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________________ प्रवाहण प्राचीन चरित्रकोश प्रसूति पिता पर अत्यधिक क्रुद्ध हो कर, प्रवाहण द्वारा पूँछे गये | चित्रांगदा था, जिससे इसने 'पुत्रिकाधर्म' के शर्त पर प्रश्नों के उत्तर पूंछने लगा। अर्जुन को प्रदान किया था। श्वेतकेतु का पिता उद्दालक आरुणि भी उन प्रश्नों का | भारतीय युद्ध में अश्वत्थामा के साथ युद्ध करते समय उत्तर न दे सका। फिर वे दोनों प्रवाहण राजा की शरण में | यह मारा गया (म. क. १५.४२)। आकर, इससे 'ब्रह्मविद्या की दीक्षा माँगने लगे। इसने । ६. एक क्षत्रिय-कुल, जिसमें अजबिंदु नामक कुलांगार स्वयं क्षत्रिय हो कर भी उन ब्राह्मणों को दीक्षित किया।। | राजा उत्पन्न हुआ था (म. उ. ७२.१४)। अब तक यह ज्ञान क्षत्रियों के ही पास था। यह पहली | प्रवीरक--(किलकिला. भविष्य.) किलकिला नगरी व्यक्ति है, जिसने यह परमज्ञान ब्राह्मणों को प्रदान किया। का एक राजा, जो मौन राजवंश के नष्ट होने पर राजगद्दी उद्गीथ की उपासना के सम्बन्ध में इसका 'शिलक पर बैठा था (भा. १२.१.१३)।। शालावाय' एवं 'चैकितायन दाल्भ्य ' नामक ऋषियों से प्रवेपन-तक्षक-कुल का एक नाग, जो जनमेजय के शास्त्रार्थ हुआ था (छां. उ. १.८.१; बृ. उ. ६.२.१)। सर्पसत्र में जलकर भस्म हो गया था (म. आ.५२.८)। प्रवाहित--उत्तम मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक । प्रशगी-अलकापुरी की एक अप्सरा, जिसने अष्टाप्रविल्लसेन--आंध्रवंशीय पुत्रिकषेण राजा का नामांतर वक्र के स्वागत समारोह में नृत्य किया था (म. अनु. (पुत्रिकषेण देखिये)। ५०.४८)। प्रवीण--भौत्य मनु के पुत्रों में से एक । प्रश्रय--स्वायंभुव मन्वंतर के धर्म ऋषि का ही नामक प्रवीर--काशीनगर का एक चाण्डाल, जिसने राजा स्त्री से उत्पन्न पुत्र। हरिश्चन्द्र को खरीदा था। इसे वीरबाह नामातर भी प्राप्त प्रश्रुत--इक्ष्वाकुवंशीय प्रसुश्रुत राजा का नामांतर । प्रसंधि-वैवश्वत मनु के पुत्रों में से एक। इसके पुत्र २. (सो. पूरु.) एक पूवंशीय राजा, जो भागवत, | का नाम क्षुप था। इसके नाम के लिए 'प्रजापति' पाठविष्णु तथा भविष्य के अनुसार, प्राचिन्वत् राजा का पुत्र भेद उपलब्ध हैं (म. आश्व. ४.२)। था। किन्तु महाभारत में इसे पूरु राजा पुत्र माना गया | - प्रसन्न--इक्ष्वाकुवंशीय सेनजित् राजा का नामांतर है। इसके दो भाइयों का नाम ईश्वर एवं रौद्राश्व था। (सेनजित् २ देखिये)। पूरु राजा का ज्येष्ठ पुत्र जनमेजय किसी कारण राज्य प्रसभ--रामसेना का एक वानर । के लिए अयोग्य साबित हुआ, जिससे उसे हटाकर प्रवीर को राजगद्दी पर बिठाया गया। पश्चात् इसीसे पूरुवंश प्रसाद-स्वायंभुव मन्वंतर के धर्म ऋषि का मैत्री नामक स्त्री से उत्पन्न पुत्र । आगे चला । इसी कारण महाभारत में इसे 'वंशकृत। प्रसार-(स्वा. नाभि.) एक राजा, जो विष्णु के (वंश को आगे चलानेवाला ) कहा गया है (म. आ. अनुसार उद्गीथ का पुत्र था। ९०.४)। महाभारत में इसकी पत्नी का नाम शूरसेनी ( श्येनी) प्रसुश्रुत-(स. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो एवं पुत्र का नाम मनस्यु (नमस्यु) बताया गया है (म. भागवत, विष्णु एवं वायु के अनुसार मरु का पुत्र था। आ. ८९.४)। इसके नाम के लिए 'प्रभुसुत' एवं 'प्रश्रुत' पाठभेद - इसने तीन अश्वमेध यज्ञ एवं एक विश्वजित् यज्ञ किये उपलब्ध हैं। थे। उन यज्ञों को संपन्न करने के उपरांत इसने वानप्रस्थ प्रसूत-रैवत मन्वंतर के अंत में उत्पन्न हुआ एक आश्रम ग्रहण किया (म. आ. ९०.११)। देवतासमूह, जिसमें निम्नलिखित आठ देव शामिल थे: ३. (सो. नील.) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार प्रचेतस् , महायशस्, मुनि, वनेन, श्येनभद्र, श्वेतचक्ष, हर्यश्व राजा का पुत्र था। इसे जवीनर नामांतर भी प्राप्त | सुप्रचेतस् तथा सुमनस् (ब्रह्मांड. २.३६.७०)। है (जवीनर देखिये)। २. चाक्षुष मन्वंतर में उत्पन्न एक देवगण । ४. माहिष्मती के नीलध्वज राजा का पुत्र । प्रसूति--स्वायंभुव मनु की तीन कन्याओं में से एक, ५. पांड्य देश का एक राजा, जिसे मलयध्वज एवं | जो दक्ष प्रजापति को ब्याही थी (भा. ३.१२.५४, ४.१. चित्रवाहन नामांतर प्राप्त है। इसकी कन्या का नाम | १)। ४७७
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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