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________________ मलय प्राचीन चरित्रकोश महाकाल मलयं--एक राजा, जो प्रियव्रतवंशीय ऋषभदेव राजा महत्--कश्यपकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। का पुत्र था। वृषभदेव ने अपने अजनाभवर्ष के राज्य २. (स्वा. नाभि.) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार के नौ विभाग कर, उनमें से एक भाग इसे प्रदान किया | विराट राजा का पुत्र था। था (भा. ५.४.१०; ऋषभदेव १०. देखिये)। ३. अमिताभ देवों में से एक । ...२. गरुड का एक पुत्र (म. स. ९९.१४)। इसके | ४. पितरों में से एक। नाम के लिए 'मालय' पाठभेद प्राप्त है। ५. (सो. पूरु.) एक पूरुवंशीय राजा, जो अन्तिनार मलयध्वज-मणलूर नगरी के चित्रवाहन नामक | राजा का पुत्र था (म. आ. ८९.११)। पाण्ड्य राजा का नामान्तर (चित्रवाहन देखिये)। ६. एक अमि, जो प्रजापति भरत नामक अग्नि का पुत्र २. एक पाण्ड्य राजा, जिसे वैदर्भी नामक पत्नी से था (म. व. २०९.८)। कृष्णेक्षणा (लोपामुद्रा) नामक कन्या उत्पन्न हुयी थी महत्तर--एक अग्नि, जो 'पांचजन्य' नामक अग्नि (मा. ४.२८.३० लोपामुद्रा देखिये)। ! के पाँच पुत्रों में से एक था (म. व. २१०.९)। मलिन--एक पुरुवंशीय राजा, जो वायु के अनुसार महत्पौरव--(सो. द्विमीढ.) एक राजा, जो वायु के वसु राजा का पुत्र था। इसे 'इलिल' नामान्तर भी प्राप्त | अनुसार सार्वभौम राजा का पुत्र था। मत्स्य में इसके था (इलिल देखिये)। नाम के लिए 'महापौरव' पाठभेद प्राप्त है। मल्ल-राम दाशरथि राजा के सूज्ञ नामक मंत्रि का पुत्र। महस्वत्--(सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो २. धर्म के सात पुत्रों में से एक । 'मल्लारि माहात्म्य' भागवत के अनुसार अमर्षण राजा का, एवं विष्णु के के अनुसार, मार्तड नामक भैरव ने इसका वध किया। अनुसार अमर्ष राजा का पुत्र था। वायु में इसके नाम ३. मल्ल देश में रहनेवाले लोगों के लिए प्रयुक्त के लिए 'सहस्वत् ' पाठभेद प्राप्त है। सामूहिक नाम। महाभारतकाल में, इन लोगों के राजा महाकपाल--दूषण राक्षस का अमात्य (वा. रा. .का नाम पार्थिव था, जिसे भीमसेन ने परास्त किया अर. २३.३३)। था (म. स. २७.३)। इन लोगों में गणतंत्रपद्धति का महाकपि--अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । राज्य थी, एवं इनकी राजधानी कुशीनगर (कुशीनारा) महाकर्ण--एक नाग, जो कश्यप एवं कद्रू के पुत्रों में • नगर में थी। | से एक था । मल्लिकार्जुन (ज्योतिर्लिंग)-एक शिवावतार, जो २. वसिष्ठकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। श्रीशैल पर निघास करता था। इसके एक भक्त ने अपने महाकाग--मगधराज अंबुवीच का दुष्ट मंत्री (म. पुत्र के दर्शन के लिए इसकी प्रार्थना की थी, जिसकी आ. १९६.१९)। ' पूर्तता करने के लिए यह स्वर्गिरि पर निवास करने के | महाकर्णी--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. लिए गया (शिव. शत. ४२)। इसके उपलिंग का नाम श. ४५.२५)। 'रुद्रेश्वर' था (शिव. कोटि. १)। महाकाय--एकादश रुद्रों में से एक। मशक गार्ग्य-एक आचार्य, जो स्थिरक गार्ग्य नामक | २. रावण के पक्ष का एक राक्षस । ऋषि का पुत्र एवं शिष्य था। सामवेदान्तर्गत 'मशक महाकाया-कंद की अनुचरी एक मातृका (म.श. कल्पसूत्र' अथवा 'आर्षेय कल्पसूत्र' नामक ग्रंथ का यह | ४५.२३)। रचयिता था (ला. श्री. ७.९.१४; अनुपदसूत्र. ९९)। महाकाल (ज्योतिर्लिंग)-एक शिवावतार, जो इसके शिष्य का नाम अतिधन्वन् था (वं. बा. २)। उज्ययिनी में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित महाकाल नामक मशार-ऋग्वेद में निर्दिष्ट नहुष लोगों का एक तीर्थस्थान में निवास करता है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों राजा (ऋ. २.१२२.१५)। इसे कुल चार पुत्र थे, 4 में से एक माना जाता है ( ज्योतिर्लिंग देखिये)। इसके ..जिन्होने दीर्घतमस् पुत्र पक्षीवत् को काफी त्रस्त किया था। उपलिंग का नाम 'दुग्धेश' था (शिव. कोटि. १)। मषपाल--एक राजा, जो भविष्य के अनुसार सुनीथ इसने केवळ अपनी हुंकार से ही दूषण नामक असुर राजा का पुत्र था। को भस्मसात् किया था (शिव. शत. ४२)। इसने मसृण--कश्यपकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । | ब्रह्माजी का पाँचवाँ सिर नष्ट किया था (स्कंद. ५.१.३)। ६२७
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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