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________________ प्रतिविंध्य १०.३१ ) । अलम्बुश एवं दुःशासन के साथ भी इसका युद्ध हुआ था, किन्तु उन दोनों युद्ध में यह पराजित हुआ (म. भी. ९६.३७-४९; द्रो. १४३-३१-४२ ) । अश्वत्थामनू ने रात्रि के समय सोते हुए पाण्डवों के कुटुम्बियों का संहार किया था, जिसमें यह भी मारा गया ( म. द्रो. २२. २०, सौ. ८.५० ) । इसका मृत्युदिन मार्गशीर्ष अमावस्या माना जाता है ( भारतसावित्री ) । २. शाकल देश का एक सुविख्यात राजा, जो एकचक्र नामक दैत्य के अंश से उत्पन्न हुआ था ( म. आ. ६१.२२) । युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय अर्जुन ने इसे पराजित किया था ( म. स. २३. १५ ) । भारतीय युद्ध में, यह पाण्डवों के पक्ष में शामिल था ( म. उ. ४. १३)। प्राचीन चरित्रकोश प्रतिवेश्य -- एक आचार्य, जो बृहद्दिव का शिष्य था (सां. आ. १५. १ )। इसके शिष्य का नाम प्रातिवेश्य था । प्रतिव्यूह -- ( सू. इ. भविष्य. ) एक राजा, जो वायु के अनुसार वत्सव्यूह राजा का पुत्र था । इसे प्रतिव्योम' नामांतर भी प्राप्त है । जो प्रतिव्योमन् - - ( सृइ. भविष्य. ) एक राजा, भागवत के अनुसार वत्सवृद्ध का, विष्णु के अनुसार वत्स व्यूह का और मत्स्य के अनुसार वत्सद्रोह का पुत्र था । इसे प्रतिव्यूह नामांतर भी प्राप्त है । प्रतिश्रवस् -- प्रतीप नामक एक कुरुवंशीय राजा का नामांतर (प्रतीप १. देखिये ) । प्रतीप पुत्र था । इसके पुत्र का नाम ओघवत् था ( भा. ९.२. १८ ) । प्रतीकाश्व -- ( सू इ. भविष्य.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार भानुमत् राजा का पुत्र था । इसे 'प्रतीकाश्व' और 'प्रतीपाश्व' नामांतर प्राप्त थे । प्रतीच्या -- महर्षि पुलस्य की पतिव्रता पत्नी ( म. उ. ११५.११* ) । प्रतीच्या के स्थान पर कही कहीं संध्या पाठभेद भी प्राप्त है। प्रतीत--स्वारोचिष मनु के पुत्र प्रथित का नामांतर । २. एक विश्वदेव (म. अनु. ९१.३२ ) । प्रतीताश्व - - (सु. इ. भविष्य . ) एक राजा, जो वायु के अनुसार भानुरथ का पुत्र था । इसे 'प्रतीकाश्व नामांतर प्राप्त है (प्रतीकाश्व देखिये)। प्रतीदर्श वैन - एक वैदिक राजा, जो पांचाल देश के राजा सुप्लन् सहदेव का समकालीन था । यह 'श्विनको ' का राजा था, जिस कारण इसे 'वैन्क' उपाधि प्राप्त हुयी । शतपथ ब्राह्मण में, इसे प्रतीदर्श ऐभावत कहा गया है, जिससे यह किसी इभावत् का वंशज प्रतीत होता है (श. बा. १२. ८. २.३ ) । से शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, यह एक बार राजगद्दी पदच्युत किया गया था । किन्तु दाक्षायणयज्ञ अथवा वसिष्ठयज्ञ करने के पश्चात् इसे पुनः राजगद्दी प्राप्त हुयी । आगे चलकर यह पुनः लोकप्रिय राजा हुआ ( श. ब्रा. २. ४. ४. ३-४)। प्रतीन्धक -- निमिवंशीय प्रतित्वक राजी का नामांतर ( प्रतित्वक देखिये ) । प्रतिश्रुत - वसुदेव का शांतिदेवा से उत्पन्न पुत्र ( भा. ९. २४. ५० ) । प्रतिष्ठा - स्कंद की अनुचरी मातृका ( म. श. ४५. ( २८ ) । प्रतिहर्तृ - - ( स्वा. प्रिय. ) एक यज्ञकर्मप्रवीण राजा, जो प्रतीह राजा के तीन पुत्रों में से ज्येष्ठ था । इसकी माता का नाम सुवर्चला था। इसकी स्त्री का नाम स्तुति था, जिससे इसे अज और भूमन् नामक दो पुत्र थे (भा. .५. १५. ५ )। विष्णु में इसे नाभिवंशीय प्रतिहार राजा का पुत्र कहा गया है । २. मरुग्दणो के छठवें गण में से एक । प्रतिहार - ( स्वा. नाभि . ) एक नाभिवंशीय राजा, जो विष्णु के अनुसार परमेष्ठिन् राजा का पुत्र था । प्रतीक - (सू. नृग . ) एक राजा, जो वसु राजा का ४६९ प्रतीप - (सो. कुरु. ) एक विख्यात कुरुवंशीय राजा, जो भागवत, विष्णु, मत्स्य, भविष्य और वायु के अनुसार, भीमसेन का प्रपौत्र और दिलीप का पुत्र था । किन्तु महाभारत में इसे भीमसेन राजा का पुत्र कहा गया है, एवं केकय राजकन्या सुकुमारी को इसकी माता कहा गया । इसे परिश्रवस् ( पर्यश्रवस् ) नामांतर भी प्राप्त है (मं. आ. ९०.४५ ) । यह ब्रह्मदत्त राजा का समकालीन था, एवं भीष्म का पितामह था (ह. वं. १० २०. ११-१२ ) महाभारत में इसका वंशक्रम निम्न प्रकार दिया गया है:- कुरु - विदूरथ अरुग्वत् - परिक्षित्भीमसेन -प्रतिश्रवस् तथा प्रतीप (म. आ. ९०.४१ - ४५) । इसकी पत्नी का नाम शैब्या सुनन्दा था, जिससे इसे देवापि, शन्तनु तथा बाह्रीक नामक पुत्र थे ( म. आ. । ९०.४६ ) ।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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