४ ) । माणिचर ( म. स. ३१.१३ ) । इसके नाम के लिए 'मालक' पाठभेद भी प्राप्त है । माक्षति - वसिष्ठकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ऋषिगण । माक्षन्य -- एक आचार्य, जो मक्षु नामक महर्षि का पुत्र था। इसने संहिता शब्द का तात्विक अर्थ लगाने का प्रयत्न किया है, जिसके अनुसार द्यौ एवं पृथ्वी स्वयं एक आचार्य है, जिन्होने आकाश नामक एक संहिता का निर्माण किया है ( ऐ. आ. ३.१.१ ) । मालक-मालक देश के रहिवासी लोगों के लिए प्रयुक्त सामुहिक नाम । भारतीय युद्ध में ये लोक कौरवों के पक्ष में शामिल थे । इनके नाम के लिए 'मावेल्लक ' पाठभेद भी प्राप्त है। इन्होंने एवं त्रिगर्तराज सुशर्मन् ने अर्जुन को युद्ध में विनष्ट करने की प्रतिज्ञा की थी ( म. द्रो. १६.२० ) । किंतु उस समय हुए युद्ध में अर्जुन ने इनका संहार किया ( म. द्रो. १८. १६ ) । द्रोणाचार्य कौरवसेना का सेनापति होने पर, उसे आगे कर के इन्होने फिर एक बार अर्जुन पर आक्रमण किया (म. द्रो. ६६.३८ ) । किंतु अर्जुन ने पुनः एक बार इनका संहार किया (म. क. ४.४७ - ४९ ) । माटर - सूर्य की एक पार्श्ववर्ती देवता, जो हमेशा सूर्य के दक्षिण में रहता है। सूर्य की सेवा करने के लिए इसकी नियुक्ति इन्द्र के द्वारा की गयी थी ( भवि. ब्राह्म. २३) । महाभारत के अनुसार, दक्षिण भारत में 'माठरवन' नामक एक तीर्थस्थान था, जहाँ इसका विजयस्तंभ सुशोभित होता था (म. व. ८६.७)। २. अष्टादश विनायकों में से एक ( साम्ब. १६ ) । ३. एक आचार्य, जो 'सांख्यकारिकावृत्ति' नामक ग्रंथ का रचयिता माना जाता है। 'अष्टकाकर्म' में तंत्र करना चाहिए ऐसा इसका अभिमत था, जौ कौषित की ब्राह्मण में उद्धृत किया गया है ( कौ. ब्रा. १३८. मागध - एक राजा, जो भारतीय युद्ध में कौरवों के पक्ष में शामिल था । महाभारत में इसे ' मगध देशाधि - पति' कहा गया है। अभिमन्यु ने इसका वध किया था ( म. भी. ५८.४४ ) । २. मगधराज जरासंघ का नामान्तर ( भा. ३.३.१० ) । १६ ) । ३. भौत्य मन्वन्तर का एक देवतागण । ४. भौत्य मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक। ४. कश्यप एवं भृगुकुलोन एक गोत्रकार । माठरीपुत्र - काश्यपि बालाक्य नामक आचार्य का मांकायन -- भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार | इसके नाम नाम (बृ. उ. ६.४.३१ माध्यं; श. बा. १४.९.४.३१के लिए 'कायन' पाठभेद प्राप्त है। ३२) । संभव है, किसी 'मठर' का स्त्रीवंशज होने के कारण, इसे यह नाम प्राप्त हुआ होगा । मांगलिन -- एक आचार्य, जो भागवत के अनुसार, व्यास की सामशिष्य परंपरा में से पौष्यंजिन ऋषि का शिष्य था ( व्यास देखिये) । माणिचर - एक यक्ष, जो कुबेर का अत्यंत प्रिय सचिव था । इसके नाम के लिए 'माणिचार ' ( वा. रा. उ. १५ ), एवं ' माणिभद्र ' ( म. आ. ५७.५०७* पंक्ति. १; स. १०.१६ ) पाठभेद प्राप्त हैं। संभव है, यह एवं मणिभद्र दोनों एक ही थे ( मणिभद्र. २. देखिये ) । माचाकीय-- तैत्तिरीय प्रातिशाख्य में निर्दिष्ट एक व्याकरणाचार्य । 'य' कार तथा ' व ' कार का लोप कहाँ होता है, इसके बारे में इसका अभिमत प्राप्त है ( तै. प्रा. १०.२२ ) । यह मंदार पर्वत के शिखर पर रहता था ( म.. व. माचेल्ल -- पाण्डवों के पक्ष का एक महारथि, जो १४००४) । रावण एवं कुबेर के दरम्यान हुए युद्ध में, युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भेंट ले कर उपस्थित हुआ था | इसने रावणपक्षीय धूम्राक्ष नामक राक्षस को गढ़ा ६३४
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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