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भानुदेव
प्राचीन चरित्रकोश
भारद्वाज
भानुदेव-एक पांचाल योद्धा, जो भारतीय युद्ध में | ६. बृहस्पति आंगिरस् ऋषि की कन्या, जो उसे शुभा कर्ण के द्वारा मारा गया था (म. क. ३२.३७)। नामक पत्नी से उत्पन्न हुयी थी।
भानुमत्--(सू. निमि.) एक राजा, जो भागवत के । ७. धृतराष्ट्रपुत्र दुर्योधन राजा की एक पत्नी। स्कंद अनुसार, केशिध्वज राजा का, एवं वायु के अनुसार | के अनुसार, इसने हाटकेश्वर नामक शिवलिंग की स्थापना सीरध्वज का पुत्र था।
की थी (स्कंद. ६.७३-७४)। २. कलिंग देश का राजा, जो भारतीय युद्ध में कौरव भानुरथ-इक्ष्वाकुवंशीय भानुमत् राजा का नामांतर पक्ष में शामिल था। भीम ने इसका वध किया (म. भी. | (भानुमत् ६. देखिये)।
भानुर्विद-एक यादव (भा. १०.६.१४ )। ३. (सो. तुर्वसु.) एक तुर्वसुवंशीय राजा, जो भागवत | भानुश्चंद्र--(सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय, राजा, जो के अनुसार भर्ग राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम मत्स्य के अनुसार चंद्रगिरि राजा का पुत्र था। त्रिभानु था।
भानुसेन--अंगराज कर्ण का एक पुत्र, जो भारतीय ४. कोसल देश का सुविख्यात राजा। इसकी कन्या युद्ध में भीम के द्वारा मारा गया था (म.क. ३२.४९)। का नाम कौसल्या था, जो सुविख्यात इक्ष्वाकुवंशीय सम्राट | पाठभेद (भांडारकर, संहिता)-सत्यसेन। . दशरथ को विवाह में दी गयी थी (वा. रा. बा. १३. भामिनी-वैशाली के अविक्षित राजा की पत्नी । २६)। दशरथ के द्वारा किये गये पुत्रकामेष्टि यज्ञ के इसके पुत्र का नाम मरुत्त था, जो आगे चल कर वैशाली समय इसे बड़े सम्मान के साथ निमंत्रित किया गया था। का सुविख्यात सम्राट बना (मार्क. १२४)। एक बार
५. कृष्ण को सत्यभामा से उत्पन्न पुत्रों में से एक। | यह नागलोक में गयी थी, जहाँ इसने सों को अभय .
६. (सू. इ. भविष्य.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो | दिया कि, इसका होनेवाला पुत्र मरुत्त उनकी रक्षा करेंगा. भागवत के अनुसार बृहदश्व राजा का पुत्र था। विष्णु (मार्के. १२६)। एवं वायु में इसके नाम के लिये 'भानुरथ' पाठभेद २. स्कंद की अनुचरी मातृका 'भाविनी' के लिए प्राप्त है।
उपलब्ध पाठभेद (भाविनी देखिये)। भानुमत् औपमन्यव--एक आचार्य, जो आनन्दज भायजात्य-निकोथक नामक आचार्य का पैतृक नाम । चान्धनायन नामक आचार्य का शिष्य था । संभवतः यह | (वं. ब्रा. ४.३७३)। उपमन्यु का वंशज था, जिस कारण इसे 'औपमन्यव' भारत--ऋग्वेद में निर्दिष्ट एक पैतृक जाम, जो भारत पैतृक नाम प्राप्त हुआ था। इसके शिष्य का नाम ऊर्जयत् का पुत्र अथवा वंशज इस अर्थ से प्रयुक्त हुआ है। औपमन्यव था (वं. बा.१)।
| ऋग्वेद में निम्नलिखित सूक्तद्रष्टाओं का पैतृक नाम 'भारत' भानुमती--पूरुवंशीय राजा अहंयाति की पत्नी, जो | बताया गया है:-अश्वमेध (ऋ. ५.२७); देववात एवं कृतवीर्य राजा की कन्या थी । भांडारकर संहिता में इसके | देवश्रवस (ऋ. ३.२३)। ' नाम के लिए 'अहंपाति' पाठभेद प्राप्त है। इसके पुत्र का भारद्वाज-उपनिषदों में निर्दिष्ट कई आचार्यों का नाम सार्वभौम था (म. आ. ९०.१५)।
सामुहिक नाम । बृहदारण्यक उपनिषद में इन्हे निम्न२. अंगिरस् ऋषि की ज्येष्ठ कन्या, जो अत्यंत रूपवती लिखित आचार्यों के शिष्य के रूप में निर्दिष्ट किया है:-- थी (म. व. २०८.३)।
भारद्वाज, पाराशर्य, बलाका कौशिक, ऐतरेय, असुरायण ३. भानु यादव की कन्या, जो सहदेव 'पांडव' की | एवं बैजवापायन (बृ. उ. २.५.२१ माध्य; २.६.२ काण्व; पत्नी थी। निकुंभ नामक दानव ने इसका हरण किया | ४.५.२७ माध्य.)। था । पश्चात् अर्जुन, कृष्ण एवं प्रद्युम्न ने निकुंभ का वध । २. ऋग्वेद में निर्दिष्ट एक पैतृक नाम, जो भरत का कर, इसे विमुक्त किया (ह. वं. २.९०)। | पुत्र अथवा वंशज इस अर्थ से प्रयुक्त हुआ है। ऋग्वेद
४. बृहत्कल्प के धर्ममूर्ति राजा की पत्नी (धर्ममूर्ति: निम्नलिखित सूक्तद्रष्टाओं का पैतृक नाम 'भारद्वाज' बताया देखिये)।
| गया है:-ऋजिश्वन् (ऋ. ६.४९); गर्ग (ऋ. ६.४७); ५. सगर राजा की पत्नी शैब्यकन्या केशिनी का नामा- | गईभीविपीत, नर (ऋ. ६.३५); पायु (ऋ. ६.७५); न्तर (भा. ९.८.९)। इसके पुत्र का नाम असमंजस् था । वसु (ऋ. ९.८०); वाढेय; शाश; शिरिं बिठ (ऋ. १०.