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________________ मागुरि प्राचीन चरित्रकोश भानुदत्त एवं क्षीरस्वामिन् , हलायुध, महेश्वर, हेमचंद्र, केशव, भाण्डायनि--एक ऋषि, जो इंद्र की सभा में उपस्थित महीप, मेदिनीकार, राममुक्त एवं मल्लीनाथ आदि शब्द- | हो कर इंद्र की उपासना करता था (म. स. ७.१०)। कोशकारो ने इसके वचन उदधृत किये है। 'माधवीयधातु | पाठभेद (भांडारकर संहिता)--'शाट्यायन'। वृत्ति,' एवं 'अमरकोश' की अनेकानेक टीकाग्रंथों में भात--(आंध्र, भविष्य.) एक आंध्रवंशीय राजा, इसके मतों के उद्धरण प्राप्त हैं। जो वायु के अनुसार सिंधुक राजा का पुत्र था। संभवतः ज्योतिषशास्त्रकार-भागुरि के ज्योतिषशास्त्रविषयक | यह आंध्रवंशीय कृष्ण राजा के नाम के लिए पाठभेद रहा मतों का निर्देश वराहमिहिर कृत 'बृहत्संहिता', भोज | होगा (कृष्ण ६. देखिये )। कृत 'राजमार्तड', एवं 'गर्गसंहिता' आदि ग्रंथों में प्राप्त | भानु-विवस्वत् अथवा सूर्यदेवता का नामांतर हैं (बृहत्सं. ४८.२)। (म. आ. १.४०)। स्मृतिकार--भागुरि के स्मृतिविषयक मतों का निर्देश २. एक देवगंधर्व, जो कश्यप एवं प्राधा (क्रोधा) 'विवादरत्नाकर' नामक ग्रंथ में कमलाकर नामक एक | का पुत्र था (म. आ. ५९.४६)। स्मृतिकार ने किया प्राप्त है। इसकी स्मृति को 'वागरि- ३. श्रीकृष्ण को सत्यभामा से उत्पन्न एक महारथी स्मृति' नामांतर भी प्राप्त है। . . पुत्र । मृत्यु के पश्चात् , यह विश्वेदेवो में प्रविष्ट हो गया साम एवं यजुःशाखाओं का आचार्य--'प्रपंचहृदय' | (म. स्व. ५.१३)। 'जैमिनीय गृह्यसूत्र टीका' आदि ग्रंथों में भागुरि को | ४. एक अग्नि, जो च्यवन आंगिरस ऋषि के अंश से सामशाखा का, एवं लौगाक्षिगृहयसूत्र की टीका में इसे | उत्पन्न हुआ था। इसके पिता का नाम पांचजन्य था यजुःशाखा का आचार्य कहा गया है। इससे प्रतीत होता | (म. व. २१०.९) । इसे 'मनु' एवं 'बृहद्भानु' नामांतर है कि, इन दोनों शाखाओं के संबंध में कुछ ग्रंथरचना इसने | भी प्राप्त है (म. व. २११.८-९)। की थी। . इसे सोमकन्या बृहद्भासा एवं सुप्रजा नामक दो पत्नियाँ अलंकारशास्त्रज्ञ--सोमेश्वर कवि के 'साहित्यकल्पद्रुम' | | थी। इसे निम्नलिखित छः पुत्र थे:--बृहद्भासापुत्र-बल, में, एवं अभिनवगुप्त के 'ध्वन्यालोक' में भागुरि के द्वारा। मन्युमत् एवं विष्णु (धृतिमत्); सुप्रजापुत्र-आग्रयण, लिखित 'अलंकारशास्त्र' ग्रंथ के कुछ उद्धरण प्राप्त है। | वैश्वदेव एवं स्तुभ (म. व. २११.८)। सांख्यदर्शनकार-दयानंद सरस्वती कृत 'सत्यार्थ- | ५. एक राजा, जो कौरव एवं अर्जुन के दरम्यान हुए प्रकाश' में, एवं संस्कारविधि' नामक ग्रंथ में, भागुरि के | 'गोग्रहण युद्ध ' देखने के लिए इंद्र के विमान में बैठ द्वारा विरचित 'सांख्यदर्शनभाष्य' का निर्देश प्राप्त है। | कर उपस्थित हुआ था (म. वि. ५१.१०)। देवतज्ञारूज्ञ--शौनक कृत 'बृहद्देवता' में भागुरि के | ६. दक्ष की एक कन्या, जो धर्म से ब्याही गयी थी। देवताविषयक मतों के अनेक उद्धरण प्राप्त है, जिनसे | इसके पुत्र का नाम देवऋषभ था। प्रतीत होता है कि, इसने दैवतशास्त्रविषयक कोई ७. एक यादव, जिसने प्रद्युम्न राजा से शस्त्रास्त्रविद्या 'अनुक्रमणिका ' ग्रंथ अवश्य लिखा होगा।. प्राप्त की थी (म. व. १८०.२७)। इसकी कन्या का नाम २. एक ऋषि, जो युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ का सदस्य भानुमती था, जिसका विवाह पांडु राजा के पुत्र सहदेव से था (जै. अ. ६३; जै. गृ. १.१४) हुआ था (म. स. २.परि. १.१३, ह. व. २.२०.७६ )। 'भागास्वन--भङ्गस्वन नामक राजर्षि का नामांतर ८. (सू. इ. भविष्य.) एक राजा, जो भागवत के (भङ्गास्वन देखिये)। अनुसार, प्रतिव्योम राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का . भागसुारि--दशार्ण देश के ऋतुपर्ण राजा का नाम दिवाक अथवा दिवाकर था (भा. ९. १२)। नामांतर | इसके नाम के लिए 'भागस्वरि · पाठभेद भी ९. स्वारोचिष मनु के पुत्रों में से एक । प्राप्त है (म. स. ८))। १०. उत्तम मन्वंतर का एक देवगण । भाजिर--भौत्य मन्वंतर का एक देव । इसके नाम के ११. सुतय देवों में से एक। लिए 'भ्राजिर' पाठभेद प्राप्त है । भानुदत्त-शकुनि का भाई, जो सुबल राजा के पुत्रों भाडितायन--शाकदास नामक आचार्य का पैतृक | में से एक था। भारतीय युद्ध में भीम ने इसका वध नाम। | किया (म. द्रो. १३२.११३६*)।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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