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________________ प्रसृत प्राचीन चरित्रकोश प्रसृत - एक दैत्य, जिसका गरुड़ द्वारा वध हुआ था के अनुसार पुष्कल का, एवं वायु के अनुसार राहुल का ( म. उ. १०३.१२ ) । प्रसृति-- स्वारोचिष मनु के पुत्रों में से एक । प्रसेन -- (सो. वृष्णि. ) एक यादववंशीय राजा, जो निम्न नामक राजा का द्वितीय पुत्र था। विष्णु, मत्स्य, पद्म एवं वायु में इसे नि राजा का पुत्र कहा गया है, तथा इसके ज्येष्ठ भ्राता का नाम सत्राजित बताया गया है। ये दोनों भाई जुड़वा पैदा हुए थे एवं कुबेर की भाँति सद्गुणों से संपन्न थे । इसे ' प्रसेनजित् ' नामांतर भी प्राप्त था । इसके पास स्यमंतक मणि था, जिससे प्रतिदिन प्रचुर धनराशि झरती रहती थी। इसे धारण कर एक बार यह जंगल गया, वहाँ सिंह ने इसका वध किया । पश्चात् राज ने यह मणि इसके मृतदेह से निकाल कर प्राप्त की (पद्म स. १२. ९२४.१२ १०.५६.१२३ देमा माहाल्य २) पद्म में प्राप्त कथा में सिंह का । वृत्तांत नहीं है, उसमें जांबवत् द्वारा प्रसेन के वध की कथा वर्णित है। . २. कर्ण का पुत्र, जिसका सात्यकि द्वारा वध हुआ ( म. क. ६०.४ ) । वध के पूर्व केकय सेनापति उग्रकर्मन् से इसका युद्ध हुआ था। पाटमेव भांडारकर संहिता)'सुषेण ' । प्रसेनजित् - एक राजा, जो महाभौम राजा की सुयज्ञा नामक पानी का पिता था। इसने एक व्यख सवत्सा गऊओं का दान कर के उत्तम लोक प्राप्त किया था ( म. शां. २४०.३६ ) । पुत्र था। " पान्थों में इसका निर्देश 'पसेनदि नाम से किया गया है । यह गौतम बुद्ध का समकालीन राजा था । पूरुवंशीय राजा उदयन ( दुर्दमन ) एवं शिशुनागवंशीय राजा अजातशत्रु ये दोनों भी इसके समकालीन थे। प्रस्कण्व - (सो. पुरु. ) एक राजा, जो भागवत के अनुसार मेधातिथि राजा का पुत्र था। प्रत्कण्ववंश के लोग पहले क्षत्रिय थे, किन्तु बाद में वे ब्राह्मण हुए ( भा. ९.२०.७) । | पुत्र २.इ.) एकाकुवंशीय राजा को भागवत, विष्णु एवं वायु के अनुसार कृशाथ राजा का था । इसकी पत्नी का नाम गौरी था, जिससे इसे 'युवनाश्व' नामक पुत्र उत्पन्न हुआ ( युवनाश्व ३. देखिये ) । भविष्य में इसे संकटाश्व राजा का पुत्र कहा गया है। प्रहस्त ३. एक राजा, जो जमदग्नि की पत्नी रेणुका का पिता था। इसे रेणु नामांतर भी प्राप्त है ( म. व. ११६.२ ) । कई विद्वानों के अनुसार, रेणुका के पिता एवं सुयज्ञा के पिता दोनों एक ही व्यक्ति से ( प्रसेनजित् १. देखिये) । ४. (सू. पू.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार विश्वसाह का पुत्र था । ५. (सू. इ. भविष्य. ) एक राजा, जो भागवत के अनुसार लांगल का, विष्णु के अनुसार राहुल का, मत्स्य प्रस्कण्व काण्व - एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १.४४ ५०६ ८.४९; ९.९५ ) । सांख्यायन श्रौतसूत्र के अनुसार इसे पृषध मेध्य मातरिश्वन् से पारितोषिक प्राप्त हुआ था (सां. ओ. १६.११.२६ ) । प्रस्ताव - ( स्वा. प्रिय.) एक राश, जो भूमन् राम का पुत्र था। इसकी माता का नाम देवकुलया था। इसकी स्त्री का नाम नियुत्सा था, जिससे इसे विभुं नामक पुत्र या (भा. ५.१५.६)। २. (स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार, उद्गीथ राजा का पुत्र था । प्रस्तोक साय - एक वैदिक राजा एवं उदार दाता. (ऋ. ६.४०.२२) । विग के अनुसार, दिवोदास अतिथिग्व और अश्वत्थ (अश्वथ ) इसी के ही नामांतर है (डॉग- अनुवाद २.१५८ ) । सायणाचार्य का भी यही अभिमत है। सांख्यायन श्रौतसूत्र के अनुसार, इसने भरद्वाजपुत्र गार्ग को अतुल धनराशि दानस्वरूप प्रदान की थी (सां. श्र. १६.११.११० बृहदे. ५.१२४) । प्रस्तोतृ ( स्वा. प्रिय.) एक यज्ञकुशल राजा, जो प्रतीह और सुवर्चला का द्वितीय पुत्र था । प्रहरण- श्रीकृष्ण का भद्रा से उत्पन्न एक पुत्र प्रहस्त रावण के परिवार का एक राक्षस, जो सुमाली राक्षस का पुत्र था। इसकी माता का नाम केतुमती था । इसके भाइयों के नाम अकंपन, विकट, कालिकामुख, दंड, धूम्राक्ष, सुपार्श्व, संहृादिन्, प्रत्रस तथा भासक थे, तथा राम्रा, कैकसी, कुंभीनसी तथा पुष्पोत्कटा नामक चार बहने भी थीं ( वा. रा. उ. ५.२८-४० ) । यह रावण का मापा और मंत्री (बा. रा. उ. ११.२ ) होने के साथ साथ, उसकी सेना का अधिपति भी था ( वा. रा. सुं ४९.११ मा. ९.१०.१८ ) । ४७८
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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