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________________ मनु वैवस्वत प्राचीन चरित्रकोश मनु स्वायंभुव इसमें “आनन्द' की चरम सिद्धि तथा अन्तिम ढाई | यह ब्रह्मा के मानसपुत्रों में से एक था। वायु में इसे सों में शान्ति की बहती मन्दाकिनी देखने योग्य है। आनंद नामक ब्रह्मा से उत्पन्न हुआ कहा गया है। आनंद प्रस्तुत ग्रन्थ में मनु का चरित्र एक मानवीय चरित्र | ने पृथ्वी पर वर्णव्यवस्था स्थापित की, एवं विवाहसंस्था के रूप में ही प्रकट हुआ है। 'प्रसाद' जी ने मनु का का भी निर्माण किया । किन्तु आगे चलकर यह व्यवस्था चरित्र अस्वाभाविक तथा दैवी नहीं, बल्कि इसी जगत के मृतवत् हो गयी, जिसका पुरुद्धार स्वायंभुव मनु ने किया मानवीय रूप का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत किया है।। (वायु. २१.२८८०१४६-१६६; २१.२८)। मनु एक सच्चे मानव की भाँति गिरे भी हैं, तथा उठे| इसकी राजधानी सरस्वती नदी के तट पर स्थित थी। भी हैं। मन का यह पतन एवं उत्थान विश्वमानव के अपने सभी शत्रु को पराजित कर यह पृथ्वी का पहला लिए एक आशाप्रद संदेश देता है, तथा प्रवृत्ति-निवृत्ति का | राजा बना था। समन्वय कर के एक संतुलित जीवन व्यतीत करने की ब्रह्मा के शरीर के दाये भाग से उत्पन्न शतरूपा नामक शिक्षा देता है। | स्त्री इसकी पत्नी थी, जिससे इसे प्रियव्रत एवं उत्तानपाद ___ कामायनी के प्रधान चरित्र नायक मन का कई रूपों | नामक दो पुत्र, एवं तीन कन्याएँ उत्पन्न हयी। उत्तानपाद में चित्रण प्राप्त है। उनका पहला रूप नीतिव्यवस्थापक राजा के वंश में ही ध्रुव, मनु चाक्षुष, पृथु वैन्य, दक्ष, का है, जो 'इला, 'स्वप्न' तथा 'संघर्ष' आदि सगों में | एवं मनु वैवस्वत नामक सुविख्यात राजा उत्पन्न हुए। हुआ है। इसका सीधा सम्बध 'इला' से है। दूसरा,वैदिक मन स्वायंभुव का ज्येष्ठ पुत्र प्रियव्रत पृथ्वी का पहला कर्मकाण्डी ऋषि के रूप में हुआ है, जिसके दो पहलू हैं- क्षत्रिय माना जाता है। उसे उत्तम, तामस एवं रैवत नामक पहला तपस्वी मनु का, जो 'किलाताकुली' के आने के तीन पुत्र थे, जो बचपन में ही राज्य त्याग कर तपस्या के पूर्व में मिलता है, दूसरा 'हिंसक यजमान' मनु का, लिए वन में चले गये। आगे चल कर प्रियव्रत के ये तीन जो असुर पुरोहितों के आगमन के पश्चात् पाया जाता पुत्र क्रमशः तीसरे, चौथे, एवं पाँचवें मन्वन्तर के है। इनका तीसरा रूप 'मनु-इला युग' के अन्त में | अधिपति बने थे। देखा जा सकता है, जब वे आनंद पथ में चल कर मनु स्वायंभुव की एक कन्या का नाम आकूति था, • शिवत्व प्राप्त करने में सफल होते हैं। इस प्रकार जिससे आगे चलकर मनु स्वारोचिष नामक दूसरे मनु का 'कामायनी' में मनु पात्र का विकास देवता मनु, ऋषि | जन्म हुआ। मनु , प्रजापति मनु तथा आनंद के अधिकारी मनु के भविष्य पुराण में मनु के द्वारा प्रणीत धर्मशास्त्र का रूप में हुआ है। निर्देश 'स्वायंभुवशास्त्र' नाम से किया गया है। बाद को मनु सावर्णि-सावर्णि नामक आठवे मन्वन्तर का | इस शास्त्र का चतुर्विध संस्करण भृगु, नारद, बृहस्पति एवं अधिपति मनु । एक वैदिक सूक्तद्रष्टा के नाम से इसका अंगिरस् द्वारा किया गया था (संस्कारमयूख पृष्ठ. २)। निर्देश वैदिक ग्रंथों में प्राप्त है (अ. वे. ८.१०.२४; श. विश्वरूप के ग्रन्थ में भी मनु का निर्देश 'स्वायंभुव' नाम ब्रा. १३.४.३.३; आ. श्री. १०.७; नि. १२.१०)। से किया गया है, एवं इसके काफी उद्धरण भी लिये गये 'सवर्णा' का वंशज होने से इसे यह नाम प्राप्त हुआ होगा। । हैं (याज्ञ. २.७३-७४, ८३:८५)। किन्तु विश्वरूप द्वारा ऋग्वेद में इसका निर्देश मनु 'सांवरणि' नाम से किया | दिये गये मनु एवं भृगु के श्लोक 'मनुस्मृति' में आजकल गया है (ऋ. ८.५१.१)। संभव है, 'संवरण' का | अप्राप्य है (याज्ञ १.१८७-२५२) । अपरार्क ने भृगुस्मृति वंशज होने से इसे यह नाम प्राप्त हुआ होगा । लुडविग | का एक श्लोक दिया है, जो मनु का कहा गया है (याज्ञ. के अनुसार, यह तुर्वशों का राजा था (लुडविग-ऋग्वेद २.९६ )।किन्तु वह इलोक भी मनुस्मृति में अप्राप्य है। अनुवाद. ३.१६६)। ___ स्मृतिकार--निरुक्त में जहाँ पुत्र एवं पुत्री के अधिकारों ___ महाभारत में इसे मनु सौवर्ण कहा गया है, एवं का वर्णन किया गया है, वहीं स्वायंभुव मनु का स्मृतिकार बताया गया है कि, इसके मन्वन्तर में वेदव्यास सप्तर्षि | के रूप में उल्लेख किया गया है। निरुक्त से यह पता पद पर प्रतिष्ठित होंगे (म. अनु. १८.४३)। | चलता है कि, इसका मत था कि, पुत्र एवं पुत्री को पिता मनु स्वायंभुव--एक धर्मशास्त्रकार, जो स्वायंभुव की संपत्ति में समान अधिकार है। उन्हीं श्लोकों को मनु नामक पहले मन्वन्तर का मनु माना जाता है । | की स्मृति कहा गया है (नि. ३.४)। इससे स्पष्ट है ६१३
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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