________________
महाकाल
प्राचीन चरित्रकोश
महानंदिन
२. बाणासुर का नामान्तर ।
महानंद--मद्रदेश का एक राजा, जिसका नरिप्यन्त महाकाली-एक देवी, जो महादेव की आदिशक्ति पुत्र दम ने सुमना के स्वयंवर के समय वध किया था मानी जाती है (दे. भा. ६.६)।
(मार्क. १३०.५२)। इसके नाम के लिए 'महानाद' सहागिरि-एक दानव, जो कश्यप एवं दनु का पुत्र | पाठभेद भी प्राप्त है। था।
महानंदा--एक वेश्या, जो परम शिवभक्त थी। महाचकि-कश्यपकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।
इसके पास एक बन्दर तथा एक मुर्गा था, जिन्हें यह महाचूडा-स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. |
रुद्राक्षों से सजाये रहती थी। जब यह शिव की भक्ति
भावना में भजन करती हुयी उसीमें तल्लीन रहती, तब महाजय--नागराज वासुकि के द्वारा स्कंद को दिये
बंदर तथा मुर्गा इसके साथ नृत्य किया करते थे। . गये दो पार्षदों में से एक । दूसरे पार्षद का नाम जय था
शिव से भेंट--एक बार भगवान् शंकर एक वैश्य का (म. श. ४४.४८)।
रूप धारण कर, इसकी परीक्षा लेने के लिए स्वयं आये। महाजवा--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श.
वैश्यरूपधारी शंकर के पास एक रत्नकंकण था, जिसे देख ४५.२१)।
कर महानंदा की इच्छा उसे प्राप्त करने की हुयी । वैश्य ने महाजानु--कश्यपकुलोत्पन्न एक गोत्रकार।
इससे कहा कि, वह रलकंकण तो दे सकता है, पर २. एक श्रेष्ठ द्विज, जो प्रमद्वरा के सर्पदंशन के समय |
उसकी मूल्य यह क्या देगी ? तब महानंदा ने कहा, 'इस उसे देखने के लिए आया था (म. आ. ८.२०)। ।
कंकण को प्राप्त करने के लिए, मैं आपके पास तीन महाजिह्वा-ब्रह्मधना नामक राक्षसी की कन्या।
दिन पत्नीरूप में रह सकती हूँ। २. एक राक्षसी, जिसका बर्बरिक ने वध किया था (बबंरिक देखिये)।
- वैश्यने कंकण और रत्नमय लिंग इसको रखने को दिया, महातपस-एक ऋषि, जिसने सुप्रभ राजा को विष्णु
और उसके बदले इसे तीन दिन तक पत्नीरूप में स्वीकार की उपासना करने का उपदेश दिया था (वराह.
किया। एक रात को आग लगने के कारण, वह रत्नमय १७)।
लिंग जल गया, जिससे दुखित होकर वैश्य प्राण देने को. महातेजस्--एकादश रुद्रों में से एक।
उद्यत हुआ। महानंदा ने जब देखा कि, वह देहत्यागं २. अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ऋषिगण ।
के लिए उद्यत है, तो यह भी उसके साथ सती होने को ३. एक राजा, जो जनमेजय पारिक्षित (प्रथम) का पुत्र
तैयार हुई । क्योंकि, इन तीन दिनों में, शर्त के अनुसार था (म. आ.८९.५०)।
यह उसकी पत्नी थी, तथा पत्नी होने के कारण इसे ४. स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.२०)।
पत्नीधर्म निबाहना जरुरी था। महात्मन्--(सो. अनु.) एक राजा, जो मस्य के | महानंदा की कर्तव्यभावना देखकर शंकर प्रसन्न हुए, अनुसार महद्भानु का पुत्र था।
एवं दर्शन देकर इसके समस्त पापों का हरण किया (शिव. महादंष्ट-रावण के पक्ष का एक राक्षस ।
शत. २६)। महानंदा के सम्मुख प्रगट हुए शिव के इस महादेव-भविष्यपुराण नामक ग्रंथ का कर्ता । अवतार को 'वैश्येश्वर' कहते हैं। महादेवा-यादव राजा देवक की कन्या । ___ महानंदिन-(शिशु. भविष्य.) एक राजा, जो
महाद्यति--एक प्राचीन नरेश (म. आ. १.१७२ | भागवत, विष्णु एवं वायु के अनुसार नंदिवर्धन का पुत्र पाठ.)।
था। शिशुनाग वंश का यह अंतीम राजा था, जिसके २. ग्यारह रुद्रों में से एक।
पश्चात् शूद्र वंश में उत्पन्न महापद्म नंद राजा मगध देश ३. एक यक्ष, जो मणिभद्र एवं पुण्यजनी के पुत्रों में | का राजा बन गया । यह नंद राजा इसीका ही एक शूद्रा से एक था।
से उत्पन्न पुत्र था ( महापद्म देखिये)। मत्स्य, वायु एवं महाधृति--(स. निमि.) एक निमिवंशीय राजा, जो ब्रह्मांड के अनुसार इसने ४३ वर्षों तक राज्य किया। भागवत के अनुसार विसृत का, एवं विष्णु तथा वायु के २. एक धर्मनिष्ठ राजा, जो पूर्व जन्म में भीमवर्मन् अनुसार विबुध का पुत्र था।
| नामक दुराचारी क्षत्रिय था । ६२८