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________________ ब्रह्मदत्त प्राचीन चरित्रकोश महाभारत के अनुसार, सुविख्यात वैदिक आचार्य कण्डरीक के वंश में इसका जन्म हुआ था, एवं उसीके वंश में उत्पन्न हुआ कण्डरीक नामक अन्य एक पुरुष इसका मंत्री था। मस्त्य में बाभ्रव्य पांचाल सुचालक एवं कण्डरीक को क्रमशः इसका मंत्री एवं मंत्रीपुत्र कहा गया है ( मत्स्य. २०.२४; २१.३० ) । यह स्वयं वेदशास्त्रविद् था, एवं इसने अथर्ववेद के एवं कण्डरीक ने सामवेद के क्रमपाठ की रचना की थी ( म. शां. ३३०.३८-३९ ) । अथर्ववेद संहिता का पदपाठ एवं शिक्षा की भी इसने रचना की थी। योगाचार्य गालव इसका मित्र था, एवं इसने सात जन्मों के जन्ममृत्युसंबंधी दुःखों का बारबार स्मरण कर के योगजनित ऐश्वर्य प्राप्त किया था । इसने ब्राह्मणों को ' शखनिधि' दे कर ब्रह्मलोक भी प्राप्त किया था ( म. अनु. १३७.१७; शां. २२६.२९ ) । समस्त प्राणियों एवं पक्षियो की बोली इसे अवगत थी ( ह. वं. १.२० - २४ ) । भीष्म का पितामह प्रतीप राजा का यह समकालीन था (ह. वं. १.२०.११-१२ ) । २. कांपिल्य नगरी का राजा, जो सोमदा नामक गंधर्वी का पुत्र था । सोमदा गंधर्वी ने चूलि नामक महर्षि की अनन्यभाव से सेवा की, जिससे प्रसन्न हो कर उस ऋषि ने सोमदा को इसे पुत्ररूप में प्रदान किया । कुशनाभ नामक दैत्य ने वायु ( वात) के कारण वक्र हुयी अपनी सौ कन्याएँ इसे प्रदान की । इसने उन कन्याओं की वक्रता दूर कर उनका स्वीकार किया ( वा. रा. बा. ३३) । ३. सूर्यवंशीय एक राजा, जिसने साबरमती नदी के तट पर शंकर की उग्र तपस्या कर, वहाँ अपने नाम से प्रसिद्ध एक शिवलिंग की स्थापना की (पद्म. उ. १३५ ) । ४. शाल्व देश का एक राजा, जिसके पुत्र का नाम हंस था (हंस ७. देखिये) । ब्रह्मदत्त चैकितानेय -- एक आचार्य, जो कुरुवंशीय राजा अभिप्रतारिन् का आश्रित था (जै. उ. बा. १.३८. १; ५९.१) । चेकितान का वंशज होने से इसे 'चैकितानेय' उपाधि प्राप्त हुयी होगी (चेकितानेय देखिये ) । इसके द्वारा प्राणविद्या कथन किये जाने का निर्देश बृहदारण्यक उपनिषद में प्राप्त है (बृ. उ. १.३.२४ ) । ब्रह्मदेव -- पांडवपक्षीय एक योद्धा, जो पांडवों की सेना की रक्षा के लिए शिखण्डी के क्षत्रदेव नामक पुत्र के साथ उपस्थित था (म. उ. १९६.२५) । ब्रह्मन् ब्रह्मना - कश्यप ऋषि के रक्षस नामक असुरपुत्र की पत्नी । इसे निम्नलिखित नौ पुत्र थे : -- अम्बुक, केलि, क्षम, ध्वति, ब्रहापेत, यज्ञहा, यज्ञापेत, श्वात एवं सर्प । इसे निम्नलिखित चार कन्याएँ भी थी : -- अपहारिणी, क्षमा, महाजिह्वा एवं रक्तकर्णी (ब्रह्मांड, ३.७.९८ ) । ब्रह्मधातु -- कुबेर का एक सेवक, जो प्रहेति राक्षस का पुत्र था । ब्रह्मन - एक पौराणिक देवता, जो सम्पूर्ण प्रजाओं का स्रष्टा माना जाता है। इसने सर्वप्रथम प्रजापति बनाये, चिन्होंने आगे चल कर प्रजा का निर्माण किया । वैदिक ग्रन्थों में निर्दिष्ट प्रजापति देवता से इस पौराणिक देवता का काफी साम्य है एवं प्रजापति की बहुत सारी कथायें इससे मिलती जुलती ( प्रजापति देखिये) । सृष्टि के आदिकर्त्ता एवं जनक चतुर्मुख ब्रह्मन् का निर्देश, जो पुराणों में अनेक बार आता है, वह वैदिक ग्रन्थों में अप्राप्य है। किंतु वेदों में 'धाता', 'विधाता', आदि ब्रह्मा के नामांतर कई स्थानों पर आये है । उपनिषद् ग्रन्थों में ब्रह्मन् का निर्देश प्राप्त है, किन्तु वहाँ इसके सम्बन्ध में सारे निर्देश एक तत्त्वज्ञ एवं आचार्य के नाते से किये गये है । वहाँ उसे सृष्टि का सृजनकर्ता नहीं माना है । उपनिषदों के अनुसार यह परमेष्ठिन् ब्रह्म नामक आचार्य का शिष्य था (बृ. उ. २.६.३; ४.६. ३) । सारी सृष्टि में यह सर्वप्रथम उत्पन्न हुआ ( मुं. उ. १.१.२ ) । इसने अथर्वन् को ब्रह्मविद्या प्रदान की थी ( मुं. उ. १.१.२ ) । इसी प्रकार इसने नारद को भी ब्रह्म विद्या का ज्ञान कराया था (गरुड. उ. १ - ३ ) । छांदोग्य उपनिषद में ब्रह्मोपनिषद् नामक एक छोटा उपनिषद् प्राप्त है, जो सुविख्यात ब्रह्मोपनिषद् से अलग है। इस उपनिषद् का ज्ञान ब्रह्मा ने प्रजापति को कराया, एवं प्रजापति ने 'मनु' को कराया था ( छां. उ. ३.११.३ - ४ ) । ब्रह्मन् नामक एक ऋत्विज का निर्देश भी उपनिषद् ग्रन्थों में प्राप्त है। जन्म -- पुराणों के अनुसार भगवान् विष्णु ने कमल रूपधारी पृथ्वी का निर्माण किया, जिससे आगे चल कर ब्रह्मन् उत्पन्न हुआ ( मत्स्य. १६९.२; म. व. परि. १ क्र. २७; पंक्ति . २८.२९; भा. ३.८.१५ ) । महाभारत के अनुसार, भगवान विष्णु जब सृष्टि के निर्माण के सम्बन्ध में विचार निमग्न थे, उसी समय उनके मन में जो सृजन की भावना जागृत हुयी, उसी से ब्रह्मा का सृजन हुआ (म. शां. ३३५.१८ ) । ५२६ "
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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