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________________ महानाद प्राचीन चरित्रकोश महाभिष महानाद-रावण के मामा प्रहस्त नामक राक्षस का ४. शिव का एक पार्षद। अमात्य (वा.रा. यु.५८.१९)। ५. स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.१०६)। २. शिशुनागवंशीय महानं दिन् राजा का नामांतर। ६. वैवस्वत मन्वन्तर का इंद्र । महानाभ-एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों ७. गुहावासिन् नामक शिवावतार का शिष्य । में से एक था। ८. पितरों में से एक। २. एक राक्षस, जो हिरण्याक्ष एवं रुषाभानु के पुत्रों में । महाबला-- स्कंद की अनुचरी मातृकाद्वय (म. श. से एक था। ४४.१०६)। - महानील-एक नाग, जो कश्यप एवं कद्र के पुत्रों में | महाबाहु-एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से एक था। से एक था। पाठभेद (भांडारकर संहिता)-'वीरबाहु' महानुभाव--चाक्षुष मन्वन्तर के देवों में से एक। २. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से एक । महापा--(नंद, भविष्य.) नंदवंश का प्रथम राजा, भीम ने इसका वध किया (म. द्रो. १३२.११३५७. जो वायु, एवं मत्स्य के अनुसार शिशुनाग वंश के अंतिम पंक्ति. १)। राजा महानं दिन का पुत्र था। यह उसे एक शूद्र स्त्री से ३. (सो. मगध. भविष्य.) मगध देश का एक राजा, उत्पन्न हुआ था। इसने अपने पिता का वध कर, अपने | जो वायु के अनुसार श्रुतंजय राजा का पुत्र था। भागवत स्वतंत्र नंदवंश की स्थापना की । इसे नंद नामांतर भी | एवं विष्णु के अनुसार इसे : विप्र', मत्स्य के अनुसार पास था। इसे · विम', एवं ब्रह्मांड के अनुसार 'रिपुञ्जय' नामांतर मत्स्य एवं ब्रह्मांड के अनुसार इसने ८८ वर्षों तक. प्राप्त थे ।इसने पैतीस वर्षों तक राज्य किया। गवं वायु के अनुसार २८ वर्षों तक राज्य किया था। महाभय--एक राक्षस, जो अधर्म एवं निऋति का २. एक दिग्गज, जो भारतीययुद्ध में घटोत्कच के पुत्र था। निति का पुत्र होने से, इसे एवं इसके भय गजसेना में शामिल था (म. भी. ६०.५१)। एवं मृत्यु नामक दो भाईयों को 'नैऋत' राक्षस कहते थे । महापप्र-एक नाग, जो कश्यप एवं कद के पुत्रों में महाभाग-भृगुकुलोत्पन्न गोत्रकार 'वाह्ययन' के से एक था। नाम के लिए उपलब्ध पाठभेद । महापरिषदेश्वर-स्कंद का एक सैनिक (म. श. महाभागा-एक अप्सरा, जो कश्यप एवं खषा की ४४.६१)। कन्याओं में से एक थी। महापाच---एक राक्षस, जो रावण का अमात्य था। महाभिष-(सू. इ.) इक्ष्वाकुवंश में उत्पन्न एक इसे 'मत्त' नामांतर भी प्राप्त था। विश्रवस् ऋषि को प्राचीन राजा, जो सत्यवादी तथा पराक्रमी था। कुंभ. पुष्पोत्कटा नामक पत्नी से उत्पन्न पुत्रों में से यह एक था । | कोणम् प्रति में 'महाभिष' के स्थान पर 'महाभिषज' राम-रावण युद्ध में यह अंगद के हाथों इसका वध हुआ नाम प्राप्त है। (वा. रा. यु. ९८.२२)। । पूर्वजन्म में इसने एक सहस्र अश्वमेध, एवं सौ राजसूय महापुरुवश-(सो. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, जो वायु के अनुसार नंदन राजा का पुत्र था। | यज्ञों के द्वारा इन्द्र को संतुष्ट कर के स्वर्गलोक प्राप्त किया महापौरव--(सो. द्विमीढ.) एक राजा, जो मत्स्य था (म. आ. ९१.१-२)। के अनुसार सार्वभौम राजा का पुत्र था । वायु एवं हरिवंश | ब्रह्मा से शाप--एक बार जब यह ब्रह्मलोग गया, तब में इसे क्रमशः 'महत्पौरव' एवं 'महत् ' कहा गया वहाँ इसने अन्य देवताओं ऋषियों तथा समस्त नदियों के साथ महानदी गंगा को भी देखा । जब इसने उसे देखा, महाबल--एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में तब गंगा के शरीर का वस्त्र हवा में उड़ रहा था, जिसे से एक था। देख कर सब ने अपनी नज़रें शीघ्र झुका ली। किन्तु २. (सो. पूरु.) एक पूरुवंशीय राजा, जो वायु के महाभिष एकटक उसे देखता ही रहा। गंगा ने भी इसे अनुसार बृहदिष्णु राजा का पुत्र था। प्रेमभरी दृष्टि से देखा, तथा दोनों एक दूसरे से स्नेह३. विष्णु का एक पार्षद। बन्धन में एकाएक बँध गये। दोनों के इस प्रेमभरे खिंचाव ६२९
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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