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________________ भजमान प्राचीन चरित्रकोश भद्रकाली इसके पुत्रों का नाम क्रिमि, क्रमण, धृष्ट, शूर, एवं पुरंजय । ८. (सो. अनु.) एक अनुवंशीय राजा, जो भागवत दिये गये हैं, एवं शताजित् आदि पुत्रों को पुत्र सृजया | के अनुसार शिबि राजा के पांच पुत्रों में से एक था। के पुत्र कहा गया है (ब्रह्म. १५.३२.३४).। इसके नाम के लिए 'भद्रक, एवं 'मद्रक' पाठभेद . २. (सो. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, जो सात्वत प्राप्त है। (अंधक) राजा का पुत्र था। ९. (सो. वसु.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार ३. (सो. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, जो भागवत के | वसुदेव एवं पौरवी के पुत्रों में से एक था। अनुसार विदूरथ राजा का पुत्र था। १०. (सो. वसु.) एक राजा, जो वसुदेव एवं देवकी भजिन्-(सो. क्रोष्ट.) एक यादव राजा, जो भागवत | के पुत्रों में से एक था। के अनुसार सात्वत राजा का पुत्र था। ११. श्रीकृष्ण का कालिंदी से उत्पन्न एक पुत्र (भा. . भजेरथ--ऋग्वेद में निर्दिष्ट एक व्यक्तिनाम. जिसका | १०.६१.१४)। निर्देश अगस्त्य, असमाति एवं इक्ष्वाकु ऋषियों के साथ १२. (शुग. भविष्य.) एक राजा, जो ब्रह्मांड के प्राप्त है । सायण के अनुसार, यह असमाति ऋषि का | अनुसार वसुमित्र राजा का पुत्र था । इसने दो वर्षों तक शत्रु, अथवा वैकल्पिक अर्थ में उसका पूर्वज था । लुडविग | राज्य किया। एवं ग्रिफिथ के अनुसार, यह किसी व्यक्तिनाम न हो कर भद्रक--अनुवंशीय भद्र राजा के लिए उपलब्ध इससे किसी स्थाननाम का आशय है। पाठभेद (भद्र. ८. देखिये)। भज्य--एक आचार्य, जो व्यास की ऋकशिष्य परंपरा २. (शंग. भविष्य.) एक राजा, जो भागवत के में से बाष्कलि का शिष्य था। बाष्कलि ऋषि ने इसे | अनुसार वसुमित्र राजा का पुत्र था। 'वालखिल्य संहिता' सिखाई थी (भा. १२.६.६०)। ३. एक आचारभ्रष्ट ब्राह्मण । अपनी सारी आयु भट्टादित्य-सूर्य देवता का नामान्तर। उस देवता | इसने पापकर्मों में व्यतीत की। किन्तु संयोगवश इसने को नारदभट्ट ने पृथ्वी पर लाया, इस कारण उसे यह | प्रयाग मर प्रयाग में तीन दिन माघस्नान पुण्य संपादन किया । नामान्तर प्राप्त हुआ था (स्कंद. २.४३)। . आगे चल कर, इसकी एवं अवंती के पुण्यश्लोक राजा भद्र-एक दानव, जो कश्यप एवं दन के पुत्रों में से की मृत्यु एक ही दिन हुयी । वीरसेन राजा ने सोलह एक था। अश्वमेधयज्ञ कर काफ़ी पुण्य संपादन किया था। फिर २. एक यक्ष, जो कुबेर का मंत्री था । गौतम ऋषि के भी इसने किये माघस्नान के पुण्य के कारण, यह एवं शाप के कारण, इसे पशुयोनि प्राप्त होकर यह सिंह बन वीरसेन दोनों एक ही विमान में बैठकर स्वर्ग चले गये (पद्म. उ. १२८)। - ३. भद्र गणराज्य में रहनेवाले लोगों का सामहिक भद्रकल्प-(सो. वसु.) एक राजा, जो वसुदेव एवं नाम । इन लोगों के क्षत्रिय राजकुमारों में युधिष्ठिर के रोहिणी का पुत्र था। राजसूय यज्ञ के समय बहुतसा धन उसे अर्पित किया था भद्रकार-एक राजा, जो जरासंध के भय से अपने (म. स. ४८.१३)। इनके नाम के लिए 'मद्र' पाठभेद | भाई एवं सेवकों के सहित दक्षिण दिशा में भाग गया था प्राप्त है। कर्ण ने अपने दिग्विजय के समय इन्हे जीता | (म. स. १३.२५)। था (म. व. परि. १.२४.६७)। २. अविक्षितपुत्र भङ्गकार के लिए उपलब्ध पाठभेद ४. चेदि देश का एक राजा, जो भारतीय युद्ध में (भङ्गकार देखिये)। पांडवों के पक्ष में शामिल था । अन्त में कर्ण ने इसका । भद्रकाली-स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. वध किया (म. क. ४०.५०)। ४५.११)। ५. तुषित देवों में से एक। २. देवी दुर्गा का एक नामांतर । दक्षयज्ञ के विध्वंस के ६. उत्तम मन्वन्तर का एक देव | समय यह पार्वती के कोप से प्रकट हुयी थी (म. शां. ____७. वसिष्ठकुलोत्पन्न एक ऋषि, जो इंद्रप्रमति ऋषि का | २८४.५३ )। अर्जुन ने इस नाम से देवी दुर्गा का स्तवन पुत्र था। इसके पुत्र का नाम उपमन्यु था। | किया था (म. भी. २३. परि. १ क्र. १)। प्रा. च. ६८] ५३७ गया।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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