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भार्गव
प्राचीन चरित्रकाश
भास्वर
स्नान' का संकल्प बताया था। वर्तमान काल में इस कुल | माल्लवेय-इंद्रद्युम्न नामक आचार्य का पैतृक नाम के ब्राह्मण प्रायः गुजराथ प्रदेश में भडोच में दिखाई देते | (श. ब्रा. १०.६.१.१; छां. उ. ५.११.१, १४.१)।
'भाल्लवि' का पुत्र होने से इसे यह नाम प्राप्त हुआ होगा। २. वैवस्वत मन्वन्तर का तीसरा एवं छब्बीसवाँ व्यास। शतपथ ब्राह्मण में एक अधिकारी आचार्य के रूप में ३. ऋषभ नामक शिवावतार का शिष्य ।। इसका निर्देश कई बार प्राप्त है ( श. ब्रा. १.७.३.१९; ४. भौत्य मनु का एक पुत्र, जो सप्तर्षियों में से एक था।
२.१.४.६; १३.४.२.३)। ५. एक देवसमूह, जिसमें बारह देव समाविष्ट थे
भावन--उत्तम मन्वन्तर का एक देवगण । (मत्स्य. १९५.१२-१३)।
२. भृगु वारुणि ऋषि को दिव्या नामक पत्नी से उत्पन्न भार्गवत--अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। बारह देवों में से एक। भायण--सुत्वन् नामक राजा का गोत्रनाम (सुत्वन् | भावयव्य--स्वनय नामक राजा का पैतृक नाम कैरिशीय भाईयण देखिये)।
| (स्वनय देखिये; सां. श्री. १५.११.५.)। आर्गेय--भृगुकुल के 'मार्गेय' नामक गोत्रकार के नाम भावास्यायनि--अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । के लिए उपलब्ध पाठभेद (मार्गेय देखिये)।
भाविनि--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. ' भार्ग्यश्व-मुद्गल नामक ऋषि का पैतृक नाम । ४५.११)। इसके नाम के लिए 'भामिनि पाठभेद प्राप्त है। - भालंदन--वत्सप्रि नामक ऋषि का पैतृक नाम । भाव्य---स्वनय नामक राजा का पैतृक नाम (ऋ. १..' भालुकि--एक ऋषि, जो पांडवों के साथ द्वैतवन में | १२६. १; नि. ९.१०)। गया था (म. स. ४.१३; व. २७.२२)।
आस--एक तपस्वी, जो सह्याद्रि में स्थित अत्रि ऋषि . २. एक आचार्य, जो वायु के अनुसार व्यास की के आश्रम में रहनेवाले एक ऋषि का पुत्र था। यह विलास .. सामशिष्यपरंपरा में से लांगलि ऋषि का शिष्य था। नामक राजा का परम मित्र था।
इसने योगशास्त्र पर एक ग्रंथ लिखा था, जिसका आधार| भासकर्ण-रावण का एक सेनापति, जो हनुमान् । 'हटप्रदीपिका' नामक ग्रंथ में लिया गया है (C.C.)। | के द्वारा मारा गया (वा. रा. सु. ४६.३७)।
भालुकीपुत्र--एक आचार्थ, जो क्रौंचिकीपुत्र नामक | आसा-पूरुवंशीय राजा अयुतायिन् की पत्नी, ऋषि का शिष्य था। इसके शिष्य का नाम राथीतरीपुत्र | जो पृथुश्रवस् राजा की कन्या थी। इसके पुत्र का नाम था (बृ. उ. ६.५.२ काण्व.)।
| अक्रोधन था। २. एक आचार्य, जो प्राचीनयोगीपुत्र नामक ऋषि का भासी-कश्यप ऋषि की कन्या, जो उसे ताम्रा शिष्य था । इसके शिष्य का नाम वैदभृतीपुत्र था नामक पत्नी से उत्पन्न हुयी थी। आगे चल कर, इससे (श. ब्रा. १४. ९.४.३२, बृ. उ. ६.४.३२ माध्य.)। भास, उलूक आदि पक्षी उत्पन्न हुए।
माल्ल प्रातृद--एक आचार्य (जै. उ.बा.३०.३१.४)।। २. एक अप्सरा, जो कश्यप एवं प्राधा (अरिष्टा ) से
भाल्लवि-एक आचार्य, जिसके द्वारा प्रणीत एक | उत्पन्न आठ कन्याओं में से एक थी। आचारविशेष का निर्देश पंचविंश ब्राह्मण में प्राप्त है। भासुर-तुषितं देवों में से एक। (पं. बा. २.२.४ )। सायण के अनुसार, यह व्यक्ति- भास्कर--एक आदित्य, जो कश्यप एवं अदिति से वाचक नाम न हो कर किसी शाखा के नाम का द्योतक है। उत्पन्न बारह आदित्यों में से एक था।
माल्लविन्-एक शाखाप्रवर्तक आचार्य, जिसके २. स्कंद के भास्वर नामक पार्षद के नाम के लिए द्वारा निर्मित एक ब्राह्मण ग्रंथ प्राप्त है। इसके ग्रंथ का उपलब्ध पाठभेद (भास्वर देखिये)। उद्धरण बौधायन धर्मसूत्र में उपलब्ध है (बौ. ध. १.२. भास्करि--एक ऋषि, जो शरशय्या पर पडे हुए ११)। कई ग्रंथों में इसका निर्देश बहुव वन में प्राप्त है, भीष्म से मिलने आया था (म. शां. ४७.६६%; पंक्ति. जिससे प्रतीत होता है कि, यह किसी एक व्यक्ति का नाम | ११)। न हो कर, किसी गुरुपरंपरा का नाम होगा (जै. उ. बा. भास्वर--सूर्य के द्वारा स्कंद को दिये गये दो पार्षदों २.४.७)।
| में से एक । दूसरे पार्षद का नाम सुभ्राज था (म. श.