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________________ मनसा प्राचीन चरित्रकोश था। इसके इस सारे परिवार का निर्देश इसके संबंधित । ७. एक ऋषि, जो कृशाश्व ऋषि का पुत्र था। इसकी निम्नलिखित मंत्र में प्राप्त है : माता का नाम धिषणा था (भा. ६.६.२०)। आस्तिकस्य मुनेर्माता, भगिनी वासुकेस्तथा । ८. (सो. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, जो वायु के जरत्कारुमुनेः पत्नी, मनसा देवी नमोस्तु ते ॥ अनुसार मधु राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम २. सिंधु दैत्य की कन्या। मनुवश था। मनस्यु-(सो. पूरु.) एक पूरुवंशीय सम्राट, जो पूरु ९. (सो. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, जो मत्स्य के राजा का पौत्र एवं प्रवीर राजा का पुत्र था। वायु में इसे अनुसार, लोमपाद राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम अविद्ध का, एवं मत्स्य में इसे प्राचीन्वत् राजा का पुत्र ज्ञाति था। कहा गया है। इसकी माता का नाम शौरसेनी था. जो १० (सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो शीघ्र शूरसेन राजा की कन्या थी (म. आ. ८९.६-७)। । राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम प्रसुश्रुत था। इसकी पत्नी का नाम सौवीरी था, जिससे इसे शक्त, ११. धर्मसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । संहनन एवं वाग्मिन् नामक तीन पुत्र उत्पन्न हुए थे। १२. अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। २. (स्वा. नाभि..) एक राजा, जो महत् राजा का | | मनु 'आदिपुरुष'-मानवसृष्टि का प्रवर्तक आदि मनु' आदपुरु पुत्र था। विष्णु में इसके नाम के लिये 'नमस्यु' पाठभेद पुरुष, जो समस्त मानवजाति का पिता माना जाता है (ऋ. १.८०.१६; ११४.२, २.३३.१३, ८.६३.१; अ. वे. १४.२.४१; तै. सं. २.१.५.६)। __ मनस्विनी-दक्षप्रजापति की कन्या, जो धर्म की पत्नी कई अभ्यासकों के अनुसार, मनु वैवस्वत तथा यह थी। धर्म से इसे चंद्रमा नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था। | दोनों एक ही व्यक्ति थे (मनु वैवस्वत देखिये)। २. पूरुवंशीय सम्राट अन्तिनार राजा की पत्नी (मत्स्य. ऋग्वेद में प्रायः बीस बार मनु का निर्देश व्यक्तिवाचक ४९.७)। नाम से किया गया है। वहाँ सर्वत्र इसे 'आदिपुरुष' ३. उत्तानपाद राजा की सुनृता नामक पत्नी से उत्पन्न एवं मानव जाति का पिता, तथा यज्ञ एवं तत्संबंधित • कन्या । विषयों का मार्गदर्शक माना गया है । मनु के द्वारा बताये मनावी-'मनु की पत्नी' इस अर्थ से प्रयुक्त शब्द गये मार्ग से ले जाने की प्रार्थना वेदों में प्राप्त है (ऋ. (क. सं. ३०.१; श. ब्रा. १.१.४.१६)। ८.३०.१)। मनु--मानवसृष्टि का आदि पुरुष (मनु 'आदिपुरुष' __ मानवजाति का पिता-ऋग्वेद में पांच बार इसे पिता दखिये)। एवं दो बार निश्चित रूप से 'हमारे पिता' कहा गया है २. एक राजा, जिसके राज्यकाल में जलप्रलय हो कर, (ऋ. २.३३ )। तैत्तिरीय संहिता में मानवजाति को 'मनु श्रीविष्णु ने मत्स्यावतार लिया था (मनु वैवस्वत देखिये)। की प्रजा' (मानव्यः प्रजाः) कहा गया है (१.५.१.३)। ३. 'मनुस्मृति' नाम सुविख्यात धर्मशास्त्रविषयक | | वैदिक साहित्य में मनु को विवस्वत् का पुत्र माना गया है, ग्रंथ का कर्ता (मनु स्वायंभुव देखिये)। एवं इसे 'वैवस्वत' पैतृक नाम दिया गया है (अ. वे. ८. ४. एक अर्थशास्त्रकार (मनु प्राचेतस देखिये)। १०; श. ब्रा. १३.४.३)। यास्क के अनुसार, विवस्वत् . ५. एक अग्निविशेष, जो तप नाम धारण करनेवाले | का अर्थ सूर्य होता है, इस प्रकार यह आदिपुरुष सूर्य का पांचजन्य नामक अग्नि का पुत्र था। इसकी सुप्रजा, | पुत्र था (नि. १२.१०)। यास्क इसे सामान्य व्यक्ति न महत्भासा एवं निशा नामक तीन पत्नियाँ थी। उनमें से | मानकर दिव्यक्षेत्र का दिव्य प्राणी मानते है (नि.१२. प्रथम दो से इसे छः पुत्र एवं तीसरी से इसे एक कन्या | ३४)। तथा सात पुत्र उत्पन्न हुए थे। इसके पुत्रों में निम्नलिखित | वैदिक साहित्य में यम को भी विवस्वत् का पुत्र माना चार पुत्र प्रमुख थे:-वैश्वानर, विश्वपति, स्विष्टकृत् एवं | गया है, एवं कई स्थानों पर उसे भी मरणशील मनुष्यों कर्मन (म. व. २२३)। | में प्रथम माना गया है। इससे प्रतीत होता है कि, ६. एक अप्सरा, जो कश्यप एवं प्राधा की कन्या थी | वैदिक काल के प्रारम्भ में मनु एवं यम का अस्तित्त्व (म.आ. ५९.४४)। अभिन्न था, किन्तु उत्तरकालीन वैदिक साहित्य में मनु को ६०५
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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